Climate Change Conference & Emmanuel Macron:ग्लोबल वार्मिंग के चलते होने वाले जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है। विश्व के सभी अग्रणी देश और दुनिया भर के वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई ठोस उपाय अब तक नहीं खोज पाए हैं। इससे धरती पर मानवों समेत अन्य जीव-जंतुओं का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है। पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ता जा रहा है। पारिस्थितिकी के असंतुलन ने जीवन पर खतरा बढ़ा दिया है। ऐसे में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता करने जा रहा है। ऐसे में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने नायाब पहल की है।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति मौक्रों ने शनिवार को सोशल मीडिया मंचों पर एक वीडियो जारी करते हुए अपने देश की जनता को जलवायु परिवर्तन तथा जैव विविधता को लेकर सवाल भेजने के लिए कहा है। इस पर फौरन हजारों सुझाव भी आ गए हैं। मैक्रों ने ऐसा इसलिए किया कि जिससे उनके देश के लोगों में जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूकता हो और वैश्विक स्तर पर उनके सुझावों पर चर्चा हो सके। मैक्रों की यह पहल फ्रांसीसियों को बेहद रास आ रही है। इससे सभी लोग ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर हुए हैं। फ्रांस के लोगों ने जीवाश्म ईंधन सब्सिडी, समुद्र में प्रदूषण और परमाणु ऊर्जा को लेकर कठोर सवाल पूछे हैं, जिसे मैक्रों मिस्र में उठाएंगे।
दरअसल मैक्रों आज से मिस्र में शुरू हो रही संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता में भाग लेने पहुंच चुके हैं। उन्होंने लोगों की ओर से पूछे सवालों का अगले सप्ताह से जवाब देने का वादा भी किया है। वीडियो में उन्होंने एक पत्र पढ़ा, जिसमें यह पूछा गया कि उन्होंने ‘‘पर्यावरणीय आपातकाल’’ की घोषणा क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि पत्र ने ‘‘मुझे यह पूछने के लिए प्रेरित किया कि हम इस पारिस्थितिकी चुनौती, हमारी पीढ़ी की चुनौती के बारे में क्या कर रहे हैं।’’ मैक्रों ने अपने कार्यकाल में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने को शीर्ष प्राथमिकता देने का संकल्प लिया था, लेकिन पर्याप्त ठोस बदलाव नहीं लाने के लिए उन्हें व्यापक आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। मिस्र में सोमवार को जलवायु वार्ता में मैक्रों के जलवायु संबंधित वित्त पोषण, वन की रक्षा, अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल और अन्य जलवायु अनुकूल उपायों पर चर्चा करने की संभावना है।