Highlights
- यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा बढ़ाई गई
- अंतरराष्ट्रीय परामणु ऊर्जा एजेंसी करेगी निगरानी
- रूस से यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों के नष्ट होने का है खतरा
Russia-Ukraine War update: रूस और यूक्रेन के बीच छह महीने से चल रहा भीषण युद्ध लगातार घातक होता जा रहा है। अब मामला परमाणु हथियारों तक पहुंच चुका है। रूस को इस बात का डर है कि यूक्रेन कहीं उसपर परमाणु हमला न कर दे। ऐसे में वह यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से घातक विस्फोट कर रहा है। मगर इससे सिर्फ यूक्रेन में ही नहीं, बल्कि आसपास के देशों में भी रेडियो विकिरण के फैलने का खतरा है। अगर परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचा तो इसका खामियाजा सिर्फ वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी चुकाएंगी। यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों पर रूसी खतरों को भांपते हुए अब अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) ने अब इसके संरक्षण का जिम्मा उठाया है।
आइएईए ने यूक्रेन में परमाणु संयंत्रों की निगरानी के लिए अपने सुरक्षा कर्मियों को हेग भेजा है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान में फुकुशिमा आपदा के रेडियोधर्मी प्रभाव से लेकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम तक, जोखिम भरे मिशनों के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के निरीक्षकों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालांकि यूक्रेन में जापोरिज्जिया में युद्ध के बीच उनकी तैनाती खतरे के एक नए स्तर को रेखांकित करती है, जिसमें संगठन संभावित विनाशकारी परमाणु आपदा को रोकने का प्रयास करेगा।
अन्य देशों में भी पूर्व में आइएईए भेज चुका है टीम
रूस के अपने पश्चिमी पड़ोसी देश पर आक्रमण के कारण छह महीने के युद्ध ने न सिर्फ आइएईए, बल्कि अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के आसपास व्यवस्था बहाल करने, युद्ध अपराधों के लिए जवाबदेही तय करने और मृतकों की पहचान करने के प्रयास में टीम को तैनात करने के लिए मजबूर किया है। संगठन के सत्यापन और सुरक्षा मामलों के पूर्व प्रमुख तारिक रऊफ ने कहा, ‘‘यह पहली बार नहीं है कि आइएईए टीम लड़ाई के दौरान गई है। आइएईए ने 2003 में इराक और पूर्व सोवियत गणराज्य जॉर्जिया में लड़ाई के दौरान निरीक्षकों को भेजा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि जापोरिज्जिया में यह स्थिति सबसे गंभीर है जहां आइएईए ने लोगों को भेजा है, इसलिए यह अभूतपूर्व है।
परमाणु संयंत्र के नष्ट होने का खतरा
रूस लगातार टैंकों, मिसाइलों और फाइटर जेट से हमला कर रहा है। वह परमाणु संयंत्रों को भी नहीं छोड़ रहा। क्योंकि उसे आशंका है कि यूक्रेन आखिरी समय में इसका इस्तेमाल रूस के खिलाफ कर सकता है। इसलिए रूस इसे पहले ही खत्म कर देना चाहता है। आइएईए के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने बृहस्पतिवार को दक्षिणी यूक्रेन में विशाल संयंत्र के लिए एक टीम के नेतृत्व के दौरान के जोखिमों पर प्रकाश डालते हुये कहा, ‘‘ऐसे क्षण थे, जब हमने स्पष्ट तौर पर गोलियों की आवाज सुनी। भारी मशीनगन, हथियार, दो या तीन बार मोर्टार वास्तव में हम सभी के लिए बहुत चिंतित करने वाले थे।’’ सहयोगियों को अंदर छोड़ने के बाद पत्रकारों से उन्होंने कहा कि एजेंसी अभी से संयंत्र से ‘‘नहीं हटने वाली है’’ और एजेंसी के विशेषज्ञों की ‘‘निरंतर मौजूदगी’’ का संकल्प जताया।
आइएईए एकमात्र अंतरराष्ट्रीय संगठन नहीं है जो मौजूदा युद्ध के बीच यूक्रेन में स्थायी रूप से कर्मचारियों को भेजने की मांग कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अभियोजक करीम खान ने तीन बार यूक्रेन का दौरा किया है, देश में एक कार्यालय स्थापित किया है और अत्याचारों की व्यापक रिपोर्ट के बीच सबूत इकट्ठा करने के लिए जांचकर्ताओं को संघर्ष क्षेत्र में भेजा है। नीदरलैंड सहित राष्ट्रों की सरकारों ने अदालत की मदद के लिए विशेषज्ञ जांचकर्ताओं को भेजा है।