PM Modi in Greece: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में संपन्न हुए ब्रिक्स सम्मेलन के बाद ग्रीस पहुंच गए हैं। ग्रीस यानी यूनान एक यूरोपीय देश है। यह देश काफी प्राचीन है। खास बात यह है कि पाकिस्तान के दोस्त तुर्की का दुश्मन है यह देश। इस दौरान उनका परंपरागत स्वागत किया गया। वे ग्रीस के पीएम से संक्षिप्त चर्चा के साथ ही ग्रीस में रहने वाले भारतवंशियों से भी मिलेंगे। ग्रीस भारत का अहम साझेदार रहा है। यूएन में स्थायी सीट पर भारत का पक्षधर है। पीएम मोदी की इस यात्रा में दोनों पक्षों को क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ ही कारोबार और रक्षा संबंधों पर भी चर्चा होगी। 40 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री ग्रीस के दौरे पर है। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी ग्रीस गईं थीं। पीएम मोदी के ग्रीस पहुंचने के दौरान उनका परंपरागत स्वागत किया गया। वे ग्रीस के पीएम से संक्षिप्त चर्चा के साथ ही ग्रीस में रहने वाले भारतवंशियों से भी मिलेंगे। ग्रीस भारत का अहम साझेदार रहा है। यूएन में स्थायी सीट पर भारत का पक्षधर है।
ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के साथ 12 भारतीय बिजनेसमैन भी एथेंस पहुंचे हैं। इनकी मुलाकात ग्रीस के बिजनेसमैन से कराई जाएगी। दोनों देशों के बीच कारोबार, टेक्नोलॉजी रक्षा संबंधों पर चर्चा की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूनान यानी ग्रीस काफी समय से भारत की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। ऐसे में पीएम मोदी के दौरे के दौरान ग्रीस को भारत का ब्रह्मास्त्र कही जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल मिलने पर डील हो सकती है।
पाकिस्तान और तुर्की के गठजोड़ को एथेंस से भेदेंगे पीएम मोदी!
तुर्की हमेशा कश्मीर के मसले पर भारत के खिलाफ बोलता है और पाकिस्तान का समर्थन करता है। ऐसे में तुर्की और पाकिस्तन का गहरा गठजोड़ है। तुर्की ने पाकिस्तान को अप्रैल 2023 में बायरकतार टीबी 2 ड्रोन दिए। ये ड्रोन रूस और यूक्रेन की जंग में अपनी काबिलियत को बता चुका है। यह ड्रोन पाकिस्तान को मिलना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं तुर्की जो पाकिस्तान का दोस्त है, यूनान का दुश्मन है। ऐसे में पीएम मोदी तुर्की के दुश्मन ग्रीस की यात्रा पर हैं।
ड्रोन रडार के डेटा शेयर करेगा ग्रीस, भारत दे सकता है ब्रह्मोस मिसाइल
पाकिस्तान और तुर्की के गठजोड़ को भेदने के लिए पिछले साल अगस्त के महीने में भारतीय वायुसेना के चीफ वीआर चौधरी ग्रीस गए थे। इस बीच दोनों देशों में ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए बातचीत हुई। दरअसल, ड्रोन के खतरे को देखते हुए तुर्किये का दुश्मन ग्रीस अब भारत का साथ देने को तैयार है। ग्रीस इस ड्रोन के रडार से जुड़ा अहम डेटा भारत के साथ शेयर कर सकता है। बरयाकतार ड्रोन के छोटे होने की वजह से इन्हें रडार पर डिटेक्ट कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में भारत के साथ साझा की गई जानकारी काफी अहम होगी। इसके बदले भारत ग्रीस को ब्रह्मोस दे सकता है।
क्या है तुर्की और ग्रीस के बीच विवाद? भारत करता है यूनान का सपोर्ट
एजियन सागर भूमध्य सागर का एक भाग है, जो पश्चिम में ग्रीक प्रायद्वीप और पूर्व में एशिया माइनर के बीच स्थित है। इस एजियन सागर को लेकर ग्रीस और तुर्की में तनातनी चलती रहती है। इसके अलावा दोनों नाटो देशों के बीच साइप्रस द्वीप के बंटवारे को लेकर भी विवाद है। ये विवाद 1974 से है। जब ग्रीस समर्थित सैन्य तख्तापलट के जवाब में तुर्की के लड़ाकों ने इस द्वीप पर हमला किया था। बाद में कब्जा किए गए इलाके को तुर्की ने टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दन साइपरस नाम दे दिया।
तुर्की और ग्रीस की दुश्मनी का पुराना इतिहास
तुर्की के देश बनने से से पहले भी यूनानियों और तुर्कों के बीच दुश्मनी का एक लंबा इतिहास रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने हमेशा से ग्रीस का साथ दिया है। वहीं, ग्रीस भी कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है। ग्रीस UNSC में भी भारत की स्थायी सीट का पक्षधर है।