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Ukraine War: रूस ने बदला यूक्रेन युद्ध का मकसद! विदेश मंत्री ने बताई पुतिन के 'मन की बात', निशाने पर देश नहीं बल्कि ये एक शख्स

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रविवार को मिस्र के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए काहिरा पहुंचे थे। यूक्रेन पर आक्रमण करने के कारण पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों से रूस निकलने के लिए प्रयासरत है।

Written By: Shilpa
Published : Jul 26, 2022 11:34 IST, Updated : Jul 26, 2022 11:39 IST
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Image Source : PTI russia-ukraine war

Highlights

  • रूस ने यूक्रेन युद्ध का लक्ष्य बदला
  • विदेश मंत्री ने बताया क्या है मकसद
  • अब एक ही आदमी है निशाने पर

Russia Changed Motive of Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच बीते करीब पांच महीनों से जंग जारी है, जो दिन बीतने के साथ ही अधिक भीषण हो रही है। इस जंग को रूस ने यूक्रेन पर हमले का नाम न देकर विशेष सैन्य अभियान बताया था। उसने कहा था कि वह पूर्वी यूक्रेन में रहने वाले लोगों को बचाने के लिए ऐसा कर रहा है। ये लोग रूस समर्थित अलगाववादी माने जाते हैं। रूस का कहना है कि यूक्रेन इनके साथ नरसंहार कर रहा है। उसने युद्ध शुरू करने के साथ ही इस क्षेत्र के दो शहर दोनेत्सक और लुहांस्क को भी आजाद देशों के तौर पर घोषित कर दिया था। उसने इसी को अपना उद्देश्य बताया था। लेकिन अब रूस ने अपने मकसद में बदलाव कर लिया है। अब ये युद्ध किसी देश नहीं बल्कि सिर्फ एक शख्स के खिलाफ माना जा रहा है। 

यूक्रेन के शहरों पर रूसी तोपों और विमानों के हमले जारी रहने के बीच रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि उनके देश का लक्ष्य यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की की सरकार को उखाड़ फेंकना है। इससे ऐसा जान पड़ता है कि रूस ने अपना लक्ष्य बदल लिया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की टिप्पणी यूक्रेन द्वारा अपने काला सागर बंदरगाहों से अनाज के निर्यात को बहाल करने के प्रयास के बीच आई है। अनाज निर्यात बहाल होने से दुनिया में खाद्यान्न की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। काहिरा में रविवार को अरब लीग सम्मेलन में लावरोव ने कहा कि रूस यूक्रेनवासियों को ‘इस बिल्कुल अस्वीकार्य शासन के बोझ से मुक्त कराने में मदद करने के लिए’ दृढ़संकल्प है।

दुष्प्रचार करने का लगाया आरोप 

लावरोव ने यूक्रेन और ‘उसके पश्चिमी सहयोगियों’ पर यह सुनिश्चित करने के लिए दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया कि यूक्रेन ‘रूस का सार्वकालिक दुश्मन है।’ उन्होंने कहा, ‘रूसी और यूक्रेनी लोग आगे भी एक साथ रहेंगे, हम निश्चित ही यूक्रेन के लोगों को इस शासन से मुक्ति दिलाने में मदद करेंगे, जो बिल्कुल जन-विरोधी एवं इतिहास -विरोधी है।’ लावरोव की टिप्पणी युद्ध के प्रारंभ में क्रेमलिन की ओर से आए बयानों के बिल्कुल विपरीत हैं । तब रूसी अधिकारियों ने बार बार कहा था कि वे जेलेंस्की की सरकार को उखाड़ फेंकने की चेष्टा नहीं कर रहे हैं। लावरोव ने कहा कि रूस मार्च में ही शत्रुता समाप्त करने के लिए करार के वास्ते बातचीत को तैयार था लेकिन यूक्रेन ने रूख बदल लिया और रणभूमि में रूस का सफाया करने के अपने इरादे का ऐलान कर दिया। 

