Highlights
- ब्रिटेन ने बैठक को ‘वैश्विक आक्रांताओं के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन’ करार दिया।
- चीन और ईरान के साथ तनाव के विरोध में ब्रिटेन धनी देशों में एकजुटता चाहता है।
- ब्रिटेन ने यूक्रेन के प्रति रूस के व्यवहार को ‘खराब’ बताया है।
लिवरपूल: G-7 औद्योगिक समूह के विदेश मंत्री शनिवार को बैठक के लिए ब्रिटेन के लिवरपूल में मर्सी नदी के किनारे एकत्रित हुए। ब्रिटेन ने इस बैठक को ‘वैश्विक आक्रांताओं के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन’ करार दिया। चीन और ईरान के साथ तनाव के विरोध में ब्रिटेन धनी देशों में एकजुटता चाहता है और उसने यूक्रेन के प्रति रूस के व्यवहार को ‘खराब’ बताया है। साल्वेशन आर्मी बैंड द्वारा क्रिसमस कैरोल की धुन बजाए जाने के बीच ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रूस ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन एवं G-7 के अपने अन्य समकक्षों का स्वागत किया।
‘यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता के प्रति हमारा कड़ा रुख है’
यूक्रेन की सीमा के पास रूस के सैनिकों के जमावड़े पर ट्रूस ने बैठक में चेतावनी दी कि ‘स्वतंत्रत लोकतांत्रिक देशों’ को रूस के गैस एवं रूस के धन से खुद को दूर रखना चाहिए ताकि उनकी स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के विदेश मंत्रियों की जी-7 बैठक ‘समान विचारधारा वाले बड़े आर्थिक देशों की एकजुटता का प्रदर्शन है जो आक्रामकता और यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता के प्रति हमारा कड़ा रुख है।’
अमेरिका और NATO को है यूक्रेन पर रूस के हमले की चिंता
ट्रूस ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के प्रति ‘बड़ी रणनीतिक भूल’ होगी और मॉस्को को इसके ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे। अमेरिका और NATO को इस बात की चिंता है कि सीमावर्ती इलाकों में रूस सैनिकों और हथियारों के जमावड़े के बाद यूक्रेन पर हमला कर सकता है लेकिन मॉस्को ने इससे इंकार किया है। ट्रूस ने कहा कि वह अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना चाहती हैं ‘ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश रूस के गैस पाइपलाइन का विकल्प तलाश सकें।’
रूस के गैस पर ब्रिटेन निर्भर नहीं है और पाइपलाइन का विरोधी है
ट्रूस नॉर्ड स्ट्रीम टू पाइपलाइन का जिक्र कर रही थीं जिसका निर्माण रूस से जर्मनी तक गैस ले जाने के लिए किया गया है। लिवरपूल बैठक जर्मनी की पहली विदेश मंत्री अन्नालेना बाइरबोक की पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक है जिन्होंने पहले नॉर्ड स्ट्रीम टू का विरोध किया था। रूस के गैस पर ब्रिटेन निर्भर नहीं है और वह पाइपलाइन का विरोधी है।