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नींद की झपकी बनी बड़ी गलती, अकाउंट में ट्रांसफर हो गए 1990 करोड़ रुपये; जानिए फिर क्या हुआ

जर्मनी के एक बैंक में हुई घटना ने सभी को हैरान कर दिया है। बैंक में काम करने वाले क्लर्क से बड़ी गलती हुई थी। क्लर्क से यह ब्लंडर तब हुआ जब वह काम करते-करते की-बोर्ड पर सो गया। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा जिसमें अब फैसला आया है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Dec 09, 2024 13:42 IST, Updated : Dec 09, 2024 13:42 IST
Bank Employee Sleep (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Image Source : FILE Bank Employee Sleep (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Germany Bank Online Trasfer Mistake: जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया। 

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई। 

Bank Employee

Image Source : FILE
Bank Employee

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए। 

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी। 

लोग भी दे रहे हैं प्रतिक्रिया

मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया में बैंकिंग सिस्टम को लेकर चर्चा तेज हो गई। कई लोगों ने कहा कि यदि बैंक में बेहतर सुरक्षा प्रणाली होती, तो इतनी बड़ी गलती रोकी जा सकती थी। कुछ लोगों का कहना था कि बड़े ट्रांजैक्शन को कई स्तर से मंजूरी की आवश्यकता होती, जिससे गडबड़ी को पकड़ा जा सकता है और रिस्क कम हो जाता है। कुछ लोगों ने इस गलती के लिए बैंक क्लर्क को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि काम करते हुए सो जाना गैर जिम्मेदाराना हरकत है, जबकि अन्य ने कहा की के काम के दबाव में ऐसी गलती किसी से भी हो सकती है। 

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