Friday, November 22, 2024
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Russia Ukraine War: रूस को बड़ा झटका! जर्मनी ने यू-टर्न लेते हुए की बड़ी घोषणा, 14 लेपर्ड-2 युद्धक टैंक देकर करेगा यूक्रेन की मदद

बुधवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने घोषणा की कि जर्मनी यूक्रेन को अपने बुंडेसवेहर (जर्मन सशस्त्र बल) के स्टॉक से 14 लेपर्ड-2 टैंक देगा। यूक्रेन काफी समय से इस टैंक की मांग कर रहा था।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: January 25, 2023 18:34 IST
Leopard 2 battle tank- India TV Hindi
Image Source : FILE/AP जर्मनी ने यू-टर्न लेते हुए की बड़ी घोषणा

बर्लिन: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान जर्मनी ने बड़ी घोषणा की है। जर्मनी ने अपनी पिछली स्थिति से यू-टर्न लेते हुए कहा है कि यूक्रेन में अपने 14 टैंक भेजने और दूसरों को ऐसा करने की अनुमति देने के लिए वह तैयार है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने बुधवार को घोषणा की कि जर्मनी यूक्रेन को अपने बुंडेसवेहर (जर्मन सशस्त्र बल) के स्टॉक से 14 लेपर्ड-2 टैंक देगा। एक सरकारी बयान में, स्कोल्ज़ ने कहा कि जर्मनी यूक्रेन के लिए सैन्य समर्थन में वृद्धि जारी रखेगा और यूक्रेनी सशस्त्र बलों को 14 लेपर्ड-2 टैंक देगा। चांसलर ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बारीकी से काम कर रहे हैं। 

यूक्रेन काफी समय से कर रहा था इस टैंक की मांग 

यूक्रेन लगातार इस टैंक की मांग कर रहा था। उसने जर्मनी में बना ये टैंक इसलिए मांगा था क्योंकि वह इसे रूस के खिलाफ अपने युद्ध में इस्तेमाल करना चाहता था। ऐसे में यूरोपीय देशों पर भी इस बात का प्रेशर था कि वो यूक्रेन से दोस्ती को निभाते हुए ये टैंक उपलब्ध करवाएं। ऐसे में हालही में जर्मनी की विदेश मंत्री अन्ना बेयरबॉक ने कहा था कि अगर पोलैंड यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देना चाहता है तो वो रास्ते में नहीं आएंगी।

लेपर्ड-2 टैंक की क्या है खासियत?

जर्मनी की क्रौस-मफेई वेगमैन ने लेपर्ड-2 टैंक को बनाया है। इसकी रेंज लगभग 450 किलोमीटर तक है। ये टैंक 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। कंपनी की ओर से किए गए दावे के मुताबिक, ये सबसे खतरनाक बैटल टैंक है, जो करीब 50 सालों तक बरकरार रहता है। इस टैंक का वजन 55 टन है, जिसमें 4 जवान बैठ सकते हैं। इस टैंक का पहला वैरिएंट 1979 में आया था और अब तक इसके 4 वैरियंट सामने आ चुके हैं। इसकी खासियत ये है कि अगर इस पर हमला होता है तो अंदर बैठे सैनिक सुरक्षित रहते हैं। 

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