Saturday, December 21, 2024
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जयशंकर ने फिर सुनाई खरी-खरी, यूरोप अपने लिए ऊर्जा का मनपसंद विकल्प चुने और भारत को कुछ और कहे यह मंजूर नहीं

India-Germany Pact: भारत और जर्मनी ने ऊर्जा, कारोबार, जलवायु परिवर्तन सहित द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करने एवं यूक्रेन संकट सहित वैश्विक मुद्दों पर सोमवार को विस्तृत चर्चा की। इस दौरान भारत ने रूस से तेल खरीद के मामले को लेकर फिर से जर्मनी के सामने पश्चिमी देशों को खरी-खरी सुना दी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 05, 2022 23:40 IST, Updated : Dec 05, 2022 23:46 IST
एस जयशंकर, विदेश मंत्री
Image Source : PTI एस जयशंकर, विदेश मंत्री

India-Germany Pact:  भारत और जर्मनी ने ऊर्जा, कारोबार, जलवायु परिवर्तन सहित द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करने एवं यूक्रेन संकट सहित वैश्विक मुद्दों पर सोमवार को विस्तृत चर्चा की। इस दौरान भारत ने रूस से तेल खरीद के मामले को लेकर फिर से जर्मनी के सामने पश्चिमी देशों को खरी-खरी सुना दी। विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूरोप अपने लिए ऊर्जा के पनपसंद विकल्प चुने और भारत को कुछ और कहे, यह मंजूर नहीं है। 

भारत और जर्मनी ने समग्र प्रवासन व आवाजाही साझेदारी समझौते पर भी इस दौरान हस्ताक्षर किया। रूस से कच्चे तेल के आयात पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछने नौ महीने में यूरोपीय देशों ने इसकी जितनी खरीद की है, उसका छठा हिस्सा ही भारत ने खरीदा है। जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के कारोबार को बढ़ाने के बारे में चर्चा यूक्रेन संघर्ष से काफी पहले शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि यह बाजार से जुड़े कारकों से प्रेरित हैं। फरवरी से नवंबर तक यूरोपीय संघ ने रूस से अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन का आयात किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि संषर्घ की स्थिति (यूक्रेन में) है। मैं यह भी समझता हूं कि यूरोप का एक विचार है और यूरोप अपने विकल्प चुनेगा और यह यूरोप का अधिकार है। लेकिन यूरोप अपनी पसंद के अनुसार ऊर्जा जरूरतों को लेकर विकल्प चुने और फिर भारत को कुछ और करने के लिये कहे । यह उचित नहीं ठहराया जा सकता।  उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया से यूरोप द्वारा तेल खरीदने से भी दबाव पड़ा है। उनसे पूछा गया था कि भारत क्यों रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है।  

दोनों देश इन क्षेत्रों में बड़ी साझेदारी पर सहमत

भारत और जर्मनी ने हिन्द प्रशांत, यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान में स्थिति, पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे, सीरिया की स्थिति सहित क्षेत्रीय और वैश्विक विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ द्विपक्षीय सहयोग के विविध आयामों पर विस्तृत चर्चा की। बैठक के बाद जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ संयुक्त प्रेस संबोधन में वहीं, बेयरबॉक ने कहा, ‘‘जब दुनिया कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही है तो हमारे लिये मिलकर आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है।’’ क्षेत्र को चीन की चुनौतियों के बारे में एक प्रश्न के जवाब में जर्मनी की विदेश मंत्री ने कहा कि खतरों का आकलन करने की जरूरत है। उन्होंने साथ ही चीन को कई मायने में प्रतिस्पर्धी बताया।

पाकिस्तान से बातचीत का औचित्य नहीं
एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ तब तक बातचीत नहीं हो सकती, जब तक कि वह सीमापार से आतंकवाद को जारी रखता है। जयशंकर ने जर्मनी की अपनी समकक्ष एनालेना बेयरबॉक की मौजूदगी में यह टिप्पणी की और कहा कि बर्लिन इस बात को समझता है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ हमने हिन्द प्रशांत के विषय और ईरान के मुद्दे, लचीली आपूर्ति श्रृंखला सृजित करने और डिजिटल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के बारे में भी चर्चा की। इसके साथ ही हमारी चर्चा में अधिक सुरक्षित वैश्विक अर्थव्यस्था का विषय भी रहा।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने दोनों देशों के लोगों के बीच सम्पर्क बढ़ाने पर चर्चा की।

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