रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध लंबे वक्त से चलता आ रहा है। युद्ध की शुरुआत में कई भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर यूक्रेन से अपने वतन वापस लौटना पड़ा था। इस वजह से भारतीय मेडिकल छात्रों की पढ़ाई में काफी नुकसान हुआ था। फरवरी 2022 के आखिर में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो कई भारतीय छात्रों को यूक्रेन से वापस भारत लाया गया। युद्ध के चलते उन हजारों भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में लटका हुआ है। ऐसे में इन छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रूस ने सामने से अपने देश में उनकी पढ़ाई जारी रखने के लिए यह ऑफर दिया है।
चेन्नई में आए रूस के महावाणिज्य दूत ओलेग अवदीव ने कहा कि यूक्रेन से निकले भारतीय छात्र अपनी मेडिकल की पढ़ाई रूस में पूरी कर सकते हैं। ओलेग ने भारतीय छात्रों को अपने यहां पढ़ाई के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस में होने वाली मेडिकल की पढ़ाई का कोर्स लगभग एक जैसा ही है। इसके साथ ही छात्र यहां की भाषा भी समझ सकते हैं क्योंकि यूक्रेन अधिकत्तर लोग रूसी ही बोलते हैं। बता दें कि 23 अक्तूबर को कीव में भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए युद्ध प्रभावित देश में वर्तमान में रह रहे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने को कहा था।
ओलेग ने बताया कि लोग काफी संख्या में पढ़ाई के लिए रूस जाते हैं और वहां पर स्कॉलरशिप के लिए भी आवेदन करते हैं। हर साल भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारी संख्या में रूस और यूक्रेन जाते हैं। लेकिन युद्ध के चलते छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन वापस नहीं जा पा रहे हैं।
आखिर भारत से कई छात्र पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्यों जाते हैं?
भारत के कई छात्र हर साल मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन जाते रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत के मुकाबले यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई काफी सस्ती है। भारत में किसी भी प्राइवेट कॉलेज से अगर आप मेडिकल का कोर्स करते हैं तो इसकी फिस लगभग 80 लाख से 1 करोड़ रुपए तक पड़ती है लेकिन यहीं पढ़ाई यूक्रेन में मात्र 25 लाख रुपए में ही हो जाती है।
हजारों भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटका
रूसी आक्रमण के बाद हजारों भारतीय यूक्रेन में ही फंस गए थे। युद्ध के दौरान कुल 90 फ्लाइट्स की मदद से 22 हज़ार 500 भारतीयों को यूक्रेन से भारत लाया गया। इसमें सबसे ज्यादा लोग वहीं थे जो यूक्रेन में रह कर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। अब यह छात्र पिछले 9 महीने से अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं रूस ने अब सामने से इन छात्रों को यह ऑफर दिया है कि जो छात्र चाहे वह अपनी मेडिकल की पढ़ाई रूस में जारी रक सकता है।