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रूस चांद पर लगाने जा रहा है बड़ी छलांग, बनाएगा न्यूक्लियर पावर प्लांट; भारत और चीन भी देंगे साथ

रूस चंद्रमा में न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की तैयारी में है। रूस की इस परियोजना का मकसद चंद्रमा में बनने वाले बेस को ऊर्जा की आपूर्ति करना है। रूस का यह कदम बेहद अहम और अंतरिक्ष में नए युग की शुरुआत का संकेत है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: September 09, 2024 12:25 IST
Russia To Set up Nuclear Power Plant on Moon- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Russia To Set up Nuclear Power Plant on Moon

Nuclear Power Plant On Moon: रूस ने अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों में एक और बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। रूस अब चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह परियोजना ना केवल रूस की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करेगी बल्कि चांद पर मानव बस्तियां बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। रूस का मकसद चंद्रमा पर ऊर्जा के स्थायी स्रोत की स्थापना करना है। चंद्रमा पर लंबे समय तक वैज्ञानिक अनुसंधान और मानव उपस्थिति के लिए ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करना बेहद महत्वपूर्ण है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र इस दिशा में एक अहम कदम होगा जिससे ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। इस पूरी कवायद में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें रूस को भारत और चीन का साथ मिल सकता है। 

चीन और भारत की भी है रुचि

रूस के राज्य परमाणु निगम रोसाटॉम के नेतृत्व में इस प्रोजेक्ट को बनाया जाना है। यूरोएशियन टाइम्स की रिपोर्ट में रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन रूस के साथ मिलकर चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट लगा सकते हैं। रूसी समाचार एजेंसी तास ने रोसाटॉम के चीफ एलेक्सी लिखाचेव के हवाले से यह जानकारी दी है। रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में लिखाचेव ने कहा, ‘हमारे चीनी और भारतीय साझेदार इस प्रोजेक्ट में रुचि रख रहे हैं।’ रोसाटॉम रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी है, जिसके भारत के साथ भी संबंध हैं।

बेहद उन्नत होगी तकनीक

परमाणु ऊर्जा संयंत्र को चंद्रमा की कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाएगा। यह संयंत्र छोटे, मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों पर आधारित होगा, जो चंद्रमा की सतह पर विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए जा सकते हैं। इन रिएक्टरों का निर्माण और संचालन पूरी तरह से स्वचालित होगा, जिससे मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता कम होगी। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के संचालन में सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा की होती है। रूस इस बात को सुनिश्चित करेगा कि संयंत्र का निर्माण और संचालन उच्चतम सुरक्षा मानकों के अनुरूप हो। इसके अलावा, चंद्रमा की पर्यावरणीय स्थिति को बनाए रखने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे ताकि किसी भी प्रकार का रेडियोधर्मी उत्सर्जन ना हो।

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Image Source : FILE AP
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मिलेगी इतनी ऊर्जा

रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोसाटॉम ने मई में घोषणा की थी कि न्यूक्लियर पावर प्लांट पर काम चल रहा है। साल 2021 में रूस और चीन ने इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) नाम से एक संयुक्त चंद्र बेस बनाने की योजना का एलान किया था। यह 2035 और 2045 के बीच चालू हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत 2040 तक चांद पर इंसानों को भेजने और वहां एक बेस बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इस लिहाज से भारत की इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी लाजमी है। रूसी समाचार एजेंसी ताक के मुताबिक, रोसाटॉम की अगुवाई में बनने वाले इस न्यूक्लियर पावर प्लांट से आधा मेगावाट तक बिजली पैदा होगी। 

नए युग की शुरुआत 

वैसे देखा जाए तो रूस का यह कदम अंतरिक्ष में नए युग की शुरुआत का संकेत है। चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना से ना केवल चंद्रमा पर दीर्घकालिक मिशनों की संभावना बढ़ेगी, बल्कि यह मंगल और उससे आगे के अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी एक मजबूत आधार स्थापित करेगा। रूस की इस पहल से अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई संभावनाएं खुलेंगी। चंद्रमा पर मानव बस्तियों के सपने को साकार करने में मदद भी मिलेगी।

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