उन्होंने कहा , ‘पश्चिमी देशों ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन को तब तक बातचीत नहीं करनी चाहिए जब तक युद्ध के मैदान में रूस को पराजित नहीं कर दिया जाता है।" रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रविवार को मिस्र के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए काहिरा पहुंचे थे। यूक्रेन पर आक्रमण करने के कारण पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों से रूस निकलने के लिए प्रयासरत है। रूस के सरकारी टेलीविजन नेटवर्क ‘आरटी’ के अनुसार, लावरोव अपनी अफ्रीका यात्रा के पहले चरण के तहत शनिवार देर रात काहिरा पहुंचे थे। वह इस दौरान इथियोपिया, युगांडा और कांगो गणराज्य में भी रुकेंगे।

मिस्र के राष्ट्रपति से बातचीत की

‘आरटी’ के अनुसार लावरोव ने रविवार को पहले मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और उसके बाद मिस्र के अपने समकक्ष समेह शुकरी के साथ बातचीत की। लावरोव के बाद में अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घीत से मिलने का कार्यक्रम है। वह अरब संगठन को भी संबोधित करेंगे। शुकरी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में, लावरोव ने कहा कि उन्होंने यूक्रेन में रूस के 'सैन्य अभियान' पर मिस्र के अधिकारियों के साथ चर्चा की, जिन्होंने संघर्ष का ‘राजनीतिक और कूटनीतिक’ समाधान का आग्रह किया। लावरोव ने पहले की शांति वार्ता के टूटने के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘विभिन्न मुद्दों पर बातचीत फिर से शुरू करने को लेकर हमारे मन में कोई पूर्वाग्रह नहीं है, लेकिन यह हम पर निर्भर नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन के अधिकारी, राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से लेकर उनके सलाहकारों तक, लगातार कहते रहे हैं कि जब तक यूक्रेन युद्ध के मैदान में रूस को हरा नहीं देता तब तक कोई बातचीत नहीं होगी।’ लावरोव ने काहिरा में कहा कि रूसी अनाज निर्यातक यूक्रेन के बंदरगाहों से अनाज लदान को खोलने के लिए मास्को और कीव द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त राष्ट्र समर्थित सौदों के मद्देनजर अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस क्षेत्र में सहयोग के विशिष्ट मापदंडों पर चर्चा की, संबंधित मंत्रालयों के बीच आगे के संपर्कों पर सहमति व्यक्त की और अनाज संकट के कारणों को लेकर हमारी एक साझा समझ है।’’

विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ा गंभीर प्रभाव

यूक्रेन में रूस के युद्ध का विश्व अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिससे तेल और गैस की कीमतें अपने अभूतपूर्व उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। यूक्रेन गेहूं, मक्का के अलावा सूरजमुखी के तेल का दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है, लेकिन देश पर रूस के आक्रमण और इसके बंदरगाहों की सैन्य नाकाबंदी ने खेपों को रोक दिया है। कुछ यूक्रेनी अनाज यूरोप के रास्ते से रेल, सड़क और नदी द्वारा ले जाया जाता है, लेकिन इसमें परिवहन लागत बढ़ जाती है। युद्ध ने रूसी उत्पादों की खेपों को बाधित कर दिया है क्योंकि परिवहन और बीमा कंपनियां देश पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से निपटना नहीं चाहती। 

अफ्रीकी देश युद्ध के प्रभावों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसने अफ्रीका और पश्चिम एशिया के संघर्ष वाले क्षेत्रों में लाखों लोगों को भोजन और अन्य वस्तुओं से प्रभावित किया है। रूसी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लेख में, लावरोव ने पश्चिमी देशों के इन आरोपों को खारिज किया कि रूस वैश्विक खाद्य संकट के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने इसे ‘दोष अन्य पर मढ़ने का एक और प्रयास’ करार दिया। लावरोव का यह लेख चार अन्य समाचारपत्रों में भी प्रकाशित हुआ है।

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