Highlights
- रूस के नियंत्रण में हैं गैस पाइपलाइन
- रूस से यूरोप तक पहुंचाई जाती है गैस
- पाइप में चार जगह से हो रही गैस लीक
Nord Stream: स्वीडन के तट रक्षक बल ने गुरुवार को कहा कि उसे दो क्षतिग्रस्त पाइपलाइनों में चौथे स्थान से रिसाव होने का पता चला है। ये रिसाव महत्वपूर्ण नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन (नॉर्ड स्ट्रीम 1 और नॉर्ड स्ट्रीम 2) में हो रहा है। ये पाइपलाइन रूस से बाल्टिक सागर होते हुए जर्मनी तक प्राकृतिक गैस पहुंचाती हैं। स्वीडन के पानी में दूसरी बार लीकेज का पता चला है। इससे पहले दो और बार इसी हफ्ते डेनमार्क के पानी में गैस लीकेज की खबर आई थी। डेनमार्क की सेना ने मंगलवार को एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने बोर्नहोम द्वीप के पास समुद्र की सतह पर गैस के बुलबुले देखे हैं। लगभग एक किलोमीटर के क्षेत्र में। बेशक इन दोनों पाइपलाइन में गैस है लेकिन लीकेज के समय दोनों से ही यूरोप को गैस की सप्लाई नहीं हो रही थी। टूटी हुई पाइपलाइनों से मीथेन के रिसाव ने पर्यावरणविदों को भी गंभीर चिंता में डाल दिया है।
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन क्या हैं?
नॉर्ड स्ट्रीम 1 की लंबाई 1224 किलोमीटर है। ये एक अंडरवॉटर यानी पानी के भीतर मौजूद पाइपलाइन है। जो उत्तर पश्चिमी रूस में वायबोर्ग से बाल्टिक सागर के माध्यम से पूर्वोत्तर जर्मनी के लुबमिन तक जाती है। इसका संचालन रूस की ऊर्जा कंपनी गैजप्रोम करती है। इस पाइपलाइन के माध्यम से गैस जर्मनी तक पहुंचती है। रॉयटर्स के अनुसार, अधिकांश गैस सीधे जर्मनी जाती है, जबकि बाकी अन्य देशों के तटवर्ती लिंक के माध्यम से और स्टोरेज गुफाओं में पश्चिम और दक्षिण की ओर जाती है।
गैजप्रोम और पांच अन्य यूरोपीय कंपनियों ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बनाने का फैसला साल 2015 में किया था। जिसकी लागत 11 बिलियन डॉलर बताई गई। ये 1200 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है, जो रूस के उस्त-लुगा से बाल्टिक सागर के माध्यम से जर्मनी में ग्रिफ्सवाल्ड तक जाती है और हर साल 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस वहन करती है। यह नॉर्ड स्ट्रीम 1 सिस्टम के साथ चलने के लिए बनाई गई थी। जर्मनी यूरोप का वो देश है, जो रूस से सबसे ज्यादा गैस लेता है। और इसका अधिकांश हिस्सा नॉर्ड स्ट्रीम के माध्यम से जाता है। ये दोनों पाइपलाइन इस समय तनाव का विषय बनी हुई हैं। रूस पर अपनी ऊर्जा पर यूरोप की निर्भरता का लाभ उठाने का आरोप लगाया जा रहा है। क्योंकि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद उसपर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिए थे।
पाइपलाइन में लीकेज कब हुईं?
