Highlights
- रूस के फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में होगी वोटिंग
- जनमत संग्रह कराने के बाद पुतिन ने खेरसोन और जापोरिज्जिया को स्वतंत्र घोषित किया
- यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क को भी अब रूस में मिलाएंगे पुतिन
Russia-Ukraine War:यूक्रेन के साथ करीब सात महीने से चल रहे भीषण युद्ध के बाद अब रूस ने ऐसा खेल खेला है कि यूक्रेनियों समेत पूरी दुनिया हैरान रह गई है। युद्ध के बीच में ही राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के दो राज्यों को स्वतंत्र घोषित करते हुए इसे अपने देश में मिला लिया है। ये यूक्रेन के दो महत्वपूर्ण शहर खेरसोन और जापोरिज्जिया हैं। पुतिन ने बकायदे प्रेसवार्ता करके इसका ऐलान किया और अब रूस में इसे लेकर बड़ा जश्न मनाया जा रहा है।
हालांकि पुतिन ने पहले खेरसोन और जापोरिज्जिया के साथ दोनेत्स्क और लुहांस्क को भी रूस में मिलाने का दावा किया था, लेकिन फिलहाल दो क्षेत्रों को रूस का हिस्सा बना दिया है। वहीं दोनेत्स्क और लुहांस्क पर फैसला करना बाकी है। पुतिन के इस फैसले का यूक्रेन समेत अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र विरोध कर रहे हैं। पुतिन ने यह कदम इन चारों क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराने के बाद उठाया है। रूस के जनमत संग्रह के अनुसार इन चारों क्षेत्रों के 85 से 98 फीसद तक लोग यूक्रेन के इन क्षेत्रों को रूस में विलय करने के पक्ष में थे। उन सभी ने रूस के पक्ष में मतदान किया।
कुछ नहीं कर सके अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र
राष्ट्रपति पुतिन के इस कदम के खिलाफ अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी कुछ नहीं कर सके। करीब एक माह से युद्ध में यूक्रेन से पिछड़ने और देश के भीतर और बाहर युद्ध को लेकर निंदा का शिकार होने के बाद पुतिन का यह फैसला निर्णायक कदम माना जा रहा है। जानकारों के अनुसार पुतिन की नजर अभी यूक्रेन के दो अन्य महत्वपूर्ण शहर दोनेत्स्क और लुहांस्क पर है। असली विवाद इसी क्षेत्र को लेकर शुरू हुआ था। यह क्षेत्र भी फिलहाल रूसी सेना के कब्जे में है। माना जा रहा है कि दोनेत्सक और लुहांस्क को भी रूस में विलय करने के बाद पुतिन युद्ध विराम की घोषणा कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर क्या होगा
रूस के इस कदम और फैसले के खिलाफ अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में भारी आक्रोश है। यूक्रेन ने भी इसे रूस की जबरदस्ती बताया है। यूक्रेन रूस के इस फैसले को मानने को तैयार नहीं है। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अब पुतिन के इस निर्णय के खिलाफ मतदान कराए जाने की तैयारी की जा रही है। इसमें दुनिया के सभी देश या तो रूस के पक्ष में या तो उसके फैसले के खिलाफ में मतदान करेंगे। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा इस पर उचित निर्णय लेगा।
भारत धर्म संकट में फंसा
संयुक्त राष्ट्र सभा में होने वाले इस मतदान को लेकर भारत सबसे अधिक धर्मसंकट में फंस गया है। हालांकि भारत यूक्रेन मामले पर पहले ही अपने स्टैंड को क्लियर कर चुका है, लेकिन यूएनएससी में रूस के खिलाफ या पक्ष में मतदान करना भारत के लिए आसान नहीं होगा। इससे भारत और रूस के रिश्तों में भारी तनाव आ सकता है। अगर वह पक्ष में मतदान करता है तो अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में भारत की छवि बिगड़ सकती है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत इस दौरान मतदान का बहिष्कार कर सकता है। यानि वह न पक्ष में वोट करेगा और न ही विपक्ष में। ऐसे में भारत अपने स्वतंत्र विदेश नीति का पालन भी कर पाएगा।
गुटरेस ने रूस पर लगाया अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने क्रेमलिन की ओर से यूक्रेन के चार हिस्सों में कब्जे की घोषणा को गलत बताते हुए कहा है कि धमकी या बल प्रयोग से किसी अन्य राज्य द्वारा किसी दूसरे राज्य के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन है। यूक्रेन ने भी इस जनमत संग्रह को अवैध बताया है। पश्चिमी देश भी पुतिन के फैसले को गलत ठहरा रहे हैं।