Highlights
- एलिजाबेथ का पार्थिव शरीर स्कॉटलैंड से लंदन पहुंचा
- ताबूत को चार दिन के लिए वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा गया
- 19 सितंबर को महारानी का अंतिम संस्कार किया जाएगा
Queen Elizabeth On Her Last Journey: महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताबूत बुधवार को अंतिम यात्रा पर लंदन के बकिंघम पैलेस से संसद भवन के लिए निकला जहां उसे वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘लाइंग-इन-स्टेट’ में रखा जाएगा और उसके बाद सोमवार को वेस्टमिंस्टर एबे में महारानी का राजकीय तरीके से अंतिम संस्कार किया जाएगा। ताबूत को महाराजा की ट्रूप रॉयल हॉर्स आर्टिलरी की घोड़ों वाली तोपगाड़ी में रखा गया और स्थानीय समयानुसार अपराह्न 2:22 बजे पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर तक का करीब दो किलोमीटर का रस्मी जुलूस शुरू हुआ। इसमें महाराजा चार्ल्स तृतीय और उनके बेटे प्रिंस विलियम तथा प्रिंस हैरी भी शामिल हुए और ताबूत के साथ में चलते रहे। इस दौरान हाइड पार्क और बिग बेन से तोपों की सलामी दी गई।
महारानी की अन्य संतान प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड भी तोपगाड़ी के पीछे चल रहे थे। टेम्स नदी के पास से गुजरने वाले इस जुलूस के मार्ग में हजारों लोग कतारबद्ध खड़े थे। वेस्टमिंस्टर हॉल में कैंटरबरी के आर्चबिशप मोस्ट रेवरेंड जस्टिन वेल्बी ताबूत को लेंगे और एक संक्षिप्त प्रार्थना सेवा की जाएगी। इसमें वेस्टमिंस्टर के डीन, वैरी रेवरेंड डॉ डेविड हॉयले भी शामिल होंगे और साथ ही शाही परिवार के अन्य सदस्य रहेंगे। इसके बाद ताबूत को एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर रखा जाएगा।
ताबूत यात्रा में जुटी हजारों लोगों की भीड़
अंतिम संस्कार से पहले ‘लाइंग-इन-स्टेट’ चरण शुरू होगा और अनेक अधिकारी निगरानी रखेंगे। इस दौरान महारानी के ताबूत को चार दिन के लिए इस अवस्था में रखा जाएगा और लोग उनकी अंतिम झलक पा सकेंगे। वेस्टमिंस्टर हॉल दिवंगत महारानी की एक झलक पाने के लिए सोमवार शाम से इंतजार में खड़े हजारों लोगों के लिए स्थानीय समयानुसार शाम पांच बजे खुलेगा। ताबूत यात्रा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही बकिंघम पैलेस के बाहर ‘द मॉल’ पर और टेम्स नदी के किनारे हजारों लोग जुटे थे। यह भीड़ महारानी के प्रति सम्मान और उनके निधन पर देशभर में फैली शोक की लहर की ताजा झलक है।
महारानी का गुरुवार को उनके बाल्मोरल स्थित ग्रीष्मकालीन आवास पर निधन हो गया। वह 96 वर्ष की थीं। महारानी के अंतिम संस्कार से जुड़ी कुछ जिम्मेदारियां संभाल रहे मेजर जनरल क्रिस्टोफर घीका ने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद दिन है, लेकिन यह महारानी के लिए हमारा कर्तव्य अदा करने का आखिरी मौका है, वहीं महाराजा के लिए कुछ करने का हमारा पहला अवसर है। हमारे लिए यह बहुत सम्मान की बात है।’’