Highlights
- यूएस ने डोनेत्सक और लुहांस्क में सभी नए निवेश, व्यापार और वित्त पोषण पर रोक लगाई
- ऑस्ट्रेलिया भी रूस पर प्रतिबंधों का कर चुका है ऐलान
Russia Ukraine News: रूस के यूक्रेन पर हमले के बीच रूस पर क्या प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका रूस पर क्या असर पड़ता है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस मौजूदा वक्त में अतिरिक्त नकदी के ढेर पर बैठा हुआ है। ऐसे में रूस पर किसी भी स्तर के प्रतिबंध का असर कम हो सकता है। इसके साथ ही अमेरिका रूस पर ऐसे कोई प्रतिबंध नहीं लगाना चाहेगा जिसका असर यूक्रेन पर पड़े क्योंकि यूक्रेन की इकोनॉमी का हाल पहले से ही खस्ताहाल है। जानिए रूस पर क्या प्रतिबंध लगए गए हैं।
रूस पर ऑस्ट्रेलिया प्रतिबंधों का ऐलान कर चुका है। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मॉरिस पायने ने इस पाबंदी को लेकर कहा कि हम रूस के कदमों का विरोध करते हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी एक आदेश जारी कर अमेरिकी लोगों के डोनेत्सक और लुहांस्क में सभी नए निवेश, व्यापार और वित्त पोषण पर रोक लगा दी थी। यूरोपीय संघ में शामिल 27 देशों ने भी रूस के राजनेताओं और उद्योगपतियों के पाबंदी की बात कही। वहीं ब्रिटेन ने पांच रूसी बैंक और तीन अरबपतियों पर पाबंदी लगा दी है। उनकी संपत्ति भी फ्रीज की जा रही है।
ऑस्ट्रेलिया ने इन क्षेत्रों में लगाई पाबंदियां
विदेश मंत्री पायने ने कहा कि हम रूस की सुरक्षा परिषद के 8 सदस्यों पर यात्रा प्रतिबंध और लक्षित वित्तीय प्रतिबंध लगाएंगे। इस प्रतिबंध के तहत ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति/संस्थाएं रोसिया बैंक, प्रोम्सवाज़बैंक, आईएस बैंक, जेनबैंक और ब्लैक सी बैंक फॉर डेवलपमेंट एंड रिकंस्ट्रक्शन के साथ व्यापार नहीं कर पाएंगे। विदेश मंत्री पायने ने कहा कि क्रीमिया और सेवस्तोपोल पर लागू होने वाले मौजूदा प्रतिबंधों को डोनेट्स्क और लुहान्स्क तक बढ़ाने के लिए हम स्वायत्त प्रतिबंध विनियम 2011 में संशोधन करेंगे। यह परिवहन, ऊर्जा, दूरसंचार, तेल, गैस और खनिज क्षेत्रों में व्यापार पर रोक लगाने वाले डोनेट्स्क और लुहान्स्क में आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा। हम उन लोगों और संस्थाओं के दायरे को व्यापक रूप से विस्तृत करने के लिए विनियमों में भी संशोधन करेंगे जिन्हें ऑस्ट्रेलिया, रूस के लिए रणनीतिक और आर्थिक महत्व वाले प्रतिबंधों को शामिल करने के लिए सूचीबद्ध कर सकता है।
यूक्रेनी नागरिकों के वीजा का होगा विस्तार
पायने ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में जिस यूक्रेनी नागरिकों का वीजा 30 जून को समाप्त हो रहा है, उसके वीजा को 6 महीने के लिए स्वचालित विस्तार दिया जाएगा। यूक्रेनियन से बकाया वीजा आवेदनों को प्राथमिकता दी जाएगी और आव्रजन अधिकारियों द्वारा जल्द से जल्द निर्णय के लिए तेजी से ट्रैक किया जाएगा।
अमेरिका ने रूस पर क्या प्रतिबंध लगाए?
अमेरिका अपने नागरिकों को विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले इलाके लुहान्स्क और दोनेत्स्क में कारोबार करने से रोक सकता है। हालांकि कुछ अमेरिकी कंपनियां यहां कारोबार कर रही हैं। व्हाइट हाउस ने कहा है कि ये क़दम व्यापक प्रतिबंध से अलग हैं। अगर रूस यूक्रेन में और आगे बढ़ा तो पूरे प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
इन प्रतिबंधों का रूस पर क्या होगा असर?
