Highlights
- पहले लिज ट्रस से हारे थे ऋषि सुनक
- लिज ट्रस ने 45 दिनों में दे दिया इस्तीफा
- सुनक के पीएम बनते ही दी बधाई
Rishi Sunak-Liz Truss: भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन का नए प्रधानमंत्री बन इतिहास रच दिया है। ठीक दिवाली के दिन पेनी मॉर्डंट के दौड़ से हटने की घोषणा के बाद सुनक को कंजरवेटिव पार्टी का निर्विरोध नेता चुना गया। सुनक 210 वर्षों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले सबसे युवा नेता है। 42 साल के ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री सुनक एक धर्मनिष्ठ हिंदू हैं और अब वह लंदन स्थित 10 डाउनिंग स्ट्रीट में प्रवेश करने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास-सह-कार्यालय है।
सुनक आज से करीब छह हफ्ते पहले भी पीएम पद की दौड़ में शामिल हुए थे, लेकिन तब वह लिज ट्रस से हार गए। हालांकि लिज केवल 45 दिन तक ही पीएम की कुर्सी संभाल पाईं। उन्हें अपने गलत फैसलों के कारण इस्तीफा देना पड़ा है। ट्रस ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए करों को कम करने के वादों के साथ जीत हासिल की, लेकिन अपने मिनी-बजट के बाद बाजारों में वित्तीय उथल-पुथल और ब्रिटिश मुद्रा पाउंड के कमजोर होने के बाद उन्हें अपनी लगभग सभी आर्थिक नीतियों को पलटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जिसके बाद अब ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बन गए हैं। लिज ट्रस शुरुआत से ही सुनक के खिलाफ दिखाई दी हैं। उन्होंने पीएम बनने के बाद सुनक या फिर उनके करीबी माने जाने वाले लोगों को सरकार में कोई अहम स्थान नहीं दिया था। वहीं पिछली पीएम पद की प्रतियोगिता में भी उनके खिलाफ मुखर रही थीं। लेकिन अब जब सुनक प्रधानमंत्री बन गए हैं, तो ट्रस की तरफ से भी बयान जारी किया गया है।
लिज ट्रस ने क्या कहा?
लिज ट्रस ने ट्वीट किया, ‘कंजरवेटिव पार्टी के नेता और हमारे अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे ऋषि सुनक को बधाई। आपको मेरा पूरा समर्थन है।’ वहीं कंजरवेटिव पार्टी नेता के रूप में अपने पहले संबोधन में सुनक ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश को एकजुट करना होगा। सुनक ने कहा, ‘मैं वादा करता हूं कि मैं सत्यनिष्ठा और विनम्रता के साथ आपकी सेवा करूंगा और ब्रिटेन के लोगों की निरंतर सेवा करूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अब स्थिरता और एकता की जरूरत है और मैं अपनी पार्टी और देश को एकजुट रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता दूंगा, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है, जिसके जरिए हम चुनौतियों से निपट सकते हैं और अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए एक बेहतर और अधिक समृद्ध भविष्य बना सकते हैं।’
सुनक 10 डाउनिंग स्ट्रीट में ऐसे समय सत्ता की कमान संभालेंगे, जब ब्रिटेन मुद्रास्फीति, यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी और बजट की नाकामी के मुद्दे से जूझ रहा है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की वित्तीय विश्वसनीयता को कमजोर किया है। उनका पहला काम ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विश्वसनीयता को बहाल करना होगा, क्योंकि निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस द्वारा करों में कटौती किए जाने की योजना और एक महंगी ऊर्जा मूल्य गारंटी ने बांड बाजार को झकझोर दिया है। उनके पास कर दरों को बढ़ाने और खर्च में कटौती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जो अलोकप्रिय होगा और इसके अप्रत्याशित राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं।
भारत और ब्रिटेन का रिश्ता कैसा होगा?
भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों पर सुनक का दृष्टिकोण ब्रिटेन के लिए महज भारत में कारोबार के अवसर से आगे का है और ब्रिटेन ‘भारत से सीखना’ चाहता है। सुनक ने पार्टी में नेतृत्व पाने के लिए पिछले मुकाबले में प्रचार के दौरान कहा था कि वह ब्रिटेन-भारत संबंधों को बदलना चाहते हैं ताकि इसे दोतरफा आदान-प्रदान वाला बनाया जा सके, जिससे ब्रिटेन के छात्रों और कंपनियों की भारत में आसान पहुंच हो। रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के नाटकीय रूप से कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ से हटने और तय समय में 100 सांसदों का समर्थन जुटा पाने में नाकामी के मद्देनजर ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ की नेता पेनी मॉर्डंट के हार मानने के बाद देश के पहले गैर-श्वेत प्रधानमंत्री के रूप में सुनक का मार्ग प्रशस्त हो गया।
सुनक की जीत पूर्व वित्त मंत्री के लिए राजनीतिक भाग्य में एक उल्लेखनीय बदलाव का प्रतीक है, जो पिछले महीने ही मुकाबले में लिज ट्रस से हार गए थे, जब पार्टी के सहयोगियों के बीच उनकी लोकप्रियता टोरी सदस्यों के व्यापक वोट में तब्दील नहीं हुई थी।
भारतीय मूल के हैं ऋषि सुनक
भारतीय मूल के डॉक्टर पिता यशवीर और फार्मासिस्ट मां उषा के ब्रिटेन में जन्मे बेटे सुनक ने पिछले अभियान के दौरान अपनी प्रवासी जड़ों के बारे में विस्तार से बात की थी और पहले भारतवंशी वित्त मंत्री के तौर पर 11 डाउनिंग स्ट्रीट पर दिवाली के दीये जलाकर इतिहास बनाने का भी उल्लेख किया था। सुनक ने कुछ महीने पहले प्रचार के अपने वीडियो में कहा था, ‘मेरी नानीजी के पूर्वी अफ्रीका में एक विमान में सवार होने के साठ साल बाद अक्टूबर की एक गर्म धूप वाली शाम में, उनकी परनाती, मेरे बच्चे, हमारे घर के बाहर गली में खेलते हैं, दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं, दीये जलाते हैं; दीपावली पर कई अन्य परिवारों की तरह मस्ती करते हैं।’
यह व्यक्तिगत कहानी उनके सास-ससुर- इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति के लिए एक भावनात्मक संदर्भ में भी विस्तारित हुई। सुनक अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति की पारिवारिक संपत्ति को लेकर निशाने पर भी रहे। पिछले कुछ महीनों में टीवी पर तीखी बहस के दौरान उन्होंने कहा, ‘मेरे सास-ससुर ने जो बनाया है, उस पर मुझे वास्तव में बहुत गर्व है।’
बैंकर रह चुके हैं ऋषि सुनक
सुनक का जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था। एक धर्मनिष्ठ हिंदू के रूप में सुनक मंदिर में नियमित रूप से जाते हैं और उनकी बेटियां, अनुष्का और कृष्णा की भी जड़ें भारतीय संस्कृति में निहित हैं। सुनक ने हाल में साझा किया कि कैसे अनुष्का ने जून में वेस्टमिंस्टर एब्बे में क्वींस प्लेटिनम जुबली समारोह के लिए अपने सहपाठियों के साथ कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी। सुनक ने विनचेस्टर कॉलेज के अलावा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र (पीपीई) की पढ़ाई की और फिर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया।
गोल्डमैन सैक्स और हेज फंड मैनेजर के रूप में निजी क्षेत्र का सुनक का अनुभव उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की आभा प्रदान करता है, जिस पर कठोर आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए भरोसा किया जा सकता है। उनका राजनीतिक करियर 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की सीट जीतने के साथ शुरू हुआ और वित्त मंत्रालय में कनिष्ठ भूमिकाओं से होते हुए वह वित्त मंत्री के पद पर पहुंच गए, जब साजिद जावेद ने फरवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया।