Highlights
- पीएम मोदी ने मई में कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई भी पक्ष विजेता नहीं होगा
- मास्को को अगर कोई मना सकता है तो वो भारत है
- इस यात्रा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भारत की डिफेंस को मजबुत करना
Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के 6 महीने हो गए हैं, इस बीच भारत के एनएसए (NSA) अजीत डोभाल मंगलवार को मास्को पहुंचे। रूसी अधिकारियों के साथ उनकी एक तस्वीर भी सामने आई है जो अमेरिका और यूक्रेन को पसंद नहीं आई है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि डोभाल यूक्रेन और युद्ध में रूस को 'शांति' करने के लिए मनाने की कोशिश कर सकते हैं। डोभाल ने बुधवार को अपने रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से मुलाकात की। अभी तक रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी मुलाकात को लेकर कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है कि वो पुतिन से मिलेंगे या नहीं।
एक मीडिया रिपोर्ट के सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों का मानना है कि मास्को को अगर कोई मना सकता है तो वो भारत है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की पर युद्धविराम के लिए सहमत होने और एक सौदे के लिए रूस के साथ बातचीत शुरू करने का दबाव बना रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत इसे एक बड़े मौके के तौर पर देख रहा है क्योंकि अगर वह सीजफायर को लागू करने में कामयाब होता है तो यूरोप में उसकी स्वीकार्यता काफी बढ़ जाएगी।
भारत के लिए अहम ये यात्रा
इस यात्रा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भारत की डिफेंस को मजबुत करना, जो भारत की रक्षा तैयारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों और आपूर्ति पर इसके प्रभाव को लेकर चिंतित है। निकोलाई पेत्रुशेव के साथ मुलाकात के दौरान अजीत डोभाल ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की है। दोनों पक्षों ने सुरक्षा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंडा के तहत सामयिक मुद्दों पर चर्चा की।
यूक्रेन ने भारत के प्रधानमंत्री से किया था अपिल
फरवरी में भारत में यूक्रेनी दूत ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से पुतिन को रोकने में मदद करने और यूक्रेन पर उनके हमले की निंदा करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। इगोर पोलिखा ने कहा कि 'भारत को अपनी वैश्विक शक्ति का पूरा उपयोग करना चाहिए। पीएम मोदी एक वैश्विक स्तर के नेता हैं। रूस के साथ भारत के अच्छे संबंध है। मुझे नहीं पता कि पुतिन कितने नेताओं की बात सुनेंगे लेकिन मुझे यकीन है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की आवाज को सुनेंगे।
प्रधानमंत्री ने कही थी ये बात
पीएम मोदी ने मई में कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई भी पक्ष विजेता नहीं होगा, इसमें सभी की हार होगी। उन्होंने कहा था कि देशों के बीच चल रहे संघर्ष को सुलझाने के लिए शांति और बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। हालांकि भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है। भारत अपने इस बयान पर कायम है कि कूटनीति और बातचीत के जरिए संकट का समाधान किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यूक्रेन ने अजीत डोभाल की रूस यात्रा का कड़ा विरोध किया है।
यूक्रेन ने जताई आपत्ति
एक सवाल के जवाब में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा ने कहा कि जब भारत रूस से कच्चा तेल खरीदता है तो उन्हें यह समझना होगा कि छूट यूक्रेन के खून से चुकानी होगी। भारत को आपूर्ति किए जाने वाले रूसी कच्चे तेल के प्रत्येक बैरल में यूक्रेन के रक्त का उचित हिस्सा होता है। हम भारत के लिए मित्रवत और खुले हैं। मैंने भारतीय छात्रों को निकालने का समर्थन किया। हमें भारत से यूक्रेन को और अधिक व्यावहारिक समर्थन की उम्मीद थी।