वित्तीय प्रतिबंध
रूस पर अभी और जो वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाने हैं, उनमें एक है उसे स्विफ़्ट सिस्टम से अलग करना। स्विफ़्ट ( SWIFT) एक ग्लोबल मैसेजिंग सर्विस है। 200 देशों में हज़ारों वित्तीय संस्थाएं इसका इस्तेमाल करती हैं। इससे रूसी बैंकों के लिए विदेश में कारोबार करना काफ़ी मुश्किल हो जाएगा। इस प्रतिबंध का इस्तेमाल 2012 में ईरान के ख़िलाफ़ किया गया था। इसकी वजह से उसने तेल की बिक्री से होने वाली अपनी अच्छी-ख़ासी कमाई खो दी थी उसके विदेशी कारोबार को भी बड़ा झटका लगा था। लेकिन इस वित्तीय प्रतिबंध का नुक़सान अमेरिका और जर्मनी को भी होगा क्योंकि यहां के बैंक भी रूसी वित्तीय संस्थाओं से मज़बूती से जुड़े हैं। हालांकि रूस को तुरंत स्विफ़्ट सिस्टम से अलग नहीं किया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के उप-सलाहकार की मानें तो शुरुआती प्रतिबंधों में स्विफ़्ट से रूसी फ़ाइनेंशियल सिस्टम को हटाने की आशंका नहीं है।
डॉलर क्लीयरिंग
अमेरिका रूस को डॉलर में कारोबार करने से रोक सकता है। इसका मतलब ये कि पश्चिमी देशों की जो भी कंपनी रूसी संस्थाओं से डॉलर में कारोबार करेगी उसे जुर्माना देना पड़ेगा। यानी रूस की दुनिया से ख़रीद-फ़रोख्त की क्षमता सीमित हो जाएगी। रूस पर इस प्रतिबंध का गहरा असर होगा क्योंकि उसके तेल और गैस का ज़्यादातर कारोबार डॉलर में ही होता है।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से रूस को कर्ज नहीं मिलेगा
पश्चिमी देश अंतरराष्ट्रीय ऋण बाज़ार तक रूस की पहुंच रोक सकते हैं। पश्चिमी वित्तीय संस्थाओं और बैंकों की ओर से रूसी बॉन्ड ख़रीदने की क्षमता पहले ही कम कर दी गई है। ये प्रतिबंध और कड़े किए जा सकते हैं। इससे रूस को वित्तीय संसाधन जुटाने में काफ़ी मुश्किल होगी रूसी अर्थव्यवस्था के लिए अंतरराष्ट्रीय क़र्ज़ बेहद ज़रूरी है। रूस को महंगा क़र्ज़ लेना होगा। रूसी मुद्रा रूबल भी कमज़ोर हो सकती है। हालांकि रूस ने विदेशी निवेशकों से क़र्ज़ लेना कम कर दिया हैं
बैंकों पर रोक
अमेरिका सीधे तौर पर कुछ रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगा सकता है। इससे दुनिया में किसी के लिए भी इन बैंकों से कारोबार असंभव हो जाएगा। लिहाज़ा रूस को अपने इन बैंकों को बेलआउट करना होगा। उसे देश में बढ़ती महंगाई और आय में कमी की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है।
निर्यात पर नियंत्रण
पश्चिमी देश रूस को किए जाने कुछ कमोडिटी का निर्यात रोक सकते हैं। मिसाल के तौर पर अमेरिका उन कंपनियों को रूस को कोई भी ऐसा सामान बेचने से रोक सकता है जिनमें अमेरिकी टेक्नोलॉजी सॉफ़्टवेयर या उपकरण का इस्तेमाल हुआ है। इनमें सेमी कंडक्टर माइक्रो चिप शामिल हैं। आजकल कार से लेकर स्मार्ट फ़ोन बनाने तक में इनका इस्तेमाल होता है। मशीन टूल्स और कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने में भी इनका इस्तेमाल हो रहा है। इससे न सिर्फ़ रूस के डिफ़ेंस और एयरोस्पेस सेक्टर को नुक़सान पहुंचेगा, बल्कि उसकी पूरी अर्थव्यवस्था पर संकट गहराएगा।