सोमवार को नॉर्ड स्ट्रीम के संचालकों ने बताया कि उन्हें पाइपलाइन की दोनों ही लाइनों पर दबाव पड़ने का पता चला है। बाद में इसकी वजह भी पता चली। जिसमें कहा गया कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि डेनमार्क के बोर्नहोम द्वीप के पास नॉर्ड स्ट्रीम 1 और नॉर्ड स्ट्रीम 2 दोनों पाइपलाइन में तीन अलग-अलग जगह से गैस की लीकेज हुई है। ये खबर उस बाल्टिक पाइप के लॉन्च होने से एक दिन पहले आई, जिसके जरिए नॉर्वे से पोलैंड को गैस की सप्लाई की जाएगी। ये पोलैंड के प्रोजेक्ट का ही एक हिस्सा है, जिसके जरिए वो रूस पर से अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है। स्वीडन ने सोमवार को पानी के भीतर विस्फोट का पता लगाया है। ये उस जगह के बेहद नजदीक है, जहां से लीकेज हुआ था। स्वीडिश नेशनल सीसमिक नेटवर्क के सीस्मोलॉजिस्ट बजोर्न लुंद का कहना है कि विस्फोट भूकंपीय गतिविधि के कारण हुआ है न कि भूकंप की वजह से।
पाइपलाइन में तोड़फोड़ किए जाने का दावा
अभी तक जांच में पता नहीं चल सका है कि पाइपलाइन से लीकेज कैसे हुई। लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ को किसी तरह की साजिश रचे जाने की आशंका है। इनका ऐसा कहना है कि तीन अलग-अलग जगह पर गैस की लीकेज तोड़फोड़ की वजह से हुई है और ठीक इसी दिन विस्फोट भी हुए। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेत्ते फ्रेडरिक्सन ने कहा कि उनकी सरकार का मानना है कि बाल्टिक सागर में डेनिश द्वीप पर गैस पाइपलाइन में रिसाव ‘जानबूझकर किया गया कृत्य’ है। यह पूछने पर कि क्या यह डेनमार्क पर हमला है, इस पर प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कहा कि रिसाव अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में हुआ है इसलिए ‘इसका जवाब न है।’
पोलैंड और डेनमार्क के नेताओं और विशेषज्ञों ने रूस से बाल्टिक सागर होते हुए जर्मनी पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस की दो पाइपलाइन में हुए असामान्य रिसाव को लेकर इनके साथ छेड़छाड़ किए जाने की आशंका जताई है। गुरुवार को जारी एक बयान में, नाटो ने कहा कि पाइपलाइन लीक की संभावना "तोड़फोड़ के जानबूझकर, लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना कृत्यों का परिणाम" थी और उन्होंने अपने सहयोगियों के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खिलाफ किसी भी हमले के लिए "एकजुट और दृढ़ प्रतिक्रिया" देने का वादा किया है।
पाइपलाइन को नियंत्रित करने वाले रूस ने हमलों के पीछे पश्चिम देशों पर शक जताया है। उसने तोड़फोड़ किए जाने की बात से इनकार नहीं किया है। क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "जाहिर है, पाइप के साथ किसी तरह तोड़फोड़ की गई है और इसके कारण ही गैस लीक हुई है। हम किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकते।"
कहीं इसके पीछे रूस का हाथ तो नहीं?
यूरोपीय संघ और अमेरिका अब स्पष्ट रूप से रूस को दोष देना बंद कर चुके हैं। हालांकि यूक्रेन और पोलैंड ऐसा नहीं कर रहे। यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार मायखायलो पोडोलीक ने एक ट्वीट में कहा, "नॉर्ड स्ट्रीम 1 से गैस रिसाव रूस द्वारा नियोजित एक आतंकवादी हमले और यूरोपीय संघ के प्रति आक्रामकता से ज्यादा कुछ नहीं है। रूस यूरोप में आर्थिक स्थिति को अस्थिर करना चाहता है और सर्दियों से पहले दहशत पैदा करना चाहता है।" पोलैंड के प्रधानमंत्री माटुज मोरावीकी ने भी तोड़फोड़ होने की आशंका जताई और कहा कि यह "एक ऐसा कार्य था, जो संभवतः यूक्रेन में तनाव की स्थिति बढ़ने का अगला चरण हो सकता है।"
हालांकि, रूस ने खुद पर लगे आरोपों को "बेवकूफी और बेतुका" बताया है। उसने हमलों के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों को दोषी ठहराया है। जबकि वाशिंगटन ने इससे इनकार किया है।
इससे किसे फायदा होगा?
गैस पाइपलाइन की लीकेज के पीछे यूरोप का हाथ हो ऐसी संभावना कम ही हैं क्योंकि इससे उसकी ऊर्जा जरूरतें पूरी हो रही हैं। पश्चिमी देशों का कहना है कि इसके पीछे रूस का हाथ हो सकता है। रूस ने यूक्रेन युद्ध की वजह से खुद पर लगे प्रतिबंधों का जवाब देते हुए यूरोप को होने वाले ऊर्जा निर्यात में कटौती कर दी है। वह शक के निशाने पर इसलिए भी है क्योंकि ये लीकेज की घटना बाल्टिक पाइप के लॉन्च से एक दिन पहले हुई है। इस पाइप से पोलैंड की रूस पर ऊर्जा निर्भरत कम होगी। हालांकि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन का सबसे अधिक नियंत्रण रूस की कंपनी गैजप्रोम के हाथों में है। तो ऐसे में ये सवाल उठता है कि भला रूस अपना ही नुकसान क्यों करेगा। उसने इन पाइपालइन को बनाने में अरबों रुपये लगाए हैं। यूरोप अब भी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है और गैस लीकेज को होने वाला कोई भी नुकसान यूरोपीय देशों के लिए गैस को महंगा कर सकता है।