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रूस का आर्म्स सप्लायर जिसे कहते हैं 'मौत का सौदागर', जानिए कौन है विक्‍टर बाउट?

कुख्यात हथियार तस्करों में विक्टर बाउट का नाम सबसे प्रमुख है। इसे'मर्चेंट ऑफ डेथ' के नाम से भी जाना जाता है। विक्टर बाउट ने अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के कई संघर्ष क्षेत्रों में हथियारों की सप्लाई की है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: October 09, 2024 13:57 IST
Russia arms supplier viktor Bout- India TV Hindi
Image Source : FILE AP Russia arms supplier viktor Bout

Merchant Of Death: 'गॉडफादर ऑफ आर्म्स', रूसी हथियार डीलर विक्टर बाउट को लेकर एक फिर दुनियाभर में चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि जेल से रिहा होने के बाद बाउट यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को हथियार सप्लाई करने में शामिल है। विक्टर बाउट, जिसे उसके हथियार तस्करी नेटवर्क के कारण 'मर्चेंट ऑफ डेथ' के नाम से भी जाना जाता है, को WNBA स्टार ब्रिटनी ग्रिनर के बदले कैदी के रूप में रिहा किया गया था। तो चलिए इस रिपोर्ट में हम आपको 'गॉडफादर ऑफ आर्म्स' का मतलब समझाते हैं साथ ही यह भी बताते हैं कि आखिर ये विक्टर बाउट है कौन।

क्या है 'गॉडफादर ऑफ आर्म्स' का मतलब

'गॉडफादर ऑफ आर्म्स' का मतलब उन लोगों से है जो हथियारों के व्यापार, तस्करी या वितरण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन्हें इस नाम से इसलिए पुकारा जाता है क्योंकि ये लोग अपने क्षेत्र में बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली होते हैं। ये लोग गुप्त और अवैध तरीके से हथियारों की सप्लाई करते हैं और इनके नेटवर्क में कई देशों के अपराधी, आतंकवादी संगठन और सरकारी अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।

प्रमुख है यह नाम

'गॉडफादर ऑफ आर्म्स' का इतिहास बहुत पुराना है। हथियारों का अवैध व्यापार सदियों से चल रहा है, लेकिन 20वीं सदी में इसने बड़े पैमाने पर रफ्तार पकड़ी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कई देशों में हथियारों की भारी मात्रा में मांग बढ़ी। इसी दौर में कई कुख्यात हथियार तस्करों का उदय हुआ, जिन्होंने अवैध तरीके से हथियारों का व्यापार कर भारी मुनाफा कमाया। इनमें विक्टर बाउट का नाम सबसे प्रमुख है, जिसे 'मर्चेंट ऑफ डेथ' के नाम से भी जाना जाता है। बाउट ने अफ्रीका, मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हथियारों की तस्करी की है। 2008 में उसे थाईलैंड में गिरफ्तार किया गया था और बाद में अमेरिका में दोषी ठहराया गया।

 viktor Bout

Image Source : FILE AP
viktor Bout

कौन है विक्टर बाउट?

विक्टर बाउट कुख्यात रूसी हथियार तस्कर है। बाउट का जन्म 13 जनवरी 1967 को सोवियत संघ (अब ताजिकिस्तान) में हुआ था। विक्टर बाउट ने सोवियत सैन्य बलों में एक अनुवादक के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। उसे कई भाषाओं का ज्ञान है और इसी वजह से बाउट को व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मदद मिली। सोवियत संघ के विघटन के बाद, बाउट ने एक एयर कार्गो कंपनी शुरू की, जो बाद में उसके अवैध हथियारों के व्यापार का माध्यम बनी।

गिरफ्तारी और सजा

विक्टर बाउट पर आरोप है कि उसने अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के कई संघर्ष क्षेत्रों में हथियारों की आपूर्ति की है। वह सरकारों, विद्रोही समूहों और आतंकवादी संगठनों को हथियार बेचता था। अपनी इन्हीं गतिविधियों के कारण वह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों के रडार पर आ गया। 2008 में, थाईलैंड में अमेरिकी ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) के एक ऑपरेशन के दौरान बाउट को गिरफ्तार किया गया था। इस ऑपरेशन में, एजेंटों ने कोलंबिया के रेवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस (FARC) के सदस्य बनकर बाउट से हथियार खरीदने की कोशिश की थी। बाद में, 2010 में, बाउट को अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया, जहां 2011 में उसे आतंकवादी संगठनों को सहायता प्रदान करने, हत्या की साजिश और मिसाइलों की तस्करी के आरोप में दोषी ठहराया गया। बाउट को 25 साल की सजा सुनाई गई।

बन चुकी है फिल्म

विक्टर बाउट के कार्यों पर आधारित एक फिल्म भी बनी है। फिल्म 'लॉर्ड ऑफ वार' (2005) में निकोलस केज ने मुख्य भूमिका निभाई है। बाउट की कहानी एक ऐसे शख्स की है जिसने अपने लाभ के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और नीतियों का उल्लंघन किया और कई निर्दोष लोगों की जान खतरे में डाली।

Arms Smuggling (सांकेतिक तस्वीर)

Image Source : FILE AP
Arms Smuggling (सांकेतिक तस्वीर)

कैसे काम करता है नेटवर्क

कहते हैं कि, विक्टर बाउट का नेटवर्क कई देशों में फैला है। यह नेटवर्क विभिन्न स्रोतों से हथियार प्राप्त करते हैं, जैसे कि चोरी, अवैध निर्माण और सरकारी गोदामों से चोरी। इसके बाद ये हथियारों को विभिन्न माध्यमों से दुनियाभर में भेजे जाते हैं। इनमें समुद्री मार्ग, हवाई मार्ग और सड़क मार्ग शामिल हैं। इस नेटवर्क में कई लोग शामिल होते हैं, जिनमें निर्माता, तस्कर, बिचौलिए और वितरक होते हैं। ये सभी मिलकर एक संगठित नेटवर्क बनाते हैं। इसी नेटवर्क से पूरा काम होता है। 

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