पेरिस: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को फ्रांस्वा बायरू को देश के प्रधानमंत्री के रूप में नामित कर दिया। बता दें कि फ्रांस के दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने पिछले हफ्ते ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव पर एक साथ मिलकर वोटिंग की थी, जिसके कारण प्रधानमंत्री माइकल बार्नियर और उनके कैबिनेट के सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा था। मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन में महत्वपूर्ण साझेदार 73 साल के बायरू दशकों से फ्रांस की सियासत में अहम स्थान रखते रहे हैं। उनके सियासी अनुभव को देश में स्थिरता बहाल करने की कोशिशों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि नेशनल असेंबली में किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है।
बायरू के सामने भी चुनौतियां कम नहीं
बता दें कि मैक्रों ने पिछले सप्ताह 2027 में अपने कार्यकाल के अंत तक पद पर बने रहने का संकल्प जताया था। मैक्रों के दफ्तर की तरफ से जारी एक बयान में कहा कि बायरू को ‘नई सरकार बनाने का जिम्मा सौंपा गया है।’ उम्मीद है कि बायरू आने वाले दिनों में नए मंत्रियों के चयन के लिए अलग-अलग दलों के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। यह काम काफी चैलेंजिंग लग रहा है क्योंकि मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन के पास संसद में बहुमत नहीं रह गया है और बायरू के कैबिनेट को सत्ता में बने रहने के लिए वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों पक्षों के उदारवादी सांसदों पर निर्भर रहना होगा। कुछ रूढ़िवादियों के भी नई सरकार का हिस्सा बनने की उम्मीद है।
बायरू पर लगा था पैसे गबन करने का आरोप
बायरू को हाल में यूरोपीय संसद के पैसे के गबन के आरोप वाले केस में बरी कर दिया गया था। बायरू फ्रांसीसी जनता के बीच तब लोकप्रिय हुए जब वह 1993 से 1997 तक सरकार में शिक्षा मंत्री रहे थे। इतना ही नहीं, वह 3 बार 2002, 2007 और 2012 में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी रहे थे। बायरू मध्यमार्गी डेमोक्रेटिक मूवमेंट का नेतृत्व करते हैं, जिसे मोडेम के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना उन्होंने 2007 में की थी। 2017 में जब मैक्रों ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था तब बायरू ने उनका समर्थन किया था और फ्रांसीसी राष्ट्रपति के मध्यमार्गी गठबंधन में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गए थे।