Highlights
- प्रतिबंधों से बचने के लिए रूस ने खोला INSTC
- भारत को इस नए व्यापार मार्ग से होगा फायदा
- भारत, ईरान और रूस ने तैयार किया है INSTC
INSTC Corridor India: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण काला सागर के रास्ते वाला व्यापार मार्ग ठप पड़ा है। यही वो रास्ता है, जहां से यूक्रेन का गेहूं पूरे यूरोप तक पहुंचाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र सहित कई देशों ने काला सागर में रूस की नौसैनिक नाकेबंदी पर चिंता व्यक्त की है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुनित ने घोषणा की है कि एक अलग व्यापार मार्ग खोला जाएगा। उन्होंने कैस्पियन सागर के देशों के प्रमुखों के साथ बैठक में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) को लेकर बात की है। इसे अंग्रेजी में इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भी कहा जाता है। उन्होंने इस कॉरिडोर को पूरे क्षेत्र में परिवहन और कनेक्टिविटी के लिए गेम चेंजर बताया है। कॉरिडोर में प्रमुख रूप से रूस, ईरान और भारत शामिल हैं।
तीनों देशों ने मिलकर किया तैयार
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) 7200 किलोमीटर तक लंबा है। जिसमें तीन तरह के रास्ते सड़क, समुद्र और रेल मार्ग शामिल हैं। बीते दो दशक से कॉरिडोर ठंडे बस्ते में पड़ा था लेकिन अब रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ये दोबारा जीवित हो गया है। विश्लेषकों के अनुसार, रूस, ईरान और भारत ने इस कॉरिडोर को तैयार करने में काफी मेहनत की है। यह रूस के लिए आर्थिक प्रतिबंधों से होने वाले नुकसान से बचने का भी एक तरीका जैसा नजर आ रहा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने यूक्रेन युद्ध की वजह से उसपर प्रतिबंध लगा दिए हैं। डेजान शायर एंड कंपनी के संस्थापक क्रिस डेवनशायर-एलियास का कहना है कि ये पूर्वी हिस्से में व्यापार के नए मार्ग हैं। रूस इनके इस्तेमाल को लेकर काफी गंभीर है।
जून महीने में ईरान ने INSTC का उपयोग करके रूस से भारत में माल के पहले पायलट ट्रांजिट की घोषणा की थी। इसने ईरान में होर्मुज जलडमरूमध्य पर बंदर अब्बास बंदरगाह का भी इस्तेमाल किया है। पहली खेप में लकड़ी के कंटेनरों में सामान ईरान के रास्ते रूस से भारत लाया गया था। इसके बाद जुलाई में कम से कम अन्य 39 कंटेनरों को न्हावा शेवा के अरब सागर बंदरगाह के माध्यम से रूस से भारत भेजा गया था। अब इस व्यापार के आने वाले महीनों और बढ़ने की संभावना है।
2030 के लिए सेट किया गया टार्गेट
अल जजीरा से बात करते हुए, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय की पूर्व सलाहकार वैशाली बसु शर्मा ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। इस महीने की शुरुआत में, पूर्व सोवियत देशों और बाल्टिक देशों में सबसे बड़े मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर RZD लॉजिस्टिक्स ने INSTC के साथ एक नई कंटेनर ट्रेन सेवा शुरू की है। 2030 तक INSTC कॉरिडोर के माध्यम से हर साल लगभग 25 मिलियन टन माल ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है। यह यूरेशिया, दक्षिण एशिया और खाड़ी देशों के बीच कुल कंटेनर यातायात का 75 प्रतिशत हिस्सा होगा।
भारत को INSTC कॉरिडोर से क्या फायदा होगा?
INSTC कॉरिडोर के पीछे का लॉजिक स्पष्ट है। अभी तक व्यापारिक जहाजों को भारत से रूस तक माल पहुंचाने के लिए अरब सागर, लाल सागर और भूमध्य सागर को पार करना पड़ता था। फिर इन्हें पश्चिमी यूरोप और आखिर में बाल्टिक सागर के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचने के लिए यात्रा करनी होती थी। लेकिन अब INSTC कॉरिडोर के खुलने से यात्रा का ये समय 40-60 दिन से घटकर 25-30 दिन हो गया है। नया व्यापार मार्ग मध्य एशिया, कैस्पियन सागर, ईरान और आखिर में अरब सागर से होकर गुजरेगा, जिससे परिवहन लागत में 30 प्रतिशत तक की कटौती आएगी।
भारत की मध्य एशिया तक सीधी पहुंच होगी
भारत के लिए INSTC कॉरिडोर व्यापार के अलावा रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह उसे पाकिस्तान को बायपास करते हुए मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक सीधी पहुंच देता है। साल 2016 में भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तेहरान दौरे के समय ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 85 मिलियन डॉलर के निवेश और 150 मिलियन डॉलर के कर्ज का ऐलान किया था। भारत चाहता है कि चाबहार बंदरगाह को INSTC कॉरिडोर में शामिल कर लिया जाए।