यूक्रेन युद्ध में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने एक बार फिर से रूस की मुश्किल बढ़ा दी है। रूस के साथ युद्ध के दौरान सहायता करने के अपने वादों के मद्देनजर यूक्रेन को 98 प्रतिशत से अधिक लड़ाकू वाहनों की आपूर्ति की। सैन्य गठबंधन के प्रमुख ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि यूक्रेन अब जवाबी कार्रवाई करने के लिए तैयार है। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि 1,550 से अधिक बख्तरबंद वाहनों, 230 टैंकों और अन्य उपकरणों के साथ सदस्य देशों ने यूक्रेन को ‘बड़ी तादाद में कारतूस’ भेजे हैं।
नाटो संगठन ने यूक्रेन की नौ से अधिक नयी ब्रिगेड को प्रशिक्षित किया है और उन्हें उपकरण दिये हैं। नयी ब्रिगेड में 30,000 से अधिक सैनिकों के होने का अनुमान है। स्टोल्टेनबर्ग ने ब्रसेल्स में संवाददाताओं से कहा, “इससे यूक्रेन मजबूत स्थिति में आएगा और अपने क्षेत्र को दोबारा हासिल करने में सक्षम होगा।” उनकी यह टिप्पणी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के फोन पर बात करने के एक दिन बात आई है।
शी चिनफिंग ने की जेलेंस्की से बात
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बुधवार को अपने यूक्रेनियाई समकक्ष वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बात की थी और आगाह किया था कि ‘परमाणु युद्ध की स्थिति में कोई विजेता नहीं होगा’। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि चल रहे युद्ध में बुधवार और बृहस्पतिवार के बीच कम से कम सात नागरिक मारे गए और 33 घायल हो गए। मगर अब नाटो देशों द्वारा महत्वपूर्ण लड़ाकू वाहन और टैंकों की खेप दिए जाने से यूक्रेन के युद्ध लड़ने की ताकत में फिर से इजाफा हुआ है। यह रूस की चिंता का कारण भी बन गया है।