Highlights
- जापोरिज्जिया का एक हिस्सा अभी भी है यूक्रेन के कब्जे में
- रूस ने जापोरिज्जिया को अपने देश में विलय कर लिया है।
- जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है।
Russia-Ukraine War: यूक्रेन के सबसे महत्वपूर्ण राज्य जापोरिज्जिया को भले ही रूस ने अपने देश में मिला लिया हो, लेकिन अभी भी यूक्रेनी सैनिकों से वहां उसे भीषण संघर्ष करना पड़ रहा है। इसलिए रूस ने फिर से जापोरिज्जिया पर मिसाइल और ड्रोन से घातक हमला किया है। दक्षिण यूक्रेन के एक शहर में अपार्टमेंट इमारतों पर किए गए रूसी मिसाइल हमलों में मृतकों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। अभी जापोरिज्जिया का कुछ क्षेत्र यूक्रेन के भी कब्जे में है।
इसीलिए रूस के विस्फोटकों से भरे ड्रोन ने शुक्रवार को यूक्रेन के कब्जे वाले जापोरिज्जिया को निशाना बनाया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। क्षेत्रीय गवर्नर ओलेक्जेंडर एस.ने कहा कि ईरान में निर्मित शहेद-136 ड्रोन से जापोरिज्जिया शहर में हमले किए गए जिससे बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि उनका पहली बार इस्तेमाल वहां किया गया था।
जापोरिज्जिया में है यूक्रेन का परमाणु संयंत्र
यूक्रेन की आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि एक दिन पहले रूसी एस-300 मिसाइल हमलों में मृतकों की संख्या बढ़कर 11 हो गई और ध्वस्त मकानों के मलबे से 21 लोगों को बचाया गया। हाल में रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना करते हुए जापोरिज्जिया प्रांत के अपने देश में विलय की घोषणा की थी। इस प्रांत में यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थित है। इस बीच बेलारूस के, जेल में बंद अधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी समूह ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के संगठन ‘सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज’ को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। यूक्रेन के संगठन को ऐसे समय पर पुरस्कार के लिए चुना गया है जब यूक्रेन फरवरी से रूस के हमलों का सामना कर रहा है और दोनों देशों की सेनाएं कई इलाकों में आमने-सामने हैं।
यूक्रेन के संगठन को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
इसके अलावा, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए उनके 70वें जन्मदिन पर यूक्रेन के एक संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना जाना किसी झटके से कम नहीं है। नोबेल कमेटी की प्रमुख बेरिट रीज एंडरसन ने शुक्रवार को ओस्लो, नार्वे में नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की। एंडरसन ने कहा कि कमेटी “एक दूसरे के पड़ोसी देशों बेलारूस, रूस और यूक्रेन में मानवाधिकार, लोकतंत्र व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के इन तीन बड़े पैरोकारों” को सम्मानित करना चाहती है। उन्होंने ओस्लो में पत्रकारों से कहा, “इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं ने मानवीय मूल्यों व कानूनी सिद्धांतों का समर्थन और सैन्य कार्रवाई का विरोध करके सभी राष्ट्रों के बीच शांति व सौहार्द के अल्फ्रेड नोबेल के विचार को पुनर्जीवित किया है। यह एक ऐसा विचार है, जिसकी आज दुनिया को बेहद जरूरत है।