Highlights
- रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय वायुसेना पर असर
- सुखोई एयरक्राफ्ट अपग्रेड करने की योजना टली
- 85 फाइटर विमानों को अपग्रेड करने का था प्लान
Russia-Ukraine War Day 75: रूस और यूक्रेन के बीच 75 दिनों से चल रहे युद्ध के बीच भारतीय वायुसेना की एक अहम योजना को झटका लगा है। दरअसल, वायुसेना ने अपने सुखोई-30 MKI फाइटर एयरक्राफ्ट को अपग्रेड करने की योजना को फिलहाल टाल दिया है। सरकारी सूत्रों की मानें तो भारतीय वायुसेना रूस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की मदद से अपने 85 विमानों को आधुनिक स्टैंडर्ड के मुताबिक अपग्रेड करने का प्लान बना रही थी लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इस योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
12 सुखोई-30 खरीदने की डील भी रोकी
सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि 20,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 12 सबसे उन्नत Su-30MKI विमानों की डील में भी थोड़ी देरी होगी क्योंकि स्टेकहोल्डर्स को अब सरकार की वर्तमान नीति के अनुसार इंडियन डिफेंस प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए विमानों में अधिक मेड-इन-इंडिया कॉन्टेंट जोड़नी होगी। बता दें कि सुखोई-30 MKI 27 सितंबर 2002 से भारतीय वायुसेना का हिस्सा है।
शक्तिशाली रडार से लैस करने की थी योजना
भारतीय वायु सेना रूस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से अपने 85 विमानों को लेटेस्ट मानकों तक अपग्रेड करने की योजना बना रही थी। एयरफोर्स की योजना के मुताबिक सुखोई-30 एयरक्राफ्ट को अधिक ताकतवर रडार और लेटेस्ट इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं से लैस किया जाना था, ताकि यह सबसे आधुनिक स्टैंडर्ड के मुताबिक बन सके।
Su-30 MKI भारतीय वायु सेना का मुख्य आधार है। वायु सेना ने अलग-अलग बैच में 272 सुखोई ऑर्डर कर मंगाए हैं। इसमें से 30 से 40 विमानों का ऑर्डर रूसी मैन्युफैक्चरर्स को मिलना था। इन एयरक्राफ्ट को रूसी मैन्युफैक्चरर्स की तरफ से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के पास अलग-अलग तरह की किट्स में भेजा जाता है। इसे नासिक फैसिलिटी में असेंबल किया जाता है।
स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई में देरी
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते लड़ाकू विमानों की फ्लीट के लिए स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई में भी देरी हुई है। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल स्पेयर पार्ट्स की समस्या ज्यादा बड़ी नहीं है और निकट भविष्य में भी इसकी संभावना कम ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि उरी सर्जिकल स्ट्राइक और चल रहे चीन संघर्ष के बाद काफी मात्रा में इनका स्टॉक कर लिया था। हालांकि, यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले समय में इन पुर्जों और अन्य उपकरणों की आपूर्ति एक मुद्दा बन सकती है।