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Russia Ukraine News: रूस पर पाबंदियों के बाद भारत ले पाएगा S-400 मिसाइल सिस्टम? क्या होगा अमेरिका का स्टैंड, जानिए एक्सपर्ट्स की राय

भारत के 70 फीसदी सैन्य हार्डवेयर रूस में बने हुए हैं। ऐसे में इनकी मरम्मत के लिए समय-समय पर रूस से स्पेयर पार्ट्स खरीदे जाते हैं। अब ऐसे में कई तरह के सवाल उठते हैं। क्या रूस से हथियार खरीदने के बाद हमारे अमेरिका से रिश्ते खराब होंगे?

Written by: Puneet Saini
Updated on: March 03, 2022 14:50 IST
Russia Ukraine News- India TV Hindi
Image Source : PTI Russia Ukraine News

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में कई देशों ने बड़े फैसले लिए हैं। अमेरिका ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए कई चीजों पर रोक लगा दी है। भारत ने UN में हुई वोटिंग से लगातार दूरी बनाई हुई है। इस बीच दिल्ली में तैनात रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने भरोसा दिया है कि भारत को पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच S-400 मिसाइल सिस्टम और दूसरे सैन्य स्पेयर पार्ट्स की निर्बाध आपूर्ति जारी रहेगी। 

भारत के 70 फीसदी सैन्य हार्डवेयर रूस में बने हुए हैं। ऐसे में इनकी मरम्मत के लिए समय-समय पर रूस से स्पेयर पार्ट्स खरीदे जाते हैं। अब ऐसे में कई तरह के सवाल उठते हैं। क्या रूस से हथियार खरीदने के बाद हमारे अमेरिका से रिश्ते खराब होंगे? क्योंकि अमेरिका हर जगह यूक्रेन के साथ ही नज़र आ रहा है और भारत, रूस के साथ डील कर रहा है। 

UN में वोट नहीं देकर भारत ने सही किया?

मेजर जनरल संजय मेस्टन (रि.) से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि कोई असर पड़ेगा। क्योंकि हमारी हमारी पार्टनरशिप हमेशा रूस के साथ रही है। अब हम लोग अमेरिका से भी डील करने लगे हैं। दोनों देशों से हम बराबर बिना किसी भेदभाव के डील करते हैं। हम लोगों की हर जगह अप्रोच भी बिल्कुल बैलेंस रही है। अमेरिका से भी बिल्कुल मुंह नहीं फेरा जा सकता है। इसलिए हमने यूएन में भी बिल्कुल सही किया। हम लोगों ने UN में वोट नहीं देकर ये साबित भी कर दिया कि हमें रूस और यूक्रेन के मामले पर सीधा हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।'

UN में भारत के रुख पर बात करते हुए मेस्टन आगे कहते हैं, 'हम वोट फॉर रशिया करते तो नज़र आता कि हम एक उग्र देश के साथ हैं, जिसका दुनियाभर में गलत मैसेज भी जाता। हमने इस पर किनारा करके ये भी दिखा दिया है कि हम पूरे मसले पर यूएन के साथ है। इसलिए इसमें कोई दोराय नहीं है कि हमने बिल्कुल सही कदम उठाया है।

रि. मेजर जनरल एस.पी सिन्हा (विशिष्ट सेवा मेडल) से जब इस पर पूछा तो उन्होंने कहा ,'हम लोग पहले सिर्फ रूस से हथियार लेते थे और अब हम अमेरिका से भी हथियार ले रहे हैं। अमेरिका से हथियार लेने के फायदे भी हैं क्योंकि इससे मार्केट में प्रतिस्पर्धा बनी रहती है। भारत के पास भी दो ऑप्शन होंगे। अमेरिका के लिए भी ये मजबूरी है कि वो भारत के साथ डील कर रहा है।'

अब सवाल है कि अगर भारत रूस से हथियार लेता है तो क्या अमेरिका से रिश्ते खराब होंगे? एसपी सिन्हा ने इसके जवाब में कहा, 'भारत के रिश्ते दोनों देशों से खराब नहीं होंगे। दरअसल ये लड़ाई रूस के किंग बनने की इच्छा से शुरू हुई है। वो एक पाइपलाइन बनाना चाहता था जो जर्मनी तक जाए, इससे वह पेट्रोल-डीजल सप्लाई करता। लेकिन यूक्रेन बीच में आ रहा था। इसलिए ये पूरा युद्ध भी छिड़ा है। क्योंकि NATO लगातार यूक्रेन पर कंट्रोल करने का प्रयास कर रहा था। भारत का इसमें कोई लेना-देना नहीं है।'

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