Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. यूरोप
  4. Germany Import Fuel from Russia: जंग का विरोध करने वाले जर्मनी ने दो माह में रूस से खरीदा सबसे ज्यादा फ्यूल

Germany Import Fuel from Russia: जंग का विरोध करने वाले जर्मनी ने दो माह में रूस से खरीदा सबसे ज्यादा फ्यूल

रूस के यूक्रेन पर हमले का विरोध करने वाले जर्मनी ने पिछले दो माह में सबसे ज्यादा फ्यूल रूस से खरीदा है।

Edited By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: December 16, 2022 14:55 IST
Germany Import Fuel from Russia: - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Germany Import Fuel from Russia: 

Germany Import Fuel from Russia: रूस के यूक्रेन पर हमले का विरोध करने वाले देशों में जर्मनी अग्रणी देश है। हमले का कड़ा विरोध करने वाले जर्मनी ने पिछले दो माह में सबसे ज्यादा तेल और फ्यूल रूस से खरीदा है। यूक्रेन युद्ध के दो महीने में रूसी ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार जर्मनी रहा। गुरुवार को एक स्वतंत्र रिसर्च एजेंसी ने यह जानकारी दी। रिसर्चरों ने हिसाब लगाया है कि इस अवधि में रूस ने करीब 63 अरब यूरो का जीवाश्म ईंधन बेचा है।

24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था। जहाजों की आवाजाही, पाइपलाइनों में गैस के बहाव और मासिक व्यापार के पुराने आंकड़ों के आधार पर रिसर्चरों ने हिसाब लगाया है कि अकेले जर्मनी ने ही करीब 9.1 अरब यूरो का भुगतान रूस को किया है। युद्ध के पहले दो महीने में हुए इस भुगतान का ज्यादातर हिस्सा प्राकृतिक गैस की कीमत है। ये आंकड़े सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर यानी सीआरईए के हैं।

जर्मनी की कड़ी आलोचना, कई देशों ने चेताया

जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च की वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ क्लाउडिया केमफर्ट का कहना है कि हाल ही में जो कीमतों में उछाल आया है उसे देखते हुए इन्हें सुखद कहा जा सकता है। पिछले साल जर्मनी ने तेल, कोयला और गैस के आयात पर करीब 100 अरब यूरो खर्च किए थे। इसका एक चौथाई रूस को गया था। रूस के जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर रहने के लिए जर्मनी की बड़ी आलोचना हुई है। कई देश यह चेतावनी देते रहे हैं कि इससे यूरोप और खुद जर्मनी की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

रूसी पाइपलाइन को रोकने की कोशिश में था अमेरिका

एक साल पहले जब अमेरिका जर्मनी के लिए रूसी गैस पाइपलाइन के निर्माण को रोकने की कोशिश में था तब तत्कालीन जर्मन चांसलर ने इसका विरोध किया। हालांकि युद्ध शुरू होने से ठीक पहले उस पाइपलाइन से गैस के आयात को मंजूरी देने से मना कर दिया गया। मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भी बहुत पहले से ही रूस के साथ ऊर्जा सहयोग के पक्ष में रहे हैं।

इटली है दूसरा सबसे बड़ा आयातक

जर्मनी के कुल आयात में रूसी नेचुरल गैस की हिस्सेदारी फिलहाल 35 फीसदी है।फिनलैंड की रिसर्च एजेंसी सीआरईए का कहना है कि युद्ध के दौर में रूसी जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा आयातक इटली रहा है जिसने 6.9 अरब यूरो की रकम अदा की है। इस सूची में तीसरा नंबर चीन का है जिसने 6.7 अरब यूरो की रकम जीवाश्म ईंधन की कीमत के रूप में चुकाई है। 

ईंधन बेचने से रूस को होती है मोटी कमाई

दक्षिण कोरिया, जापान, भारत और अमेरिका ने भी युद्ध शुरू होने के बाद रूसी ऊर्जा खरीदी है लेकिन यूरोपीय संघ की तुलना में यह बहुत कम है। यूरोपीय संघ के सभी देश कुल मिला कर रूस को तेल, गैस और कोयले के निर्यात से होने वाली कमाई में 71 फीसदी का योगदान करते हैं। सीआरईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कमाई तकरीबन 44 अरब यूरो की है।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement