Highlights
- भारत आने से डर रहा नीरव मोदी
- कहा- भारत में हो सकती है मेरी हत्या
- नीरव ने खुदकुशी की भी जताई आशंका
Nirav Modi Extradition: PNB घोटाले में वांटेड हीरा कारोबारी नीरव मोदी को अब भारत में वापस आने पर डर लग रहा है। नीरव ने अपने साइकाएट्रिस्ट को बताया कि यदि उसे भारत को सौंप दिया जाता है तो या तो वह आत्मह्या कर लेगा या उसे वहां पर मार दिया जाएगा। उसने कहा कि आखिर मुझे जेल में ही रहना है तो मैं यीं क्यू न रहूं। फरवरी में नीरव मोदी को ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने भारत को सौंपने की मंजूरी दे दी थी। बता दें कि नीरव मोदी पर मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पंजाब नेश्नल बैंक (PNB) से 14500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। मामले में खुद को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ नीरव मोदी ने हाईकोर्ट में अपील की है। नीरव के अपील पर लंदन हाईकोर्ट ने जवाब देते हुए कहा कि भारत एक मित्र देश है और ब्रिटेन को भारत सरकार पर पूरा भरोसा है। भारत लाए जाने के बाद नीरव को ऑर्थर रोड जेल के बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा। उसे ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत ने उसके पर्याप्त चिकित्सा देखभाल का आश्वासन दिया है।
नीरव के वकील ने बताया भारत में उसके क्लाइंट को जान का खतरा
नीरव के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि यदि उसे भारत के “प्रतिकूल वातावरण” में भेजा जाता है तो उसका अवसाद बदतर हो जाएगा। भारत में राजनेताओं ने उन्हें पहले ही अपराधी घोषित करके “बुरे व्यक्ति” रूप में पेश किया है। साथ ही प्रेस ने उनके प्रति “कटुतापूर्ण” रवैया दिखाया है और लोगों ने “उनके पुतले जलाए” हैं। न्यायाधीश जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ ने बचाव पक्ष के वकील एडवर्ड फिट्जगेराल्ड से कहा, “भारत सरकार के आश्वासनों को यथोचित रूप से सही तरीके से देखा चाहिए और उनमें से खामियां नहीं निकाली जानी चाहिए।” उन्होंने कहा, “आपके मुवक्किल को लग सकता है कि आश्वासन पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
भारत-यूके प्रत्यर्पण संधि के तहत हमें नीरव को इंडिया भेजना ही होगा -लंदन हाईकोर्ट
न्यायाधीश रॉबर्ट जे. ने कहा कि 1992 में हस्ताक्षरित भारत-यूके प्रत्यर्पण संधि के संदर्भ में भारत एक “मित्र देश” है और हमें संधि से संबंधित अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए।” फिट्जगेराल्ड ने कहा कि उन्होंने आश्वासनों पर गंभीरता से गौर किया और पाया कि भारत में न्यायपालिका तो स्वतंत्र है, लेकिन कार्यपालिका हमेशा कानून के शासन का पालन नहीं करती। उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि पूर्ण सहयोग का लंबा इतिहास रहा हो ऐसे कई मामले भी आए हैं जिनमें अदालत ने पाया कि प्रतिवादी को भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए।” भारत सरकार की ओर से पेश अभियोजन वकील हेलेन मैल्कम ने कहा, “यह भारत में एक बेहद चर्चित मामला है और भारत सरकार, नीरव मोदी की देखभाल पर बहुत लोगों की निगाहें होंगी।”