Highlights
- पेटेरी टालस ने कहा है कि यूक्रेन में युद्ध आगे चलकर वरदान साबित हो सकता है।
- टालस ने कहा कि जंग के कारण दुनिया ऊर्जा के हरित उपायों की तरफ बढ़ सकती है।
- रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग की वजह से दुनिया में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है।
Russia Ukraine War: रूस ने जब से यूक्रेन पर हमला बोला है, तब से दुनिया में तमाम तरह के संकट सामने आए हैं। कई देशों को जहां तेल एवं गैस की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, तो कहीं तमाम जरूरी चीजों की सप्लाई चेन ही गड़बड़ा गई है। हालांकि एक्सपर्ट्स की मानें तो दोनों देशों के बीच की यह लड़ाई आने वाले वक्त में दुनिया के लिए वरदान साबित हो सकती है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की मौसम संबंधी एजेंसी के प्रमुख पेटेरी टालस ने कहा है कि यूक्रेन में युद्ध को जलवायु के नजरिए से ‘वरदान के तौर पर देखा’ जा सकता है।
आखिर कैसे वरदान साबित हो सकती है खूनी जंग?
टालस के इस बयान पर स्वाभाविक रूप से सबसे पहला सवाल हम सबके मन में यही आएगा कि आखिर हजारों की जान लेने वाली यह खूनी जंग दुनिया के लिए वरदान कैसे बन सकती है। टालस ने कहा कि दोनों देशों के बीच हो रही जंग के चलते जो ऊर्जा संकट पैदा हुआ है उसकी वजह से लंबे समय के लिए ग्रीन एनर्जी के विकास और उनमें इन्वेस्टमेंट में तेजी आ रही है।
जंग के चलते ऊर्जा संकट का सामना कर रही दुनिया
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव टालस ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब दुनिया ऊर्जा संकट का सामना कर रही है। दुनिया पर आए इस संकट का कारण काफी हद तक तेल एवं प्राकृतिक गैस के प्रमुख उत्पादक रूस के खिलाफ लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध और जीवाश्म ईंधन की कीमत में वृद्धि है। इसके कारण कुछ देशों ने कोयला जैसे वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल बढ़ाना शुरू कर दिया है, लेकिन तेल, गैस और कोयला समेत कार्बन पैदा करने वाले ईंधन की बढ़ती कीमतों ने सोलर, वाइंड और हाइड्रोथर्मल जैसी ऊर्जा को एनर्जी मार्केट में ज्यादा प्रतिस्पर्धी बना दिया है।
‘जलवायु के नजरिए से वरदान है यूक्रेन की लड़ाई’
टालस ने कहा कि यूक्रेन की जंग ‘यूरोप के एनर्जी सेक्टर के लिए एक सदमे’ की तरह है। उन्होंने कहा, ‘5 से 10 साल में यह साफ हो जाएगा कि यूक्रेन में यह जंग जीवाश्म ऊर्जा की हमारी खपत को बढ़ाएगा और यह हरित संसाधनों को अपनाने की गति में तेजी ला रहा है। हम नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूबल एनर्जी), ऊर्जा बचाने के उपायों पर ज्यादा इन्वेस्ट करेंगे। जलवायु के नजरिए से यूक्रेन की लड़ाई को वरदान के तौर पर देखा जा सकता है।’