Sunday, December 22, 2024
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पीएम मोदी की दोस्त जॉर्जिया मेलोनी ने दिया चीन को बड़ा झटका, भारत के नक्शेकदम पर चला इटली

भारत के नक्शेकदम पर चलते हुए इटली ने चीन को इतना बड़ा झटका दिया है, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी मित्रों में से एक इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी के एक फैसले से चीन में भूचाल आ गया है। इटली ने 4 साल बाद चीन के बीआरआइ से खुद को अलग कर लिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 06, 2023 22:58 IST, Updated : Dec 07, 2023 6:56 IST
जॉर्जिया मेलोनी, इटली की प्रधानमंत्री।
Image Source : AP जॉर्जिया मेलोनी, इटली की प्रधानमंत्री।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेहतरीन दोस्त और इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने चीन को सबसे बड़ा झटका दिया है। भारत के नक्शेकदम पर चलते हुए इटली ने चीन के बेल्ड एंड रोड परियोजना (BRI) से खुद को अलग कर लिया है। अभी तक भारत दुनिया के करीब 150 देशों में चीन की इस परियोजना का विरोध करने वाला पहला देश था। अब इटली ने भी भारत की तर्ज पर खुद को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से अलग हो गया है। इटली चीन के बीआरआइ से अलग होने वाला जी-7 राष्ट्र समूह का एक मात्र देश है। इटली के इस फैसले से चीन में खलबली मच गई है। 

इटली ने पहले चीन की विशाल इन्फ्रा योजना के लिए साइन किया था। मगर अब उसने इस परियोजना से अचानक किनारा कर लिया है। इतालवी अखबार कोरिएरे डेला सेरा के अनुसार लंबे समय से अपेक्षित इस फैसले के बारे में इटली ने बीजिंग को तीन दिन पहले सूचित कर दिया था। एक सरकारी सूत्र ने बुधवार को कहा कि इटली चीन की विशाल बेल्ट और रोड बुनियादी ढांचा पहल से हट गया है। इस परियोजना पर हस्ताक्षर करने के 4 साल बाद इटली ने यह फैसला लेकर सबको हैरान कर दिया है। हालांकि अभी किसी भी पक्ष ने कोई आधिकारिक संचार प्रकाशित नहीं किया है, लेकिन इतालवी सरकार के एक सूत्र ने एएफपी से इस बात की पुष्टि कर दी है।

पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने लिया फैसला

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने चीन के बीआरआइ से खुद को अलग करने का यह फैसला किया है। वह लंबे समय से चीन के इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही थीं। सूत्र ने यह कहने के अलावा कोई विवरण नहीं दिया कि यह "राजनीतिक बातचीत के रास्ते खुले रखने" के लिए इस तरह से किया गया था। मेलोनी के इस फैसले में चीन किसी का राजनीतिक प्रभाव दिखता है। अगर इटली ने अभी यह फैसला नहीं ले लिया होता तो यह सौदा मार्च 2024 में स्वचालित रूप से नवीनीकृत होने वाला था। मगर जॉर्जिया मेलोनी और उनकी कट्टर-दक्षिणपंथी सरकार ने बीजिंग को उकसाने और इतालवी कंपनियों के खिलाफ प्रतिशोध का जोखिम उठाने के लिए बेहद सावधान थी।

जी-20 के दौरान ही इटली ने चीन को दे दिया था संकेत

भारत में सितंबर में नई दिल्ली के जी20 शिखर सम्मेलन में ही जॉर्जिया मेलोनी ने चीन को यह संकेत दे दिया था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि अगर इटली (रोम) को यह परियोजना छोड़नी चाहिए तो वह इसके लिए "चीन के साथ संबंधों से समझौता नहीं करेगा। वहीं बीजिंग का कहना है कि उरुग्वे से लेकर श्रीलंका तक 150 से अधिक देशों ने इस पहल पर हस्ताक्षर किए हैं, जो विदेशों में चीन के प्रभुत्व का विस्तार करने के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रयास का एक केंद्रीय स्तंभ है। बीजिंग का कहना है कि उसने दुनिया भर में दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक के अनुबंध किए हैं, जिसमें दक्षिण पूर्व एशिया में हाई-स्पीड रेल ट्रैक और मध्य एशिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर परिवहन, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा कार्य शामिल हैं।

गरीब देशों पर चीन ने डाला बोझ, अमेरिका ने किया सावधान

वैश्विक दक्षिण में संसाधन और आर्थिक विकास लाने के लिए समर्थकों ने इसकी सराहना की है , लेकिन गरीब देशों पर भारी कर्ज का बोझ डालने के लिए चीन के बीआरआ की आलोचना भी की गई है। इसने चीनी बुनियादी ढांचा कंपनियों को कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में पैर जमाने का मौका भी दिया है। विशेष रूप से पश्चिमी देशों में चिंताएं हैं कि चीन अपने लाभ के लिए वैश्विक विश्व व्यवस्था का पुनर्निर्माण करना चाहता है, जबकि बीआरआइ देशों में विपक्षी आवाजों ने भी स्थानीय राजनीति में बढ़ते चीनी प्रभाव की निंदा की है। इस बीच, वाशिंगटन ने चेतावनी दी है कि चीन इस पहल का इस्तेमाल बीआरआइ निवेश की सुरक्षा के नाम पर दुनिया भर में सैन्य अड्डे बनाने के बहाने के रूप में कर सकता है। 

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