वाशिंगटनः उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने रूस और चीन के बीच गहराते संबंधों पर गहरी चिंता जाहिर की है। रूस-चीन के बीच यह नजदीकियां ऐसे वक्त में बढ़ी हैं, जब यूक्रेन के साथ मॉस्को जंग लड़ रहा है और नाटो देश क्रेमलिन के खिलाफ जेलेंस्की की मदद कर रहे हैं। इस बीच बीजिंग पर लगातार रूस को हथियारों की मदद पहुंचाने का आरोप भी लगता रहा है। चीन की बढ़ती आक्रामकता से नाटो बौखला गया है। नाटो ने अपने वाशिंगटन शिखर सम्मेलन घोषणापत्र में कहा, “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की महत्वाकांक्षाएं और आक्रामक नीतियां लगातार हमारे हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दे रही हैं।
नाटो ने कहा कि रूस और पीआरसी के बीच गहराती रणनीतिक साझेदारी और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने व नया आकार देने के दोनों देशों के प्रयास गंभीर चिंता का विषय हैं।” शिखर सम्मेलन में शामिल राष्ट्राध्यक्षों और शासन प्रमुखों की ओर से जारी घोषणापत्र में कहा गया है, “हम सरकार में शामिल और उनसे इतर तत्वों से हाइब्रिड, साइबर, अंतरिक्ष और अन्य खतरों तथा दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में सभी देशों को बीजिंग से सतर्क रहना है।”
स्वीडन भी बना नाटो का सदस्य
इस सम्मेलन में स्वीडन को नाटो के 32वें सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया। घोषणापत्र में कहा गया है कि फिनलैंड और स्वीडन का नाटो में शामिल होना उन्हें सुरक्षित और संगठन को मजबूत बनाता है, ‘हाई नॉर्थ’ और बाल्टिक सागर क्षेत्रों में भी। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता भंग कर दी है तथा वैश्विक सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
नाटो ने घोषणापत्र में किया ये ऐलान
नाटो ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि रूस संगठन के सदस्य देशों की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रत्यक्ष खतरा बना हुआ है। इसमें कहा गया है, “आतंकवाद, अपने सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में, हमारे नागरिकों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं समृद्धि के लिए सबसे प्रत्यक्ष खतरा है। हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं, वे वैश्विक और परस्पर जुड़े हुए हैं।” इसलिए सतर्कता के साथ नाटो ने बीजिंग समेत अन्य के खिलाफ अपनी प्रतिरोधक क्षमता और रक्षा तंत्र को मजबूत करने, रूस से लड़ाई में यूक्रेन को दीर्घकालिक समर्थन बढ़ाने और नाटो के सदस्य देशों के बीच साझेदारी को गहरा करने के लिए कदम उठाए जाने पर जोर दिया है। घोषणापत्र में कहा गया है, “हम यूक्रेन के राष्ट्रपति (व्लादिमिर) जेलेंस्की और ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य तथा यूरोपीय संघ के नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। (भाषा)
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