कजान (रूस): पीएम मोदी की जबरदस्त कूटनीति से भारत पूरी तरह ग्लोबल साउथ का अगुवा बनने में सफल रहा है। जिस ग्लोबल साउथ के देशों की वैश्विक मंचों पर अनदेखी की जाती थी, अब हालत यह हो गई है कि सभी अंतररराष्ट्रीय मंचों पर उसकी आवाज को दूसरे देशों को भी समर्थन देने को मजबूर होना पड़ रहा है। हाल ही में न्यूयॉर्क में हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सम्मेलन में भी ग्लोबल साउथ की आवाज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राथमिकता से उठाया था। इसपर यूएन समेत अन्य देशों ने भी समर्थन किया था। अब बारी ब्रिक्स की थी। यहां भी प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल साउथ के विकास और समस्याओं को मजबूती से रखा। रूस ने भी पीएम मोदी की इस पहला का पूरा समर्थन किया। मगर इससे पड़ोसी चीन घबरा गया।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने तर्क देते कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द 1960 के दशक में चलन में आया। यह शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासकर इसका मतलब, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर, दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित ऐसे देशों से है जो ज्यादातर कम आय वाले हैं और राजनीतिक तौर पर भी पिछड़े हैं। पीएम मोदी ने इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के मंच पर ग्लोबल साउथ के देशों को कर्ज मुक्त करने के लिए उन्हें सस्ती दरों पर ऋण देने की वकालत की थी।
न्यू डेवलपमेंट बैंक को पीएम मोदी ने सराहा
पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों के विकास को तत्पर न्यू डेवलपमेंट बैंक की भूमिका को जमकर सराहा। उन्होंने कहा कि मैं न्यू डेवलपमेंट बैंक की अध्यक्ष डिल्मा रूसेफ को बधाई देता हूं। यह बैंक पिछले 10 वर्षों में ग्लोबल साउथ के देशों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में गिफ्ट सिटी के खुलने से इस बैंक की गतिविधियों को मजबूती मिली है। एनडीबी को इस पर काम जारी रखना चाहिए। मांग-संचालित सिद्धांत और बैंक का विस्तार करते समय दीर्घकालिक वित्तीय टिकाऊ, स्वस्थ क्रेडिट रेटिंग और बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत के बाद रूस ने भी ग्लोबल साउथ के लिए बड़ा ऐलान किया। इसके बाद ग्लोबल साउथ को हाथ से फिसलते देख शी जिनपिंग ने भी मजबूरी में इन पिछड़े देशों को भारी मन से समर्थन करने पर मजबूर हो गए।
ग्लोबल साउथ को राष्ट्रपति पुतिन का बड़ा तोहफा, किया ये ऐलान
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की पहल का समर्थन करते हुए ग्लोबल साउथ के देशों को बड़ा तोहफा दिया। उन्होंने कहा, हम ब्रिक्स का एक नया निवेश मंच स्थापित करने का प्रस्ताव रखते हैं। यह ग्लोबल साउथ के सभी देशों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए नया ब्रिक्स वैश्विक निवेश मंच होगा। हमें अर्थव्यवस्था के कम-उत्सर्जन मॉडल को संयुक्त रूप से बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के लिए रूस द्वारा भी भारत को समर्थन मिलता देख जिनपिंग बेचैन हो उठे। उसके बाद उन्हें भी उसके हक की बात उठानी पड़ी।
चीन हुआ मजबूर
भारत और रूस की ओर से ग्लोबल साउथ का स्पष्ट समर्थन किए जाने के बाद चीन भी उसके हक की आवाज उठाने को मजबूर हो गया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस दौरान कहा कि हमें वैश्विक दक्षिण देशों की प्रस्तुति और आवाज को बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए हमें ग्लोबल साउथ के देशों का वित्तीय और आर्थिक सहयोग गहरा करना चाहिए। चीन को इस बात का डर सता रहा है कि ग्लोबल साउथ का भारत पर बढ़ रहा भरोसा कहीं चीन को उन देशों से लगभग आउट न करा दे, क्योंकि चीन लंबे समय से ग्लोबल साउथ पर अपना दबदबा जमाने का प्रयास करता रहा है।
ब्रिक्स दुनिया की एक चौथाई अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधि
पीएम मोदी ने कहा कि ‘ब्रिक्स’ संगठन दुनिया की एक चौथाई अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री ने इसे ऐसा संगठन बताया जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छाशक्ति रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारधाराओं के समागम से बना ब्रिक्स समूह दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सकारात्मक सहयोग को बढ़ावा देता है।’यह ‘‘हमारी विविधता, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आम सहमति के आधार पर आगे बढ़ने की हमारी परंपरा हमारे सहयोग का आधार है।’’
कौन-कौन है ब्रिक्स का सदस्य
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के मुख्य सदस्य हैं और यह समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। ब्राजील, रूस, भारत और चीन के नेताओं की सेंट पीटर्सबर्ग में 2006 में हुई बैठक के बाद एक औपचारिक समूह के रूप में ‘ब्रिक’ की शुरुआत हुई। ‘ब्रिक’ को 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करते हुए ‘ब्रिक्स’ के रूप में विस्तारित करने पर सहमति बनी। पिछले साल समूह का विस्तार किया गया जो 2010 के बाद पहली ऐसी कवायद थी। ब्रिक्स के नए सदस्य देशों में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। अब रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इसके सदस्य देशों की संख्या धीरे-धीरे 30 तक पहुंचने का दावा किया है।