Highlights
- ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनीं लिज ट्रूस
- ऋषि सुनक को भारी अंतर से हराया
- भारत को लेकर अच्छी सोच रखती हैं ट्रूस
Liz Truss India: ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की प्रमुख चुनी गईं लिज ट्रूस मंगलवार को देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगी, लेकिन इससे पहले वह स्कॉटलैंड में महारानी से मुलाकात करेंगी। मार्ग्रेट थैचर और थेरेसा मे को अपनी आदर्श मानने वाली ट्रूस टोरी पार्टी की तीसरी महिला नेता चुनी गई हैं और वह महारानी से मुलाकात करने के लिए अबेरडीनशायर में स्थित बालमोर कासल जाएंगी। निवर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके बाद ट्रूस लंदन के 10 ड्राउनिंग स्ट्रीट आएंगी और प्रधानमंत्री के तौर पर भाषण देंगी। इसके बाद वह अपने मंत्रिमंडल का गठन करेंगी। माना जा रहा है कि अटॉर्नी जनरल सुल्ला ब्रावेरमन उनकी शीर्ष टीम में शामिल होंगे। वह भारतीय मूल के सांसद हैं।
ब्रिटेन की विदेश मंत्री ट्रूस ने भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को पार्टी नेतृत्व के मुकाबले में हराया और अब वह प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन का स्थान लेंगी। हालांकि सुनक ही हार को लेकर लोग ब्रिटेन से ज्यादा भारत में दुखी हैं। क्योंकि अधिकतर भारतीय उन्हें कट्टर हिंदूवादी और भारत समर्थक नेता के तौर पर देख रहे थे। अब लिज ट्रूस के प्रधानमंत्री बने जाने के बाद भविष्य में भारत और ब्रिटेन के रिश्तों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। चलिए अब जान लेते हैं कि लिज ट्रूस के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते कैसे हो सकते हैं।
राजनयिक संबंधों की अच्छी समझ
लिज ट्रूस ब्रिटेन की विदेश मंत्री रही हैं। उन्हें राजनीति और राजनयिक संबंधों का लंबा अनुभव है। वह 2010 में पहली बार ब्रिटिश संसद की सदस्य बनी थीं। उनकी आयु 47 साल है। वह सांसद बनने के दो साल बाद 2012 में पहली बार डेविड कैमरन कैबिनेट में शिक्षा मंत्री के रूप में शामिल हुईं। उसके बाद 2014 में उन्हें पदोन्नत कर पर्यावरण मंत्री बनाया गया। 2015 के कंजर्वेटिव सम्मेलन में चीज़ के बारे में उनके भाषण के लिए लिज ट्रूस का मजाक उड़ाया गया था।
भारत को लेकर कैसी सोच रखती हैं ट्रूस?
लिज ट्रूज विदेश मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान भारत के प्रति काफी सकारात्मक रही हैं। वह रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत पर कठोर टिप्पणी करने से बचती रहीं। विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने अप्रैल में अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि भारत को भी रूस पर प्रतिबंध लगाने चाहिए, लेकिन ब्रिटेन भारत को नहीं बताएगा कि उसे क्या करना चाहिए। लिज ट्रूस के इस बयान को भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के सम्मान के तौर पर देखा गया। वह पहले भी भारत और ब्रिटेन के रिश्ते को मजबूत करने के समर्थन में बोल चुकी हैं और साथ ही व्यापार, रक्षा, पर्यावरण, शिक्षा सहित हर मोर्चे पर संबंधों को मजबूत करना जरूरी बता चुकी हैं।
क्या हो सकती है भारत के साथ इस व्यवहार की मजबूरी?
हिंद-प्रशांत में एक मजबूत खिलाड़ी होने के साथ ही भारत एक बहुत बड़ा बाजार है। जो कोई भी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनता है, उसके लिए भारत के साथ संबंधों को अच्छा रखना मजबूरी बन जाती है। ऐसे में ट्रूस भी भारत के साथ संबंधों को मजबूत बनाने पर काम करेंगी। उनका भारत के प्रति दृष्टिकोण अच्छा रहा है।
ऋषि सुनक की हार का भारत पर क्या असर पड़ेगा?
ऋषि सुनक की हार का भारत और ब्रिटेन के रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वह बेशक भारतीय मूल के हैं, लेकिन पूरी तरह ब्रिटिश हैं। उनकी प्राथमिकता भारत के बजाय ब्रिटेन है। अगर वह प्रधानमंत्री बन भी जाते, तब भी वह ब्रिटेन के हितों को अधिक महत्व देते। ऐसे में उनकी जीत या हार से भारत के साथ संबंधों पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।
लिज ट्रूस ने ब्रेक्जिट पर लिया था यू-टर्न
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रूस पहले ब्रेक्जिट का समर्थन नहीं करती थीं, लेकिन बाद में करने लगीं। उन्होंने जनमतसंग्रह के समय इसके खिलाफ खूब प्रचार किया था। वह चाहती थीं कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ का हिस्सा बना रहे और उन्होंने ब्रेक्जिट के समर्थन में वोट नहीं दिया। उन्होंने द सन अखबार में ब्रेक्जिट को ट्रिपल त्रासदी बताया था। ब्रेक्जिट का मतलब है, ब्रिटेन + एक्जिट। यानी यूरोपीय संघ से ब्रिटेन का एग्जिट, मतलब उसका यूरोपीय संघ से बाहर होना। हालांकि जब ब्रिटेन के लोगों ने ब्रेक्जिट के समर्थन में वोट दिया था, तो अवसर देख ट्रूस ने अपना पाला बदल लिया और ब्रेक्जिट का समर्थन करना शुरू कर दिया था।