रूस और यूक्रेन संकट और गहरा गया है। रूस की सैन्य कार्रवाई में सबसे ज्यादा खौफ उन बच्चों को लेकर हो रहा है जो वहां पढ़ाई के लिए गए हैं और फंस गए हैं। हालांकि भारत सरकार ऑपरेशन गंगा के तहत छात्रों को स्वदेश लाया जा रहा है लेकिन खाकरीव में फंसे मेडिकल स्टूडेंट अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। खासकर मेडिकल फर्स्ट इयर के बच्चों में काफी खौफ है।
यहां मेडिकल की पढाई कर रहे यूपी के ग्रेटर नोएडा जिले के अक्षांक शर्मा उर्फ अंशुल भी खारकीव यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में फंस गया है। उसके माता पिता ने कुछ महीने पहले ही अंशुल को यहां मेडिकल पढ़ाई के लिए भेजा था।
अंशुल ने फोन पर बताया कि जब रूस और यूक्रेन के बीच तनाव था और युद्ध की संभावना बन रही थी, तब ही उसके माता पिता ने उसे सुरक्षित लौटाने के लिए 20 फरवरी की एयर इंडिया की टिकट बुक करवा दी थी। लेकिन एक चूक के चलते अंशुल उस फ्लाइट से नहीं आ पाया और वहीं फंस कर रह गया।
अंशुल ने बताया कि उसकी 20 फरवरी की एयरइंडिया की फ्लाइट बुक हो गई थी। उसके साथ के कुछ दोस्त भी उसी दिन लौट रहे थे। लेकिन फिर अंशुल को यूनिर्विसिटी की तरफ से कहा गया कि इतनी जल्दी उन्हें पीआर नहीं दिया जा सकता। दरअसल पीआर वो सर्टिफिकेट है कि जब स्थिति सामान्य होने पर छात्र लौटे तो उसे वीजा और इमीग्रेशन संबंधी औपचारिकताओं के लिए अलग से रकम ना देनी पड़े।
तब अंशुल को पीआर नहीं मिला और उसने 20 की टिकट कैंसल करके 26 फरवरी की टिकट बुक करवा ली जिससे उसे पीआर मिल जाए।
लेकिन दुर्योग देखिए कि अंशुल के लौटने से दो दिन पहले ही रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ गया और 24 तरीख को ही एयर इंडिया की फ्लाइट को वापस लौटना पड़ा।
अगर पीआर के चक्कर में अंशुल की टिकट कैंसिल ना हुई होती तो 20 तारीख को ही अंशुल यूक्रेन से लौट आता और आज सुरक्षित अपने माता पिता के साथ होता।
एक तरफ अंशुल और उसके जैसे बच्चे धमाकों की गूंज के बीच सहमे दिन काट रहे हैं और दूसरी तरफ उसके माता पिता बैचेन और खौफजदा है और लगातार बच्चे के लौटने की आस लगाए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं।