India-Russia: रूस और यूक्रेन जंग के बाद से ही यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसे में रूस से यूरोपीय देश कारोबार नहीं कर रहे हैं। इसका आर्थिक नुकसान रूस को उठाना पड़ रहा है। खासकर रूस से यूरोपीय देशों को जो कच्चा तेल निर्यात किया जाता था, वह भी जंग के बीच प्रतिबंध के कारण यूरोपीय देश नहीं खरीद रहे हैं। ऐसे में अपने दोस्त रूस को फायदा पहुंचाने और खुद भी लाभ कमाने के लिए भारत ने नई तरकीब निकाली है। वह रूसी तेल का कई गुना आयात बढ़ा चुका है। अब इसी रूसी कच्चे तेल को भारत की तेलशोधक कंपनियों ने प्रोसेस करके यूरोप को बेच दिया। जानिए भारत ने क्या कूटनीति बनाई। कौन था पहले सबसे बड़ा तेल आयातक देश। रूस से तेल आयात में पाकिस्तान भारत के मुकाबले कहां ठहरता है। भारतीय कंपनियों को तेल से मुनाफा होने के बाद भी पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर क्यों रहे, जानिए सबकुछ।
दरअसल, यूक्रेन और रूस की जंग जो पिछले साल फरवरी 2022 में शुरू हुई थी। इसके बाद से ही भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है। भारत पहले इराक से सबसे ज्यादा तेल खरीदता था, लेकिन अब इराक को पछाड़कर रूस भारत को कच्चा तेल बेचने वाला सबसे बड़ा देश बन गया। भारत को अरब देश और इराक से भी सस्ते दामों में यह तेल रूस से मिल रहा है। लेकिन अमेरिका ने जंग के बीच भरसक कोशिश की। भारत पर दबाव भी डाला कि वह रूस से तेल न खरीदे, रूस पर जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, उसका भारत भी पालन करे। लेकिन अमेरिकी दबाव को ठेंगा दिखाकर भारत ने अपनी जरूरतों का हवाला देकर जंग की आपदा में कच्चे तेल के आयात को अवसर के रूप में देखा और रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात कर रहा है।
भारतीय तेलशोधक कंपनियों ने प्रोसेस करके तेल को यूरोपीय देशों को भेजा
इसी बीच मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब अब जहाजों के ट्रैकिंग डेटा के आधार पर दावा किया जा रहा है कि भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी कच्चे तेल को प्रोसेस कर उसे यूरोप में निर्यात किया है। इसमें डीजल और जेट फ्यूल सबसे अधिक था। रूस अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों के कारण सीधे तौर पर यूरोपीय देशों को तेल का निर्यात नहीं कर पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सस्ते रूसी कच्चे तेल तक भारतीय रिफानरियों की पहुंच ने उत्पादन और मुनाफे को बढ़ाया है। इससे भारतीय रिफाइनरियां रिफाइंड उत्पादों को यूरोप में निर्यात करने और बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा करने में सक्षम हुई हैं।
जानिए जंग के बाद कितना बढ़ा रूस से तेल का आयात
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पहले यूरोप सामान्यतः भारत से ऑन एन एवरेज भारत से औसतन 1 लाख 54 हजार बैरल रोजाना डीजल और जेट ईंधन आयात किया था।
अब जहाज ट्रैकिंग डेटा शेयर करने वाली कंपनी केपलर के आंकड़ों से की मानें तो 5 फरवरी से यूरोपीयन यूनियन यानी ईयू के रूसी तेल के प्रोडक्ट्स पर लगे आयात पर बैन के बाद यह बढ़कर 2 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है। आंकड़े यही गवाही दे रहे हैं कि मार्च के महीने में रूसी कच्चे तेल का भारत में आयात लगातार 7वें महीने बढ़ा है।
इराक को पछाड़कर रूस बना भारत के लिए नंबर वन तेल निर्यातक देश
कैपलर और वॉर्टेक्स के डेटा बताते हैं कि यूक्रेन से जंग से पहले भारत की तेलशोधक कंपनियां ट्रांसपोर्ट की लागत ज्यादा होने की वजह से रूस की बजाय इराक और अरब देश से तेल आयात को तवज्जो देती थी। इसलिए रूस से नहीं के बराबर ही कच्चा तेल खरीदती थी। लेकिन साल 2022 से 2023 के बीच रूस से रिकॉर्ड 9 लाख 70 हजार से 9 लाख 81 हजार बीपीडी कच्चे तेल का आयात किया गया। इस तरह भारत ने अपने कुल कच्चे तेल के आयात का पांचवा हिस्सा रूस से ही खरीदा। इस तरह इराक को पछाड़कर रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश बन गया। जंग में पूरी दुनिया ने भारत पर तेल न खरीदने का दबाव डाला, लेकिन भारत ने अपनी जरूरतों का हवाला दिया और बिना डरे, डंके की चोट पर रूस से कच्चे तेल का आयात कर रहा है।
भारत की राह पर चलने की पाकिस्तान की कोशिश, पर नाकाम, जानिए कैसे?
पाकिस्तान ने भी भारत की तरह रूस से कच्चा तेल खरीदने की कोशिश की। लेकिन अमेरिका के दबाव के आगे उसकी एक न चली। इमरान खान जब से सत्ता से बेदखल किए गए, उन्होंने अमेरिका को ही इसके लिए जिम्मेदार माना। वहीं शहबाज शरीफ सरकार भी अमेरिकी दबाव के आगे बेबस नजर आई और रूस से कच्चे तेल खरीदने की कोशिश में ही लगी रही। इमरान खान हाल के महीनों में अपनी कई रैलियों में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि भारत ने किस दबंगई के साथ अमेरिका और अन्य देशों के प्रेशर के बावजूद बिना डरे और झुके धड़ल्ले से कच्चे तेल का रूस से आयात किया है, लेकिन पाकिस्तान बेबस है। इस बात को लेकर इमरान ने कई बार शहबाज सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
भारतीय तेल कंपनियों को मुनाफा, लेकिन पेट्रोल डीजल के भाव क्यों कम नहीं हुए?
ये सच है कि भारतीय तेल कंपनियों को जब से रूस से कच्चे तेल का आयात किया जा रहा है, तब से तगड़ा मुनाफा हुआ है। लेकिन पेट्रोल और डीजल के दाम सस्ते न करते हुए स्थिर बने हुए हैं। इसका कारण यह है कि कोरोनाकाल में और जंग से पहले भारतीय तेल कंपनियों को जो घाटा सहना पड़ा था। उसकी भरपाई हुई है और जहां पूरी दुनिया में महंगाई से हाहाकर मचा हुआ है, कई अच्छे अच्छे देशों की इकोनॉमी डावांडोल हो रही है, ऐसे में भारत ने दूसरे देशों की तुलना में महंगाई पर कुछ हद तक नियंत्रण किया और इकोनॉमी को भी अन्य देशों से अच्छी तरह संभाला है। यही कारण है कि पेट्रोल डीजल के भाव स्थिर रहे।