Monday, November 25, 2024
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Explainer: पाला बदल रहा फ्रांस! चीन से मुलाकात के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा ‘अमेरिका का कब तक पिछलग्गू बना रहेगा यूरोप‘

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोप को अमेरिका पर अपनी निर्भरता घटाने की सलाह दी है। चीन से मुलाकात के बाद मैक्रों के सुर बदले नजर आ रहे हैें। वे अमेरिका से अलग यूरोप का वजूद चाहते हैं, इसलिए इस तरह के बयान दिए हैं। इमानुएल मैक्रों तो ये भी चाहते हैं कि यूरोप ‘तीसरी शक्ति‘ बनकर उभरे, जिसका लीडर फ्रांस हो।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: April 10, 2023 12:41 IST
पाला बदल रहा फ्रांस! चीन से मुलाकात के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा ‘अमेरिका का कब तक पिछ- India TV Hindi
Image Source : AP FILE पाला बदल रहा फ्रांस! चीन से मुलाकात के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा ‘अमेरिका का कब तक पिछलग्गू बना रहेगा यूरोप‘

Emmanuel Macron: फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने हाल ही में चीन का दौरा किया और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने चीन से रूस और यूक्रेन जंग को रोकने और शांति बहाल करने की दिशा में बातचीत की। लेकिन साथ ही चीन से अपने रिश्ते को बढ़ाने के संकेत भी दिए। चीन के साथ अपने कारोबार को और बढ़ाने की बात करने वाले मैक्रों ने स्पष्ट कहा कि अब अमेरिका की खुशामद करना बंद कर देना चाहिए। कब तक यूरोप के देश यानी यूरोप अमेरिका का पिछलग्गू बना रहेगा। 

अमेरिका और चीन की लड़ाई के बीच न पिसे यूरोपः मैक्रों ने कही बात

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोप को अमेरिका पर अपनी निर्भरता घटाने की सलाह दी है। चीन से मुलाकात के बाद मैक्रों के सुर बदले नजर आ रहे हैें। वे अमेरिका से अलग यूरोप का वजूद चाहते हैं, इसलिए इस तरह के बयान दिए हैं। इमानुएल मैक्रों तो ये भी चाहते हैं कि यूरोप ‘तीसरी शक्ति‘ बनकर उभरे, जिसका लीडर फ्रांस हो। 

ताइवान के मुद्दे पर यूरोप न दे कोई बयान, बोले मैक्रों

यही कारण है कि मैक्रों ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘यूरोपीय देशों को ताइवान मुद्दे पर चीन और अमेरिका के बीच नहीं आना चाहिए।‘ मैक्रों की ये टिप्पणी ऐसे वक़्त में आई है, जब चीन ताइवान से सटे इलाके में सैन्य अभ्यास कर रहा है। बुधवार को ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग वेन और अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव केविन मैकेर्थी से के बीच जो मुलाकात हुई, उसके बाद शनिवार से सैन्य अभ्यास और तेज हो गया। चीन अभ्यास के नाम पर ताइवान पर दबाव डाल रहा है। 

अमेरिका की तरह सोचने से बचें यूरोपीय देशः मैक्रों

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मैक्रों ने इस बारे में अपने वक्तव्य में कहा कि ‘ये बड़ी विडंबना है कि यूरोप यह मानता है कि वो अमेरिका का अनुयायी है। यूरोप के लोगों को इस प्रश्न का हल ढूंढना चाहिए कि क्या ताइवान में तनाव बढ़ना उनके हित में हैं?‘ मैक्रों ने कहा कि ‘हम यूरोपीय लोग इस मुद्दे पर अमेरिका की तरह सोचने लगे हैं और हम अमेरिकी एजेंडे और इस पर चीन की प्रतिक्रिया को देखकर अपने कदम उठाना चाहिए।‘

‘यूरोप पहले अपनी समस्याओं को देखे‘

मैक्रों ने साफ कहा कि ‘यूक्रेन और रूस की जंग के संकट का हल तो निकाल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में वहां इतनी दूर ताइवान के मुद्दे पर हम कैसे कह सकते हैं कि चीन ने कुछ गलत किया तो हम पहुंच जाएंगे।‘ हमें यूरोप की समस्याओं को पहले देखना चाहिए। अमेरिका के दृष्टिकोण से नहीं चला चाहिए। हालांकि यूरोप के देशों और यूरोपीयन यूनियन ने मैक्रों के इस विचार को ‘बकवास‘ बताया है। 

वैसे मैक्रों ने यह जरूर कहा है चीन से कि वह यूक्रेन संकट पर रूस के विरोध में प्रतिक्रिया दे और शांति के लिए प्रयास करे। लेकिन वे चीन से मुलाकात के बाद चीन के पक्ष में दिखाई देने वाले बयान देने लगे हैं। जो अमेरिका को बिल्कुल अच्छे नहीं लग रहे हैं। 

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