Highlights
- मार्स एक्सप्रेस ने ली हैं मंगल की घाटी की तस्वीरें
- अमेरिका के ग्रैंड कैन्यन से 20 गुना बड़ी है घाटी
- 4000 किलोमीटर तक है मंगल की घाटी की लंबाई
MARS Valley: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्षयान मार्स एक्सप्रेस ने मंगल ग्रह पर मौजूद घाटियों की तस्वीरें ली हैं। जो दिखने में बेहद ही अद्भुत हैं। ये तस्वीरें मंगल पर मौजूद मेरिनरिस कैन्यन घाटी की हैं। लाल ग्रह पर मौजूद ये घाटी 4000 किलीमीटर तक लंबी है। इसकी चौड़ाई 200 किलोमीटर और गहराई 6.4 किलोमीटर है। यूरोपी अंतरिक्ष एजेंसी ने घाटी की दो खाइयों की तस्वीरें ली हैं, जिसे चस्मा भी कहा जाता है। इसमें बाईं तरफ 838 किलोमीटर लंबा लुस चस्मा है और दाईं तरफ 804 किलोमीटर का तिथोनियम चस्मा था। इन तस्वीरों को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस में लगे हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरे से लिया गया है।
जब कंप्यूटर पर तस्वीर बनाई गई, तो असली रंग उभरकर आने लगे। इसका मतलब ये है कि इंसान को अपनी आंखों से जो कुछ दिखाई देता है, वही इन तस्वीरों में दिखाई देता है। ठीक इसी तरह की खाई अमेरिका में भी है, जिसे दुनियाभर में ग्रैंड कैन्यन के नाम से जाना जाता है। वहीं मंगल पर मौजूद घाटी अमेरिका के ग्रैंड कैन्यन से 20 गुना बड़ी है। ग्रैंड कैन्यन की लंबाई 445 किलोमीटर है, जबकि इसकी चौड़ाई 28 किलोमीटर है। यूरोप के अल्प्स की पहाड़ियों पर मौजूद सबसे ऊंचा पहाड़ माउंट ब्लांक समुद्र तल से 15,000 फीट ऊंचा है। और यह भी मंगल की घाटी के आगे काफी छोटा है।
50 लाख साल पहले बना था ग्रैंड कैन्यन
अमेरिका की ग्रैंड कैन्यन घाटी करीब 5 मिलियन यानी 50 लाख साल पहले नदी की धारा के कारण बना था। ठीक इसी तरह मंगल पर मौजूद घाटी टैक्टोनिक प्लेट के कारण बनी है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के दावे के अनुसार, मार्स एक्सप्रेस ने इससे पहले इस क्षेत्र में जल से जुड़े सल्फेट खनिजों की खोज की थी। वहीं ग्रैंड कैन्यन की बात करें, तो यह अमेरिका के एरिजोना में कोलोराडो नदी की धारा के चलते बनी एक घाटी है। जो ज्यादातर ग्रैंड कैन्यन नेशनल पार्क से घिरी हुई है। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, घाटी करीब 50-60 लाख साल पहले कोलोराडो नदी के बहाव की वजह से अस्तित्व में आई थी। नदी के बहने की वजह से एक के बाद एक मिट्टी की परतें हटती गईं, जिसके बाद ग्रैंड कैन्यन बना।
इस साल अपना रोवर नहीं भेजेगा यूरोप
यूरोप के मंगल ग्रह से जुड़े मिशन को लेकर इससे पहले मार्च महीने में खबर आई थी कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण यूरोप इस साल मंगल ग्रह पर अपना पहला रोवर भेजने का प्रयास नहीं करेगा। इस मिशन के तहत मंगल ग्रह पर जीवन के अस्तित्व का पता लगाना है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी यानी ईएसए ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि वह रूस के अंतरिक्ष विज्ञान संगठन रोसकोसमोस के साथ अपने एक्सोमार्स रोवर मिशन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर रही है। ईएसए ने पहले कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के कारण मिशन 'बहुत ही असंभव' था। इस मिशन के लिए रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ सहयोग को स्थगित करने का निर्णय ईएसए की सत्तारूढ़ परिषद ने पेरिस में एक बैठक में लिया था।
ईएसए ने मिशन को लेकर जारी किया था बयान
ईएसए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था, 'हम मानवीय क्षति और यूक्रेन के प्रति आक्रामकता के दुखद परिणामों को लेकर बहुत दुखी हैं। इसके कारण अंतरिक्ष के वैज्ञानिक अनुसंधान पर पड़ने वाले प्रभाव के बावजूद ईएसए पूरी तरह से रूस पर उसके सदस्य राज्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करता है।