Friday, November 22, 2024
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Shinzo Abe's Last Journey:अंतिम यात्रा के दिन भी जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की आत्मा को नहीं मिला सुकून, जानें वजह

Shinzo Abe's Last Journey: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को भी कुछ लोगों ने विवादित बना दिया, जिससे आखिरी वक्त में भी उनकी आत्मा को सुकून शायद नहीं मिला होगा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: September 27, 2022 16:14 IST
Shinzo Abe Last Journey- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Shinzo Abe Last Journey

Highlights

  • जापान के पीएम किशिदा ने कहा-अभी नहीं जाना था आपको
  • 12 मिनट के शोक संदेश में सबको कर दिया भावुक
  • सरकारी खर्चे पर अंतिम संस्कार को लेकर लोगों ने किया विरोध

Shinzo Abe's Last Journey: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को भी कुछ लोगों ने विवादित बना दिया, जिससे आखिरी वक्त में भी उनकी आत्मा को सुकून शायद नहीं मिला होगा। हालांकि विवाद के बीच ही प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि देश के लिए सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेता के अंतिम संस्कार का खर्चा सरकारी कोष से उठाया जाना सम्मान की बात है। देश में सरकारी कोष से आबे के अंतिम संस्कार को लेकर लोग की राय बंटी हुई है। इसी मामले को लेकर कुछ लोग विरोध में उतर आए और पोस्टर बैनर के साथ नारेबाजी करने लगे।

दुनिया के कई बड़े नेता हुए शामिल

आबे के अंतिम राजकीय संस्कार में अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जापान के युवराज अकिशिनो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई विश्व नेताओं ने शिरकत की। आबे की पत्नी अकी काले रंग का ‘किमोनो’ (जापान की पारंपरिक पोशाक) पहने निप्पॉन बुडोकन हॉल में वह कलश लेकर पहुंची, जिसमें उनके पति की अस्थियां थीं। कलश एक लकड़ी के बक्से में था जिस पर बैंगनी व सुनहरे रंग की धारियों वाला एक कपड़ा लिपटा था। सफेद पोशाक पहने रक्षा कर्मियों ने आबे की अस्थियों वाला कलश लिया और उसे सफेद व पीले फूलों से सजे एक आसन पर रख दिया। इसके बाद सभी ने वहां आबे को श्रद्धांजलि दी।

जापान के पीएम ने दिया 12 मिनट का भावुक शोक संदेश
जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने अपने 12 मिनट के शोक संदेश में आबे के नेतृत्व, युद्ध के बाद के आर्थिक विकास तथा जापान व दुनिया के विकास के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण और चीन के उदय से निपटने के लिए ‘‘मुक्त व खुले हिंद-प्रशांत’’ की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए उनकी सराहना की। निप्पॉन बुडोकन हॉल में आबे की एक बड़ी तस्वीर लगाई गई, जिसमें वह मुस्कुराते नजर आ रहे हैं। किशिदा ने आबे को याद करते हुए कहा, ‘‘ आप ऐसे मनुष्य थे, जिन्हें लंबे समय तक हमारे साथ रहना चाहिए था।

पीएम मोदी ने चढ़ाया पुष्प गुच्छ
आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए टोकियो पहुंचे पीएम मोदी ने यहां हाथ जोड़कर व पुष्पगुच्छ चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस व कई विश्व नेताओं सहित 4,300 लोग कार्यक्रम में शमिल हुए। हैरिस तीसरी पंक्ति में जापान में अमेरिका के राजदूत राहम इमानुएल के साथ बैठीं नजर आईं। गौरतलब है कि आबे (67) की आठ जुलाई को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह दक्षिणी जापानी शहर नारा में चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। तोक्यो के एक मंदिर में बेहद करीबी लोगों की मौजूदगी में जुलाई में आबे का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। आज उनका राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम रखा गया है, ताकि विश्व नेता व उनके समर्थक उन्हें श्रद्धांजलि दे पाएं। इस कार्यक्रम के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। कार्यक्रम शुरू होने से कुछ घंटे पहले, पास के कई लोग फूलों के गुलदस्ते ले जाते भी नजर आए थे।

लोगों ने निकाला विरोध मार्च
इस बीच, अंतिम संस्कार के विरोध में सैकड़ों लोगों ने शहर के बाहरी इलाके में एक मार्च निकाला। कुछ लोग इस दौरान ढोल बजाते और कई चिल्लाते नजर आए। यह लोग हाथ में तख्तियां भी लिए थे, जिसमें राजकीय अंतिम संस्कार के विरोध में नारे लिखे गए थे। प्रदर्शन में शामिल हुए काउरू मानो ने कहा, ‘‘ शिंजो आबे ने आम आदमी के लिए कुछ नहीं किया।’’ हालांकि, सरकार लगातार यह स्पष्ट करती आई है कि राजकीय अंतिम संस्कार के जरिए किसी पर आबे को श्रद्धांजलि देने का दबाव नहीं बनाया जा रहा है। किन्तु कथित अलोकतांत्रिक निर्णय, उन्हें शाही तरीक से सम्मान दिए जाने, इस पर आने वाले खर्च और उनके व सत्ताधारी पार्टी के अति-रूढ़िवादी ‘यूनिफिकेशन चर्च’ के संबंधों को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

 मार्च में शामिल शीन वानटैंबे ने कहा, ‘‘ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसकी अनुमति लेने के लिए किसी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। मुझे यकीन है कि इसको लेकर कई राय होंगी,लेकिन इस बात को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता कि कई लोगों के विरोध के बावजूद एक राजकीय अंतिम संस्कार आयोजित किया गया।

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