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आ गया कैंसर मरीजों का जीवन बचाने वाला उपचार, नई पद्धति से इलाज का भारतीय मूल का किशोर बना पहला लाभार्थी

कैंसर मरीजों के लिए ब्रिटेन में एक नई थेरेपी की शुरुआत की गई है। भारतीय मूल का 16 वर्षीय किशोर युवान ठक्कर इस इलाज पद्धति का पहला लाभार्थी बना है। इस उपचार पद्धति से कैंसर मरीजों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की उम्मीद है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: March 30, 2024 18:30 IST
कैंसर संस्थान (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP कैंसर संस्थान (प्रतीकात्मक फोटो)

लंदन: कैंसर से प्रतिवर्ष दुनिया भर में लाखों मरीजों की मौत हो जाती है। मगर अब कैंसर मरीजों का जीवन बचाने वाले एक नए उपचार की खोज कर ली गई है। कैंसर से पीड़ित भारतीय मूल का किशोर युवान ठक्कर ब्रिटेन में इस इलाज पद्धति का पहला लाभार्थी बना है। युवान का कहना है कि हजारों लोगों के लिए नवीन उपचारों को सुलभ बनाने के लिए ब्रिटेन की सरकार द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा द्वारा स्थापित कोष की मदद से मिले उपचार के बाद वह उन चीजों का आनंद ले पा रहे हैं, जो उन्हें पसंद हैं।  

एनएचएस इंग्लैंड के मुताबिक, लंदन के नजदीक वाटफोर्ड के रहने वाले 16 वर्षीय ठक्कर ब्रिटेन के पहले किशोर हैं, जिन्हें उत्कृष्ट कीमरिक एंटिजन रिसेप्टर टी-सेल थेरेपी (सीएआरटी थेरेपी) दी गई और यह कैंसर ड्रग फंड (सीडीएफ) से संभव हुआ है। इस इलाज पद्धति को टिसाजेनलेक्लुसेल (किमरिया) भी कहते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) ने इस सप्ताह के अंत में सीडीएफ की मदद से 100,000 मरीजों को नवीनतम और सबसे नवीन उपचार उपलब्ध कराने की उपलब्धि हासिल की है। ऐसे उपचारों की अघोषित लागत को इस कोष द्वारा कवर किया जाता है।

सीएआरटी से इलाज ने बदली जिंदगी

ठक्कर ने कहा, ‘‘सीएआर टी पद्धति से इलाज होने से मेरी जिंदगी बहुत बदल गई है। ’’ ठक्कर ने उन्हें मिली ‘अविश्वसनीय’ देखभाल के लिए लंदन के ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट हॉस्पिटल (जीओएसएच) को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि कई बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़े और लंबे समय तक स्कूल से बाहर रहना पड़ा.उन्होंने मुझे उस स्थिति तक पहुंचने में मदद की, जहां मैं अपनी पसंद की कई चीजों का आनंद ले पा रहा हूं, जैसे स्नूकर या पूल खेलना, दोस्तों और परिवार से मिलना और शानदार छुट्टियों पर जाना। यह कल्पना करना कठिन है कि अगर इलाज उपलब्ध नहीं होता, तो चीजें कैसी होतीं।’’ ठक्कर छह साल की उम्र में रक्त कैंसर (ल्यूकेमिया)ग्रस्त पाए गए थे। (भाषा)

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