पेरिस: फ्रांस में संसदीय चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद कई जगहों पर हिंसा देखने को मिली है। चुनाव में वामपंथी दलों के गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। वहीं, पहले दौर में चुनाव जीतने वाला दक्षिणपंथी धड़ा तीसरे स्थान पर खिसक गया है। हालांकि, यहां किसी को भी बहुमत नहीं मिला है। चुनाव नतीजों के बाद फ्रांस की सियासत में अनिश्चितता की तस्वीर उभरकर सामने आई है। इमैनुएल मैक्रों का गठबंधन दूसरे स्थान पर और दक्षिणपंथी तीसरे स्थान पर रहे हैं।
किसी को नहीं मिला बहुमत
चुनाव में तीन प्रमुख राजनीतिक गुट उभरे हैं लेकिन कोई भी 577 सीटों वाले निचले सदन नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों के करीब नहीं पहुंच पाया है। यहां सबसे बड़े गुट बनकर उभरे वामपंथी गठबंधन को 182 सीटें मिली हैं। वहीं, मैक्रों के गठबंधन को 168 सीटें, जबकि धुर दक्षिणपंथी रैसेमबलेमेंट नेशनल और उसके सहयोगियों को 143 सीटें मिली हैं।
सही साबित हुए एग्जिट पोल
फ्रांस में संसदीय चुनाव के लिए रविवार को हुए दूसरे चरण के मतदान के बाद एग्जिट पोल (चुनाव बाद सर्वेक्षण) में दावा किया गया कि वामपंथी गठबंधन सबसे अधिक सीटें जीत सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक, राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन दूसरे जबकि धुर-दक्षिणपंथी दल तीसरे स्थान पर रह सकते हैं। एग्जिट पोल की तरह ही नतीजे भी देखने को मिले हैं।
अब किंगमेकर बने मैक्रों
देखने वाली बात है कि, नेशनल असेंबली में वामपंथी और दक्षिणपंथी पार्टियों की सीटें बढ़ी हैं। हालांकि, किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की हालत में अगले प्रधानमंत्री को लेकर कोई दावेदार नहीं उभरा है। वाम या दक्षिणपंथियों को सरकार बनाने के लिए मध्यमार्गी इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को साथ लाना होगा। नेशनल असेंबली का सत्र 18 जुलाई को शुरू होगा। ऐसे समय में अब इमैनुएल मैक्रों किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं।
भारी फोर्स तैनात
चुनाव नतीजों के बाद फ्रांस में कई स्थानों पर हिंसा भी देखने को मिली है। फ्रांस से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें कई नकाबपोश प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर उत्पात मचाते, फ्रांस के कुछ हिस्सों में आग लगाते हुए देखा गया है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने तनाव बढ़ने की आशंका के चलते पूरे देश में 30हजार दंगा पुलिस की तैनाती की है।
मैक्रों ने समय से पहले भंग की थी संसद
बता दें कि, फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा जुआ खेला था। अब इस मध्यावधि चुनाव के परिणाम से यूरोपीय वित्तीय बाजारों, यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के समर्थन और वैश्विक सैन्य बल एवं परमाणु शस्त्रागार के प्रबंधन के फ्रांस के तौर-तरीके पर काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
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