रूस ने लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडरों (एलजीबीटी) के आंदोलन' को अब चरमपंथी और आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ दिया है। इससे एलजीबीटी संगठनों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। यह कदम पिछले नवंबर में रूस के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप था कि एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को चरमपंथी के रूप में नामित किया जाना चाहिए। यह एक ऐसा कदम है, जिसके बारे में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें इससे गिरफ्तारी और मुकदमा चलाया जा सकने का डर सता रहा है।
राज्य मीडिया ने शुक्रवार को कहा कि रूस ने "एलजीबीटी आंदोलन" को चरमपंथी और आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ दिया है। यह सूची रोसफिनमोनिटोरिंग नामक एजेंसी द्वारा बनाई जाती है, जिसके पास चरमपंथी और आतंकवादी के रूप में नामित 14,000 से अधिक लोगों और संस्थाओं के बैंक खातों को फ्रीज करने की शक्ति है। इनमें अल-कायदा से लेकर अमेरिकी तकनीकी दिग्गज मेटा और दिवंगत रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी के सहयोगी शामिल हैं।
रूस ने पिछले दशक से ऐसे संगठनों पर किए हैं कड़े प्रतिबंध
राज्य समाचार एजेंसी आरआईए ने कहा कि नई सूची "अंतर्राष्ट्रीय एलजीबीटी सामाजिक आंदोलन और इसकी संरचनात्मक इकाइयों" को संदर्भित करती है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पारिवारिक मूल्यों के प्रति इस बदलाव को पतनशील पश्चिमी दृष्टिकोण मानते हैं। इसलिए रूस ने पिछले एक दशक में यौन अभिविन्यास और लिंग पहचान की अभिव्यक्तियों पर प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं। रूस ने "गैर-पारंपरिक" यौन संबंधों को बढ़ावा देने पर रोक लगाने वाले कानून पारित किए हैं और लिंग के कानूनी या चिकित्सीय परिवर्तनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यह भी पढ़ें
धरती पर भूटान में है ऐसी जगह, जहां आज तक नहीं पहुंच पाए इंसानों के कदम
दुनिया में सामने आई एक ऐसी बीमारी जो खूबसूरत इंसानों के चेहरे को बना रही राक्षस