लंदन: ब्रिटेन की सियासत में पिछले कुछ महीनों से जबरदस्त हलचल मची हुई है। देश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा है, महंगाई आसमान छू रही है, और रूस-यूक्रेन की जंग ने हालत खराब कर रखी है। इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने धमकी देने के मामले में जांच जारी होने के बावजूद अपने करीबी सर गैविन विलियमसन को मंत्री बनाने पर खेद जताया है। विवाद होने के बाद विलियमसन ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया, लेकिन विपक्ष अभी भी सुनक पर निशाना साध रहा है।
विलियमसन पर क्या हैं आरोप?
विलियमसन पर कंजरवेटिव पार्टी के अपने साथियों और नौकरशाहों के प्रति खराब व्यवहार का आरोप है। हालांकि विलियमसन ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। ब्रिटेन के सियासी गलियारों में कुछ दिन से इस बात पर चर्चा गर्म थी कि विलियमसन को मंत्री बनाए जाने से पहले सुनक उनके बारे में जानते थे या नहीं। विलियमसन ने मंत्रालय सौंपे जाने से पहले ही मंगलवार रात मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। विपक्ष ने इस घटनाक्रम को सुनक की ‘खराब समझ और नेतृत्व’ का सबूत करार दिया है।
‘मुझे जाहिर तौर पर इसका पछतावा है’
लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने संसद में प्रधानमंत्री से होने वाले साप्ताहिक सवाल-जवाब के दौरान इस मामले को लेकर उनपर और दबाव बनाने की कोशिश की। स्टार्मर ने सुनक से पूछा कि क्या उन्हें विलियमसन की नियुक्ति पर खेद है, तो सुनक ने कहा, ‘मुझे जाहिर तौर पर इसका पछतावा है। मुझे किसी खास मामले के बारे में पता नहीं था।’ सुनक ने कहा कि यह सही हुआ कि जांच के दौरान मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। विलियमसन ने अपने त्याग पत्र में कहा कि वह अपने आचरण के बारे में किए दावों का खंडन करते हैं।
विलियमसन ने बताया इस्तीफे का कारण
इस्तीफा देने के कारणों पर बोलते हुए विलियमसन ने कहा कि उन्हें लगा कि वह ‘सरकार द्वारा किए जा रहे अच्छे काम से ध्यान भटकाने’ का कारण बन गए हैं इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। विलियमसन पर आरोप है कि उन्होंने सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी की पूर्व व्हिप वेंडी मॉर्टन को मैसेज भेजे थे, जिन्हें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार के दौरान अनदेखा कर दिया गया था। 'द संडे टाइम्स' में इन आरोपों के बारे में खबर छपने के बाद से अन्य लोगों ने भी उनपर आरोप लगाया है कि पिछली सरकारों में मंत्री रहने के दौरान विलियमसन ने उन्हें धमकियां दी थीं।