Wednesday, October 30, 2024
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ब्रिटेन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था में चला PM ऋषि सुनक का जादू, महज 2 साल में घुटनों पर लुढ़की महंगाई

ब्रिटेन की डगमगाती अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाकर पीएम ऋषि सुनक ने कमाल कर दिया है। जब उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभाला तो महंगाई 10 के स्तर को पार कर चुकी थी। साथ ही जीडीपी का दम घुटने लगा था। मगर ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सुनक ने ब्रिटेन को फिर से बेहतर स्थिति में लाकर अपनी काबिलियत दिखा दी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 20, 2023 17:11 IST
ऋषि सुनक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री। - India TV Hindi
Image Source : AP ऋषि सुनक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपनी काबिलियत का सबसे बड़ा लोहा मनवाते हुए महंगाई को घुटनों पर ला दिया है। जबकि इससे पहले ब्रिटेन की बेलगाम महंगाई और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के चलते ही पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने मोर्चा संभाला था। पीएम ऋषि सुनक के सामने ब्रिटेन की महंगाई को काबू में लाने और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती थी। सुनक ने दोनों ही चुनौतियों से पार पाते हुए महंगाई को काबू में ला दिया है। 
 
अब ब्रिटेन में ईंधन एवं खाद्य कीमतों में नरमी से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर के महीने में घटकर 3.9 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले दो साल से भी अधिक का सबसे निचला स्तर है।  राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने बुधवार को मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि पिछले महीन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 3.9 प्रतिशत रही। यह सितंबर, 2021 के बाद खुदरा मुद्रास्फीति का सबसे निचला स्तर है। अक्टूबर के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत रही थी। इस तरह नवंबर में मुद्रास्फीति में तगड़ी गिरावट दर्ज की गई।
 

किस कदम से काबू में आई महंगाई

सांख्यिकी कार्यालय ने इस गिरावट के पीछे ईंधन कीमतों में की गई कटौती को प्रमुख वजह बताया। इसके अलावा खाद्य कीमतों में नरमी ने भी खुदरा मुद्रास्फीति को कम किया। विश्लेषकों का कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति के कम होने से बैंक ऑफ इंग्लैंड ब्याज दरों में कटौती का कदम उम्मीद से थोड़ा जल्दी ही उठा सकता है। पिछले साल मुद्रास्फीति चार दशकों के उच्चस्तर 11 प्रतिशत से भी अधिक हो गई थी। इसपर काबू पाने के लिए ब्रिटिश केंद्रीय बैंक ने पिछले साल से नीतिगत दर में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था और इस समय यह 15 साल के उच्चस्तर 5.25 प्रतिशत पर है। ​ (एपी) 
 

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