Highlights
- सात साल पहले सांसद बने थे ऋषि सुनक
- राजनीति में लगातार उभरता सितारा बने
- कंजरवेटिव पार्टी से हैं ऋषि सुनक
Rishi Sunak: भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं। करीब छह हफ्ते पहले वह इसी पद को लिज ट्रस से हार गए थे। लेकिन लिज को अपनी खराब आर्थिक योजना के चलते महज 45 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा है। क्योंकि उनके एक फैसले ने बाजार में उथल पुथल मचा दी थी। ऐसे में देश को लीड करने के लिए एक बेहतर नेता की जरूरत पड़ी। ऋषि सुनक का राजनीतिक सफर ज्यादा लंबा नहीं रहा है। वह 7 साल पहले ही पहली बार सांसद बने थे। लेकिन अपने इसी सफर में वह लगातार राजनीतिक ग्राफ पर ऊपर आते गए। जिसके चलते आज की स्थिति को अगर देखा जाए, तो पूरी कंजरवेटिव पार्टी में उनके बराबर काबिल शायद ही कोई नेता हो। जिसके चलते उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
ऋषि सुनक ने ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे दुनिया के नामचीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा हासिल की है और वह भारतीय मूल के ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बने हैं।
2015 के आम चुनाव में जीते थे
ऋषि सुनक ने साल 2015 के आम चुनाव में आसानी से जीत हासिल की थी। 2015-2017 में उन्हें पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की समिति का सदस्य बनाया गया। सुनक ने ब्रिटेन को यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकालने का समर्थन करते हुए जनमत संग्रह के लिए अभियान चलाया था, जिसमें उनके निर्वाचन क्षेत्र के 55 फीसदी लोगों ने ब्रिटेन को ईयू से बाहर निकालने के समर्थन में वोट दिया था। वह बोरिस जॉनसन के शुरुआती समर्थकों में से एक थे।
ऋषि सुनक ने तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे की ब्रेक्जिट डील पर तीन बार वोट दिया था। वह पूर्व प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले बोरिस जॉनसन के समर्थक थे। उन्होंने मीडिया में कई बार इस समर्थन को दोहराया था। इसके बाद वह कंजरवेटिव पार्टी का उभरता सितारा बनते गए। पार्टी के बड़े नेताओं ने उनकी सराहना करना शुरू कर दिया।
जिसके बाद से पार्टी में उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। उन्हें एक सक्षम नेता भी माना जाता है। जॉनसन की सरकार में वह ब्रिटेन के वित्त मंत्री रहे हैं। ऋषि ने कैबिनेट में सबसे पहले इस्तीफा दिया था, जिसके बाद देश में राजनीतिक संकट शुरू हो गया। उसी के बाद नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए चुनाव कराए जा गए थे।
ऋषि सुनक के बारे में कुछ खास बातें-
- 42 वर्षीय सुनक का जन्म ब्रिटेन के साउथेम्प्टन में एक भारतीय परिवार के यहां हुआ था। उनके दादा-दादी का ताल्लुक पंजाब से था।
- फार्मेसिस्ट मां और डॉक्टर पिता के बेटे सुनक ने इंग्लैंड के सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक ‘विनचेस्टर’ से पढ़ाई की है। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय चले गए। उन्होंने ’गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक’ में काम किया और बाद में अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया। यहीं उनकी मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो इंफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।
- सुनक ने ‘हेज फंड’ (जमा निवेश फंड) प्रबंधक क्रिस होन के ‘टीसीआई फंड मैनेजमेंट’ में लगभग तीन वर्षों तक काम किया और फिर पैट्रिक डीगॉर्स के ‘हेज फंड’ ‘थेलेम पार्टनर्स’ में काम करने लगे।
- उन्होंने अक्षता से 2009 में शादी की और दंपति की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का हैं।
- सुनक 2015 में रिचमंड, यॉर्कशायर से संसद सदस्य बने।
- उन्होंने संसद में भगवद् गीता पर सांसद के रूप में शपथ ली।
- फरवरी 2020 में उन्हें ब्रिटेन के कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण पद, ‘चांसलर ऑफ एक्सचेकर’ यानी वित्त मंत्री नियुक्त किया गया।
- बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आवास पर दिवाली पर दीए जलाए। वह शराब का सेवन नहीं करते हैं।
- वह अक्सर अपनी विरासत के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें मूल्यों और संस्कृति के बारे में याद दिलाया।
- जब बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के कारण पहली बार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो सुनक ने लाखों नौकरियां बचाने के लिए एक व्यापक राहत पैकेज तैयार किया था।
- जॉनसन के करीबी माने जाने वाले सुनक पूर्व प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व से ठीक विपरीत शख्सियत प्रतीत होते रहे।
- सुनक के जब सितारे चमक रहे थे, तब ब्रिटेन की पत्रिकाएं उन्हें ‘डिशी ऋषि’ यानी ‘आकर्षक ऋषि’ कहता थीं। मगर उनकी पत्नी अक्षता की कर स्थिति और दौलत के साथ-साथ ‘पार्टीगेट’ कांड में उनका नाम आने और लाखों लोगों के लिए कर बढ़ाने के सुनक के कदम की कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों द्वारा आलोचना ने उनकी स्थिति बदली और उन्हें ‘फिशी ऋषि’ यानी ‘संदिग्ध ऋषि’ कहा जाने लगा।
- सुनक दंपति की वित्तीय स्थिति हाल ही में जांच के दायरे में तब आई, जब यह पता चला कि अक्षता अब भी भारतीय नागरिक हैं और उनकी ब्रिटेन में गैर-अधिवासित स्थिति है। इस वजह से उन्हें विदेशी कमाई पर यहां कर नहीं देना पड़ता है और वह भारत वापस जाने की योजना बना रही हैं। अक्षता के गैर-अधिवासी होने की वजह से वह इंफोसिस के शेयर से मिलने वाले लाभांश पर लगभग दो करोड़ पाउंड का कर बचा पाईं।
- इस साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार के दौरान सुनक को कई मोर्चों पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिनमें आलीशान घर, महंगे कपड़े और जूते शामिल थे।
- सुनक की कुल संपत्ति 70 करोड़ पाउंड की है। यॉर्कशायर में एक आलीशान बंगले के अलावा, सुनक और उनकी पत्नी अक्षता के पास मध्य लंदन के केंसिंग्टन में और एक संपत्ति है।
चुनौतियां-
- ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था परेशानी का सामना कर रही है। महंगाई उच्च स्तर पर है और ब्याज दर बढ़ रही है। यूक्रेन के युद्ध ने इस साल दूसरी बार ऊर्जा पर होने वाले खर्च को बढ़ा दिया। मुद्रा बाजार में स्टर्लिंग (ब्रिटेन में प्रचलित मुद्रा) कमजोर दिख रहा है।
- सुनक का पहला काम ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विश्वसनीयता को बहाल करना होगा, क्योंकि निवर्तमान नेता लिज ट्रस की बिना कोष मुहैया कराए कर कटौती की योजना और महंगी ऊर्जा मूल्य गारंटी ने बांड बाजार को हिला दिया था।