Highlights
- रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी
- कजाकिस्तान पर हो सकता है हमला
- पुतिन के दोस्त ने शेयर किया पोस्ट
Russia Next Invasion: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी दोस्त ने सोशल मीडिया पोस्ट में खुलासा किया कि यूक्रेन के बाद अब किस देश पर हमला किया जा सकता है। उन्होंने पोस्ट करने के कुछ सेकंड बाद ही उसे डिलीट कर दिया। पुतिन के आदेश पर रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध चल रहा है। इस दंग को पांच महीने हो गए हैं, लेकिन इसके थमने के आगे भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे। पुतिन की सेना को काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है, जबकि पश्चिमी देशों की मदद से अभी तक युद्ध में टिके हुए यूक्रेन में सैनिकों के अलावा बड़ी संख्या में आम नागरिकों की मौत हुई है।
रूस को युद्ध के चलते हो रहे नुकसान के बाद ऐसा माना जा रहा था कि रूस शायद अब जंग को आगे नहीं बढ़ाएगा और किसी और देश पर हमला नहीं करेगा। लेकिन रूस के पू्र्व राष्ट्रपति और वर्तमान रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के उप प्रमुख दमित्री मेदवेदेव की हालिया पोस्ट के बारे से विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं। ये पोस्ट 2 अगस्त को शेयर किया गया था।
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें बताया गया कि आज का उत्तरी कजाकिस्तान "ऐतिहासिक रूप से" रूस का हिस्सा था। फिर पोस्ट को तुरंत हटा दिया गया। इसे बाद में हैकिंग बताया जा रहा है। जेम्सटाउन फाउंडेशन रिसर्च ग्रुप के लिए यूरेशिया विशेषज्ञ लेखन पॉल ग्लोब का दावा है कि अधिकतर रूसी टिप्पणीकारों का मानना है कि पोस्ट वास्तव में क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) में बैठे कई लोगों के इरादों को दर्शाती है।
कजाकिस्तान से नाराज है रूस
ग्लोब ने लिखा, "इसलिए, कई क्रेमलिन विश्लेषक सुझाव दे रहे हैं कि कजाकिस्तान रूसी राष्ट्रपति का अगला लक्ष्य हो सकता है।" ग्लोब ने कहा कि क्रेमलिन कजाकिस्तान के नेतृत्व से गुस्सा है, वह उनकी "अहसान फरामोशी" के लिए "नाराज" है। रूस ने इस साल जनवरी में देश में विद्रोह को कुचलने में मदद की थी। मॉस्को इसी बात से गुस्सा है और नूर-सुल्तान (कजाकिस्तान की राजधानी) अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
पुतिन क्यों कर सकते हैं हमला?
ग्लोब ने कजाकिस्तान की ओर रूस के कदम के लिए तीन संभावित कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। पहला- कजाकिस्तान भी पश्चिमी प्रभाव के मामले में यूक्रेन की तरह उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। दूसरा- रूस को मध्य एशिया में अपना प्रभाव खोने का डर है और तीसरा- कजाकिस्तान 'रूस के उत्तर में इस्लामी विस्तार' की दिशा में एक कदम है।
पुतिन हमला क्यों नहीं करेंगे?
उन्होंने पुतिन द्वारा इस देश पर हमला न करने की तीन वजहें भी बताई हैं। पहली- पुतिन की सेना यूक्रेन में लंबे समय से फंसी हुई है और कुछ और दिनों तक वहीं रह सकती है। दूसरा- कजाकिस्तान में जातीय रूसियों की संख्या तेजी से घट रही है। यह 1989 में 38 प्रतिशत आबादी से गिरकर आज 18 प्रतिशत हो गई है। तीसरा- मॉस्को का दूसरों को परेशान करने और एक्शन लेने का इतिहास रहा है। रूस कजाकिस्तान के नेताओं का समर्थन लेने के लिए ऐसा कर सकता है। और फिर वह वापस भी पीछे हट सकता है।
मदद की आस में बैठा यूक्रेन
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने गुरुवार को पश्चिमी देशों का आह्वान किया कि रूस के हमला शुरू करने के बाद करीब साढ़े पांच महीने से जूझ रही यूक्रेन की सेना की मदद के लिए और अधिक धन मुहैया कराया जाए। यूक्रेन में हथियार, प्रशिक्षण और बारूदी सुरंगों को हटाने के लिए वित्तपोषण को मजबूत करने के मकसद से डेनमार्क में एक सम्मेलन में रक्षा अधिकारियों को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने कहा, ‘जितनी जल्दी हम रूस को रोकेंगे, उतना जल्द हम सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।’ यूक्रेन से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें हमारी रक्षा के लिए हथियार और गोला-बारूद की जरूरत है।’
कोपेनहेगन का सम्मेलन जर्मनी में एक अमेरिकी वायु सैनिक केंद्र में अप्रैल में हुई बैठक के बाद हो रहा है। डेनमार्क की राजधानी में आयोजित हुए सम्मेलन में भाग लेने वाले यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने पत्रकारों से कहा कि इस समय देश की प्राथमिकता और अधिक लड़ाकू विमान खरीदना है।