18 महीने बाद भी रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई हल नहीं निकल सका है। संयुक्त राष्ट्र भी इस युद्ध में शांति का कोई रास्ता नहीं ढूंढ़ पाया है। इस युद्ध में अब तक हजारों सैनिकों और लोगों की जान जा चुकी है। हंसते-खेलते शहर खंडहर बन चुके हैं। लगातार दोनों देशों के बीच भीषण गोलाबारी और हवाई हमले जारी हैं। ऐसे वक्त में पोप फ्रांसिस ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने रूस के युद्ध में यूक्रेनी लोगों की ‘शहादत’ के लिए हथियार उद्योग को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है। फ्रांसिस ने कहा कि भले ही अब हथियारों पर रोक लग जाए, लेकिन उनकी पीड़ा समाप्त नहीं होगी।
फ्रांसिस का यह बयान प्रत्यक्ष रूप से पोलैंड की उस घोषणा के संबंध में है जिसमें उसने कहा था कि वह अब यूक्रेन को हथियार नहीं भेज रहा। फ्रांस के मार्सिले से वापसी के दौरान फ्रांसिस से युद्ध के संबंध में प्रश्न किया गया था। फ्रांसिस ने स्वीकार किया कि वे इस बात से निराश हैं कि वेटिकन की कूटनीतिक पहलों का कोई खास नतीजा नहीं निकला। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के पीछे हथियार उद्योग का भी हाथ है। उन्होंने उस विरोधाभास को विस्तार से समझाया जिसके कारण यूक्रेन के लोग ‘शहीद’ हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में बहुत से देशों ने यूक्रेन को हथियार दिए लेकिन अब वे उससे हथियार वापस ले रहे हैं।
हथियार उद्योगों को फ्रांसिस करार दे चुके हैं ‘‘मौत का सौदागर’’
फ्रांसिस कई मौकों पर हथियार उद्योग को ‘‘मौत का सौदागर’’ करार कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने देशों के अपनी रक्षा के अधिकारों पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अब देख रहा हूं कि कुछ देश पैर पीछे खींच रहे हैं और हथियार नहीं दे रहे हैं।’’ पोप फ्रांसिस ने कहा, ‘‘यह एक ऐसी प्रक्रिया शुरू करेगा जहां निश्चित रूप से यूक्रेनी लोग शहीद होंगे और यह अच्छा नहीं है।’’ उनका इशारा पोलैंड के प्रधानमंत्री मतेउज मोराविएक की इस घोषणा की ओर था कि पोलैंड अब यूक्रेन को हथियार नहीं भेज रहा है। इस दौरान फ्रांसिस ने मार्सिले की अपनी दो दिवसीय यात्रा के बारे में भी बात की जहां उन्होंने यूरोप से अधिक संख्या में प्रवासियों को अपने देशों में आने देने की अपील की। (एपी)
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