India-America-Russia: भारत अपनी नौसेना को मजबूत बनाने के लिए पूरी तरह कमर कसे हुए है। इसके लिए भारत ने रूस और अमेरिका दोनों से ऐसी खतरनाक मिसाइलें खरीदने का निर्णय लिया है, जिससे चीन की अकड़ ढीली हो जाएगी। वहीं भारत अमेरिका और रूस दोनों से मिसाइल खरीदकर दोनों देशों से अपनी संबंधों को मजबूत करेगा। दरअसल, यूक्रेन से जंग के बाद भारत के न्यूट्रल रवैये से अमेरिका खिन्न है और रूस से तेल न खरीदने के लिए दबाव भी डाला है। पर भारत ने अमेरिका की अनसुनी की और रूस से कच्चा तेल बराबर खरीद रहा है। रूस से दोस्ती के बावजूद अमेरिका से भी भारत के कारोबारी और लोकतांत्रिक देश होने के नाते अच्छे पारंपरिक रिश्ते हैं। ऐसे में भारत रूस और अमेरिका दोनों से अच्छे संबंध रखना चाहता है। रूस की खतरनाक कैलिबर क्रूज मिसाइल और अमेरिका की हार्पून मिसाइलें भारत की विदेश नीति को साधने में भी मददगार होंगी और हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की ताकत भी बढ़ाएंगी।
भारत ने रूस और अमेरिका दोनों से मिसाइल सिस्टम खरीदने का निर्णरू लिया है। इन दोनों देशों से मिसाइल सिस्टम खरीदने की लागत करीब 20 करोड़ डॉलर है। इनमें रूस की कैलिबर क्रूज मिसाइल के अलावा अमेरिका की हार्पून मिसाइल शामिल है। इन मिसाइल सिस्टम को खास तौर पर भारतीय नौसेना के लिए खरीदा जा रहा है।
अमेरिका दे चुका है होवित्जर तोप, रूस से मिला है एस 400 एंटी मिसाइल सिस्टम
रूस और अमेरिका दोनों यूक्रेन को लेकर एकदूसरे के आमने सामने हैं। भारत परंपरागत रूप से रूस के साथ ब्रह्मोस से लेकर एस 400 एंटी मिसाइल सिस्टम तक, मिराज से सुखोई फाइटर जेट तक खरीदता रहा हैै। हालांकि रूस की जंग के बाद रक्षा निर्यात करने की क्षमता में कमी के बाद भारत अब अमेरिका, फ्रांस जैसे दूसरे देशों से भी रक्षा खरीद को एक्सपांड कर रहा है। इससे पहले अमेरिका ने भारत को होवित्जर तोप दी थी। फ्रांस ने भारत को राफेल लड़ाकू विमान दिए।
रूस से कैलिबर क्रूज मिसाइल सिस्टम खरीदेगा भारत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रक्षा मंत्रालय जल्द ही इस खरीद को औपचारिक तौर पर मंजूरी दे सकता है। इस खरीद को लेकर बातचीत अपने एडवांस स्टेज में है। इसके अनुसार, भारतीय नौसेना ने रूस से 20 क्लब या कैलिबर एंटी शिप क्रूज मिसाइल और अमेरिकी हार्पून एंटी शिप मिसाइल सिस्टम खरीदने का प्रस्ताव पेश किया है। उन्होंने कहा कि रूस की कैलिबर क्रूज मिसाइल भारतीय नौसेना के कई युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर पहले हीी तैनात है।
अमेरिका से हार्पून मिसाइल खरीदने का है प्लान
भारत अमेरिका से भी हार्पून मिसाइल खरीने का ऑर्डर दे सकता है। अमेरिका से इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने में करीब 80 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा। अमेरिकी कांग्रेस पहले ही हार्पून ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट जेसीटीएस और संबंधित उपकरणों को भारत को बेचने की मंजूरी दे चुकी है। भारतीय नौसेना पहले ही अपने पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान और पनडुब्बियों पर हार्पून मिसाइल तैनात कर चुकी है।
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