विएना: पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों के लिए ‘आतंक का केंद्र’ कहने वाले अपने बयान पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि वह इससे भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे। उन्होंने साथ ही कहा कि दुनिया को आतंकवाद को लेकर परेशान होने की जरूरत है। पाकिस्तान को अक्सर ‘आतंकवाद का केंद्र’ बताने वाले जयशंकर ने ऑस्ट्रिया के राष्ट्रीय प्रसारक ‘ORF’ को इंटरव्यू के दौरान दशकों से जारी आतंकवाद की निंदा नहीं करने के लिए यूरोपीय देशों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि आप एक डिप्लोमैट हैं तो इसका यह मतलब नहीं है कि आप बातों को घुमा फिरा कर कहें।
‘मैं और ज्यादा कड़े शब्द का इस्तेमाल कर सकता था’
जयशंकर ने कहा, ‘मैं ‘केंद्र’ से भी ज्यादा कड़े शब्द का इस्तेमाल कर सकता था। इसलिए यकीन करें कि जो कुछ हमारे साथ हो रहा है, उसको देखते हुए केंद्र ज्यादा डिप्लोमैटिक शब्द है।’ उन्होंने पाकिस्तान के लिये ‘आतंकवाद का केंद्र’ शब्द के उपयोग पर पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही। जयशंकर ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘यह एक ऐसा देश है जिसने कुछ वर्ष पहले भारत की संसद पर हमला किया, जिसने मुंबई शहर पर हमला किया, जो होटलों और विदेशी पर्यटकों तक गया और जो रोजाना सीमापार से आतंकवादियों को भेजता है।’
‘क्या पाकिस्तान को वाकई इसकी जानकारी नहीं होगी?’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘अगर दिन दहाड़े शहरों में आतंकी अड्डे चल रहे हों, भर्तियां और फंडिंग हो रही हो, तो क्या पाकिस्तान की सरकार को वाकई में इसकी जानकारी नहीं होगी कि क्या हो रहा है? खासतौर पर तब जब आर्मी लेवल की ट्रेनिंग दी जा रही हो। यूरोप दशकों से चल रहे इस खेल की आलोचना क्यों नहीं करता?’ यह पूछे जाने पर कि क्या दुनिया को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका से परेशान होना चाहिए, इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि दुनिया को आतंकवाद को लेकर परेशान होना चाहिए।’
‘आतंक का केंद्र भारत के काफी पास स्थित है’
बता दें कि विदेश मंत्री ने सोमवार को ऑस्ट्रिया के अपने समकक्ष अलेक्जेंडर शालेनबर्ग के साथ कई क्षेत्रीय और वैश्विक स्थितियों पर ‘खुली और सार्थक’ चर्चा की थी। पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा था कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को किसी एक क्षेत्र के अंदर सीमित नहीं किया सकता, खासतौर पर जब वह मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने किसी देश का नाम लिये बिना कहा था, ‘चूंकि इसका केंद्र भारत के काफी करीब स्थित है तो स्वाभाविक तौर पर हमारा अनुभव दूसरों के लिये उपयोगी हो सकता है।’