Monday, November 04, 2024
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गुजरात दंगे और PM मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ ब्रिटेन की सड़कों पर उबला हिंदुस्तान, BBC के दफ्तर तक तूफान

गुजरात दंगों पर प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका को लेकर साजिशन बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से हिंदुस्तान का खून खौल उठा है। बीबीसी ने यह डॉक्यूमेंट्री ऐसे वक्त में बनाई है, जब देश की शीर्ष अदालत ने पीएम मोदी को पूरी तरह क्लीन चिट दे दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 30, 2023 15:34 IST
ब्रिटेन में बीबीसी की गुजरात दंगों पर बनी पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री का विरोध करते भारतीय - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV ब्रिटेन में बीबीसी की गुजरात दंगों पर बनी पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री का विरोध करते भारतीय

Protests in UK Against BBC Documentary on Gujarat Riots: गुजरात दंगों पर प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका को लेकर साजिशन बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से हिंदुस्तान का खून खौल उठा है। बीबीसी ने यह डॉक्यूमेंट्री ऐसे वक्त में बनाई है, जब देश की शीर्ष अदालत ने पीएम मोदी को पूरी तरह क्लीन चिट दे दिया है और ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। बावजूद गुजरात दंगों के करीब 21 वर्ष बाद बीबीसी ने खास मकसद से ऐसी डॉक्यूमेंट्री को बनाकर हिंदुस्तान में दो धर्मों के बीच बड़ी खाईं पैदा करने का कुत्सित प्रयास किया है। हालांकि बीबीसी की इस साजिश को पूरा देश समझ चुका है। इसीलिए बीबीसी को सबक सिखाने के लिए ब्रिटेन के सभी प्रमुख शहरों में तिरंगे के साथ भारतीयों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इससे लंदन से लेकर बीबीसी के दफ्तर तक भूचाल आ गया।

भारत की छवि खराब करने और प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए भारतीयों ने बीबीसी का दफ्तर भी घेर लिया। इससे बीबीसी के कार्याधिकारी भी दहशत में आ गए। भारतीयों ने देर तक बीबीसी मुख्यालय को घेरे रखा और उसके खिलाफ गगनभेदी नारे लगाए। ब्रिटेन में लंदन से लेकर मैनचेस्टर, बर्मिंघम, ग्लासगो और न्यूकैसल में हिंदुस्तानियों का विशाल हुजूम देकर ब्रिटिश हुकूमत भी सकते में आ गई। भारतीयों ने उक्त सभी शहरों के बीबीसी स्टूडियो का घेराव करने के लिए ‘चलो बीबीसी’ अभियान चलाया, जो जबरदस्त तरीके से सफल रहा। उक्त शहरों के सभी बीबीसी स्टूडियो पर भारतीयों के विरोध प्रदर्शन को देखकर बीबीसी के हाथ-पैर फूल गए। भारत सरकार पहले ही अपने देश में इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगा चुकी है।

ब्रिटेन में बीबीसी की गुजरात दंगों पर बनी पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री का विरोध करते भारतीय

Image Source : INDIA TV
ब्रिटेन में बीबीसी की गुजरात दंगों पर बनी पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री का विरोध करते भारतीय

पीएम मोदी और हिंदुस्तान को बदनाम करने की बताया साजिश

ब्रिटेन की सड़कों पर उतरकर इंडियन डायस्पोरा यूके’ (आईडीयूके), ‘फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इंटरनेशनल’ (एफआईएसआई) यूके, ‘इनसाइट यूके’ और ‘हिंदू फोरम ऑफ ब्रिटेन (एचएफबी) जैसे संगठनों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने ‘बायकॉट बीबीसी’, ‘ब्रिटिश बायस कॉर्पोरेशन’ और ‘स्टॉप द हिंदूफोबिक नैरेटिव’ (हिंदुओं के खिलाफ नफरत पैदा करने वाले आख्यान को रोको), ‘बीबीसी शर्म करो’ और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लहराईं। एफआईएसआई यूके के जयु शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित वृत्तचित्र अत्यंत पक्षपातपूर्ण है। भारतीय न्यायपालिका ने मोदी को पूरी तरह बेकसूर बताया है। इसके बावजूद बीबीसी ने न्यायाधीश और न्यायपालिका बनने का फैसला किया।

ऋषि सुनक भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को कर चुके हैं खारिज
बीबीसी ने भले ही गुजरात दंगों पर प्रधानमंत्री की छवि खराब करने का प्रयास किया हो, लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी इस डॉक्यूमेंट्री को खारिज कर चुके हैं। जयु शाह ने कहा, ‘‘बीबीसी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच होनी चाहिए और सार्वजनिक प्रसारक के रूप में अपने कर्तव्य में विफल रहने पर बीबीसी के निदेशक मंडल की जांच की जानी चाहिए।’’ एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि उनकी मां शारीरिक अक्षमता के कारण व्हीलचेयर की मदद लेती हैं और इसके बावजूद वह यहां आई हैं, क्योंकि उन्हें लगा कि बीबीसी द्वारा फैलाए जा रहे ‘‘झूठे और भारत विरोधी दुष्प्रचार’’ के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है।

गुजरात दंगों पर बनी पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री के विरोध में ब्रिटेन में बीबीसी के दफ्तर का घेराव करत

Image Source : INDIA TV
गुजरात दंगों पर बनी पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री के विरोध में ब्रिटेन में बीबीसी के दफ्तर का घेराव करते भारतीय

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) का वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ दो भाग में है, जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है। साल 2002 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को ‘‘दुष्प्रचार का हिस्सा’’ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।

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