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'ओमिक्रॉन के डेल्टा वेरिएंट से कम गंभीर होने का कोई सबूत नहीं', ब्रिटेन के अध्ययन ने बढ़ाई चिंता

अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से फिर संक्रमित होने का जोखिम डेल्टा स्वरूप की तुलना में 5.4 गुना अधिक है।

Reported by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 20, 2021 16:55 IST
'ओमिक्रॉन के डेल्टा वेरिएंट से कम गंभीर होने का कोई सबूत नहीं', ब्रिटेन के अध्ययन ने बढ़ाई चिंता- India TV Hindi
Image Source : AP 'ओमिक्रॉन के डेल्टा वेरिएंट से कम गंभीर होने का कोई सबूत नहीं', ब्रिटेन के अध्ययन ने बढ़ाई चिंता

Highlights

  • ओमिक्रॉन को लेकर ब्रिटेन में किया गया अध्ययन
  • अध्ययन ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर बढ़ाई चिंता
  • 'ओमिक्रॉन के डेल्टा वेरिएंट से कम गंभीर होने का कोई सबूत नहीं'

लंदन: ब्रिटेन में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, इस बारे में "कोई सबूत नहीं" है कि कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम भयावह है। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि नया वेरिएंट (ओमिक्रॉन) पिछले संक्रमण या टीके की दोनों खुराकों से मिली प्रतिरक्षा को बड़े पैमाने पर चकमा देता है। 

ब्रिटेन में इंपीरियल कॉलेज, लंदन के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से फिर संक्रमित होने का जोखिम डेल्टा स्वरूप की तुलना में 5.4 गुना अधिक है। इसका मतलब यह है कि पिछले संक्रमण से मिली सुरक्षा को ओमक्रॉन 19 प्रतिशत तक कम कर सकता है। 

अध्ययन के लेखकों ने कहा, “अध्ययन में ओमिक्रॉन के डेल्टा स्वरूप से कम गंभीर होने के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए, चाहे क्यों न यह जांच में संक्रमित पाए जाने वाले लोगों के अनुपात के आधार पर हो, जो लक्षणों की जानकारी देते हैं, या संक्रमण के बाद अस्पताल में देखभाल करने वाले मामलों के अनुपात के आधार पर तय किए गए हों।” 

उन्होंने कहा, “हालांकि, अस्पताल में भर्ती होने संबंधी आंकड़े इस वक्त बहुत कम हैं।” अध्ययन में इंग्लैंड में सभी पीसीआर जांच से पुष्टि किए गए सार्स-कोवी-2 के सभी मामलों के डेटा का उपयोग किया गया, जिनकी 29 नवंबर और 11 दिसंबर, 2021 के बीच कोविड-19 की जांच की गई थी। 

अनुसंधान में ‘एस जीन टार्गेट फेल्यर’ (एसजीटीएफ) के कारण ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले लोगों के साथ-साथ वे लोग शामिल थे, जिनमें जीनोटाइप डेटा के साथ ओमिक्रॉन संक्रमण की पुष्टि हुई। यह अध्ययन अभी प्रकाशित होना है।

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