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India-Britain Relations: बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद भारत-ब्रिटेन के संबंधों पर क्या होगा असर?

India-Britain Relations: रणनीतिक और उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद भारत-ब्रिटेन (India-Britain) मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए दिवाली का लक्ष्य अब भी संभव है, लेकिन यह निश्चित नहीं है।

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Jul 10, 2022 12:21 IST, Updated : Jul 10, 2022 12:21 IST
PM Modi and Boris Johnson
Image Source : FILE PHOTO PM Modi and Boris Johnson

Highlights

  • भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए दिवाली का लक्ष्य अब भी संभव है: उद्योग विशेषज्ञ
  • एफटीए की प्रकृति ऐसी होती है कि इनकी वार्ताओं में लंबा समय लगता है: गैरेथ प्राइस
  • सिर्फ समयसीमा को पूरा करने के लिए विस्तारित व्यापारिक भागीदारी में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए: गैरेथ प्राइस

India-Britain Relations: ब्रिटेन में एक हफ्ते तक चली राजनीतिक उथल-पुथल का अंत जॉनसन के इस्तीफे की घोषणा के साथ हुआ है। इससे कुछ महीने में ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री का रास्ता खुल गया है। ऐसे में चर्चा है कि भारत-ब्रिटेन (India-Britain) द्विपक्षीय संबंधों के लिए इस घटनाक्रम का क्या अर्थ है, वह भी तब जबकि ऐतिहासिक एफटीए अब वार्ता के चौथे चरण में है। इस संबंध में रणनीतिक और उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन(Boris johnson) के इस्तीफे के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए दिवाली का लक्ष्य अब भी संभव है, लेकिन यह निश्चित नहीं है। हालांकि, आम राय यही है कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट में कंजर्वेटिव पार्टी के नए नेता के आने के बाद विदेश नीति रुख में कोई विशेष बदलाव नहीं आएगा। हालांकि, समझौते के मसौदे को पूरा करने के लिए अक्टूबर की जो समयसीमा तय की गई है उनमें कुछ महीने की देरी हो सकती है। 

दिवाली का लक्ष्य भी अच्छा है: बिलिमोरिया

कनफेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री (सीबीआई) के अध्यक्ष लॉर्ड करण बिलिमोरिया का कहना है, ''भारत ने 90 दिन से भी कम समय में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ कुछ बहुत ही तेज समझौते किए हैं। हालांकि, ये समझौते ब्रिटेन-भारत एफटीए की तुलना में हल्के और कम व्यापक हैं। बिलिमोरिया व्यापार वार्ता पर उद्योगों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए ब्रिटेन-भारत उद्योग कार्यबल के प्रमुख भी हैं। मेरे पास एक अधिक व्यापक करार होगा, जिसे पूरा होने में कुछ अधिक समय लगेगा। एक समयसीमा होना अच्छा है, उसके लिए दिवाली का लक्ष्य भी अच्छा है। लेकिन यह अक्टूबर के अंत नहीं हो पाएगा। मेरा लक्ष्य इस साल के अंत तक यानी दिसंबर है।'' उन्होंने आगाह किया कि अंतिम क्षणों में कुछ मुद्दे आ जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद वह इस समझौते के साल के अंत तक पूरा होने को लेकर आशान्वित हैं।

उत्तराधिकारी को हस्ताक्षर करने होंगे: राहुल रॉय-चौधरी

लंदन स्थित शोध संस्थान इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) में दक्षिण एशिया के वरिष्ठ फेलो राहुल रॉय-चौधरी ने कहा, ''बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधों को आगे बढ़ाने की अभूतपूर्व राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई है।'' उन्होंने कहा कि, ''अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जॉनसन एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कितने प्रभावशाली तरीके से इस ऐतिहासिक एफटीए को अक्टूबर तक पूरा करने के लिए काम करते हैं। इसपर उनके उत्तराधिकारी को हस्ताक्षर करने होंगे। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के शोध संस्थान चैटम हाउस के वरिष्ठ रिसर्च फेलो गैरेथ प्राइस ने कहा कि एफटीए की प्रकृति ऐसी होती है कि इनकी वार्ताओं में लंबा समय लगता है। सिर्फ समयसीमा को पूरा करने के लिए विस्तारित व्यापारिक भागीदारी में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए।'' 

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