विपक्षी दलों ने यूक्रेन संकट के भू-राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभाव को लेकर केंद्र को सचेत करते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सरकार को इस युद्ध को खत्म कराने और शांति की बहाली में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। विपक्षी सदस्यों ने युद्ध के कारण यूक्रेन से बीच में ही पढ़ाई छोड़कर आने वाले भारतीय छात्रों के भविष्य की चिंता करते हुए उनके पाठ्यक्रम को पूरा करने की वैकल्पिक व्यवस्था कराने की भी मांग की।
वहीं, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने यूक्रेन संकट पर भारत के ‘सतत रुख’ और ‘ऑपरेशन गंगा’ की सफलता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा कि देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में है और सरकार इस संकट के कारण उत्पन्न मुद्दों के समाधान पर ध्यान दे रही है।
मनीष तिवारी ने उठाया मुद्दा-
निचले सदन में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि उसे मौजूदा समय में गुटनिरपेक्षता से जुड़े नेहरूवादी सिद्धांत का अनुसरण करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्होंने रूस के साथ भारत के संबंधों एवं 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय का उल्लेख करते हुए कहा कहा कि रूस भारत का विश्वसनीय मित्र रहा है और बहुत मुश्किल समय में उसने हमारी मदद की।
उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन की स्थिति के लिए क्या रूस अकेले जिम्मेदार है? मुझे लगता है कि अमेरिका और उसके साथी इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं।’ तिवारी ने कहा कि आज पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है, श्रीलंका में आर्थिक बदहाली है। अब तक सरकार बहुत सतर्क रही है, इसके लिए इसकी सराहना होनी चाहिए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गुटनिरपेक्षता के नेहरूवादी सिद्धांत की तरफ जाने का समय है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि किसी देश में फंसे भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने का सफल अभियान पहले भी चलाया गया, लेकिन इस तरह से कभी पीठ नहीं थपथपाई गई। चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि रूस की सैन्य कार्रवाई के 40 दिनों बाद स्थिति बहुत बदल गई है।
उन्होंने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि मौजूदा समय में इस संकट का भू-राजनीतिक असर क्या होगा और भारत सरकार का रुख अब क्या है? उन्होंने कहा कि यूक्रेन से लौटे छात्रों के मुद्दों को तत्काल हल करना चाहिए। सरकार को संबंधित विभागों से बातचीत करके कदम उठाने चाहिए। प्रेमचंद्रन ने कहा कि ‘ऑपरेशन गंगा’ पर आलोचनात्मक ढंग से गौर करना चाहिए ताकि आगे के लिए सबक लिया जा सके।
क्या बोले मनीष तिवारी?
उन्होंने कहा कि भारत को बहुत सावधानी के साथ कूटनीतिक कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘इस संकट का समाधान करने में भारत को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।’ चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि यूक्रेन संकट पर भारत का रूख ‘सतत’ रहा है और वहां फंसे भारतीय छात्रों को निकालने का अभियान काफी सफल रहा।
उन्होंने कहा कि इसके लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्र सरकार की सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट में सरकार ने समय रहते परामर्श जारी किए और एक अप्रत्याशित हालात से 22 हजार से अधिक छात्रों को वहां से बाहर निकाला। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय के प्रयास सराहनीय हैं। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन और रूस दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से बात की। बाद में आम लोगों के बाहर निकलने का एक गलियारा बना।’
सिंह ने कहा, ‘यह समझना होगा कि स्थिति सामान्य नहीं थी। युद्ध ग्रस्त देश से लोगों को निकालना इतना आसान काम नहीं था।’ उन्होंने कहा कि इन छात्रों का भविष्य अंधकारमय है और उनके मुद्दों का समाधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन गंगा’ से जुड़े सभी लोगों का आभार प्रकट करना चाहिए।