Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. यूरोप
  4. वंदे भारत' के निर्माण से जुड़ी दो कंपनियों के जॉइंट वेंचर में हिस्सेदारी को लेकर गतिरोध, हो रही चर्चा

वंदे भारत' के निर्माण से जुड़ी दो कंपनियों के जॉइंट वेंचर में हिस्सेदारी को लेकर गतिरोध, हो रही चर्चा

भारत और रूस के इस संयुक्त उद्यम ने 120 नई वंदे भारत ट्रेनों के​ निर्माण और अगले 25 वर्षों तक इसके रखरखाव को लेकर कॉन्ट्रेक्ट किया है। यह कॉन्ट्रैक्ट 30 हजार करोड़ रुपए का है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Jun 10, 2023 7:43 IST, Updated : Jun 10, 2023 10:43 IST
वंदे भारत' के निर्माण से जुड़ी दो कंपनियों के जॉइंट वेंचर में हिस्सेदारी को लेकर गतिरोध, हो रही चर्च
Image Source : FILE वंदे भारत' के निर्माण से जुड़ी दो कंपनियों के जॉइंट वेंचर में हिस्सेदारी को लेकर गतिरोध, हो रही चर्चा

Vande Bharat Train: 'वंदे भारत' ट्रेनों के निर्माण से जुड़े एक जॉइंट वेंचर में हिस्सेदारी को लेक​र विवाद बढ़ गया है। यह डील 30 हजार करोड़ रुपए की है, जिसकी हिस्सेदारी को लेकर रूस की कंपनी से विवाद बढ़ा है। जॉइंट वेंचर में शामिल भारत की कंपनी चाहती है कि उसकी हिस्सेदारी अधिक हो, जबकि रूसी कंपनी इसके खिलाफ है। इस कारण दोनों कंपनियों में विवाद छिड़ गया है। भारत की और रूस की कंपनी के इस संयुक्त उद्यम ने 120 नई वंदे भारत ट्रेनों के​ निर्माण और अगले 25 वर्षों तक इसके रखरखाव को लेकर कॉन्ट्रेक्ट किया है। यह कॉन्ट्रैक्ट 30 हजार करोड़ रुपए का है।

रूसी कंपनी 'मेट्रो वागोन्मैश' रूस की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग कंपनी 'ट्रांसमैशहोल्डिंग' का हिस्सा है। यह रूसी कंपनी रेलवे के लिए रोलिंग स्टॉक के विकास, डिजाइन और निर्माण में एक्सपर्ट है। इस कंपनी ने भारत की सरकारी कंपनी, रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ मिलकर 120 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। 

भारतीय कंपनी बढ़ाना चाहती है अपनी हिस्सेदारी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले इस जॉइंट वेंचर में भारतीय कंपनी आरवीएनएल की हिस्सेदारी 26 फीसदी है। अब भारतीय कंपनी चाहती है कि उसकी हिस्सेदारी इस जॉइंट वेंचर में 69 फीसदी हो और रूसी कंपनी की हिस्सेदारी घटाकर 26 फीसदी कर दी जाए। जबकि तीसरे भागीदार लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स (LES) को 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिले।

आरवीएनएल ने रूसी कंपनी को लिखा पत्र

भारतीय कंपनी आरवीएनएल ने इस बारे में अप्रैल के महीने में एक पत्र रूसी कंपनी को लिखा था, जिसमें बताया गया कि उसने किनेट रेलवे सॉल्यूशन लिमिटेड यानी 'केआरएसएल' नाम की एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी को खुद में शामिल कर लिया है। रूसी कंपनी को बताया गया कि अब कंपनी एसपीवी (Special Purpose Vehicle) के रूप में काम करेगी। यह रेल मंत्रालय के साथ मैन्यूफैक्चरिंग कम मेंटेनेंस एग्रीमेंट (MCMA) प्रोजेक्ट पर समझौता करेगी और फिर बाद में उसे लागू करेगी। RVNL ने कहा कि चूंकि वह भारत की सरकारी कंपनी है, इस नाते सरकार से क्लियरेंस हासिल करने में उसे आसानी होगी। 

रूसी कंपनी कर रही विरोध

जहां भारतीय कंपनी RVNL 'वंदे भारत' को लेकर किए गए जॉइंट वेंचर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है, वहीं रूसी कंपनी मेट्रोवागोन्मैश ने भारतीय सरकारी कंपनी के प्रस्ताव का विरोध किया है और अब इस मामले को रूसी सरकार के समक्ष उठाया है। रूस के व्यापार प्रतिनिधि ने 8 मई को भारत सरकार को एक पत्र लिखकर कहा कि वो RVNL को मूल कॉन्ट्रैक्ट पर ही बने रहने का निर्देश दे। इस मामले को लेकर दोनों कंपनियों के बीच खींचतान जारी है। अब संभावना है कि भारत और रूस शीर्ष स्तर पर इस मामले को सुलझाएंगे। 

भारत की सबसे तेज ट्रेन है 'वंदे भारत'

'वंदे भारत' भारत की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन मानी जाती है। फिलहाल देश में 10 वंदेभारत ट्रेनें चल रही हैं। इसकी सबसे तेज गति 160 किलोमीटर प्रतिघंटे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल के समय में देश के कई राज्यों में वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई है। 

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement